मैडम मुझमें आत्म विश्वास की कमी है। संवाद एवं सार्वजनिक व्याख्यान देते समय हिचकिचाहट होती है - जबान लड़खड़ाती है एवं कहीं गलत ना बोल जायें इसलिये खामोश रहते हैं। मुझे सब पढ़ने के बाद भी स्मरण में कुछ नहीं रहता। मै एकाग्र होकर अपनी पढ़ार्इ पर ध्यान नही दे पाती हू। यह कुछ सवाल थे जो कि छात्राओं ने कार्यशाला की संचालिका एवं महिला विधालय की शिक्षिका एवं मनोवैज्ञानिक डा0 रशिमी सोनी से द्वितीय दिवस पर ”व्यकितत्व एवं दृषिटकोण विकास (च्मतेवदंसपजल - ।जजपजनकम क्मअवसमचउमदज) विषय पर प्रथम अभ्यासगत प्रशिक्षण एक सप्ताह की कार्यशाला में पूछे। डा0 सोनी ने कार्यशाला के प्रथम सत्र में आज छात्राओं को बताया एवं अभ्यासन कराया कि कैसे हम अपने जीवन में लक्ष्य तय करें एवं अपने जीवन मूल्यों को कैसे पहचानें, हमारे जीवन के क्या सिद्धान्त हैं, हमारी अभिरूचि एवं व्यकितगत योग्यतायें पर ध्यान केनिद्रत करें। मानवीय सम्बंधों के सिद्धान्तों पर छात्राओं को कल दिये गये तीनो मंत्रो - स्वीकार करना, प्रशंसा करना एवं समायोजित करना को 40 चालीस छात्राओं में बने समूह में कैसे अमल में लाया। इस पर उनके फीडबैक को कार्यशाला में लिया गया। प्रतिभागियों को उनके जीवन के सबसे सुखद पहलू पर अंगेजी में पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी-अपनी बात रखने के प्रशिक्षण के साथ साथ अभिव्यकित का अवसर भी प्रदान किया गया। ध्यान द्वारा एकाग्र होने पर छात्राओं को ध्यान के विभिन्न गुर बताते हुए डा0 सोनी ने प्रतिभागियों से उसे व्यवहारिक रूप में करवा कर भी कार्यशाला की सार्थकता प्रदान की। डा0 रशिमी सोनी ने कहा कि आत्म अवलोकन द्वारा इन चारों के समुचित विकास के लिए शिक्षा के दौरान विधालय परिसर में शिक्षकोंविशेषज्ञों द्वारा इस दिशा में सतत संवाद भी छात्राओं से होना आज समय की सबसे बड़ी मांग है। व्यकित अपने जीवन में कितना सफल है इसका मूल्यांकन उसके सोचने (दृषिटकोण) के तरीके पर निर्भर करता है जिसके द्वारा वह परिसिथतियों का मुकाबला भी कर एवं उन्हें अपने लिये अवसर में बदल कर लक्ष्य की प्रापित भी कर सकता है। विभिन्न सत्रों में जिन्दगी को और बेहतर बनाने एवं अपने जीवन के सही उददेश्यों एवं लक्ष्यों की प्रापित हेतु यह बताया जायेगा कि यह जरूरी है कि व्यकित शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा अध्यातिमक पक्षों पर ध्यान दें।
प्रतिभागियों द्वारा इस अवसर पर अपने अनुभव में कहा कि जीवन में पहली बार पाठयक्रम की शिक्षा के मध्य इस कार्यशाला के प्रशिक्षण से हमें जीवन में परिवर्तन की आहट महसूस होने लगी है। कार्यशाला का संचालन विधालय के सभागार में आज प्रात: 09 बजे से अपरान्ह 12 बजे तक किया गया।
ज्ञातव्य हो कि कार्यशाला महिला कालेज में कार्यरत सांस्कृतिक पीठ इला कौल कमल सृजन पीठ के साफ्ट सिकल्स क्लब के तत्वाधान में महिला विधालय द्वारा यह अभिनव प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें एक एक सप्ताह की प्रशिक्षण कार्यशाला में चालीस छात्राओं के प्रशिक्षण के कार्यक्रम में भाग लिया। जिसमें सवांद की तकनीकें, सार्वजनिक व्याख्यान देने की कला, आत्मविश्वास का निर्माण, तनाव एवं गुस्से पर नियंत्रण की विधा, लक्ष्यप्रापित एवं समय के प्रबंधन की तकनीके, स्मरण शकित का विस्तार, एकाग्र होने का अभ्यास एवं शकित का विकास एवं सम्बंधों में सकारात्मक बन्धनों का विकास सहित अन्य विषयों पर व्यवहारिक एवं अभ्यासगत प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 09, 12, 19, 20 एवं 21 दिसम्बर को विधालय के सभागार में प्रात: 09 बजे से अपरान्ह 12 बजे तक संचालित होता रहेगा। दिनांक 28 नवम्बर 2013 को इसी विषय पर परिचयात्मक व्याख्यान देते हुए डा0 रशिमी सोनी कहा था कि व्यकितत्व एवं दृषिटकोण विकास के कर्इ आयाम है। उनके द्वारा विधालय में वर्ष भर ऐसे कर्इ प्रशिक्षण कार्यक्रम भी विधालय की छात्राओं हेतु आयोजित होंगेे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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