भारत का संविधान देश के सभी नागरिकों के लिए बराबरीए आजादीए न्या य एवं आत्म सम्माशन सुनिश्चित करता है और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निशक्त जनों समेत सभी नागरिकों के लिए एक समावेशी समाज के निर्देश दिए है। विभिन्ना विषयों को लेकर संविधान में उल्लेिखित अनुसूचियों में निशक्तहजनों के शक्तिकरण की प्रत्यिक्ष जिम्मेेदारी राज्यत सरकारों को दी गई है। इस वजह से निशक्तयजनों के सशवक्तिकरण की प्राथमिक जिम्मेशदारी राज्यो सरकारों पर भी हैं। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में विभिन्नश प्रकार के व्यायधियों से ग्रस्तै लोगों की संख्यास 2ण्19 करोड़ है जो देश की कुल आबादी का 2ण्13 प्रतिशत है। इनमें दृष्टिबाधिताए सुननेए बोलनेए चलने.फिरने में लाचार और मानसिक निशक्तवता से पीडि़त लोग शामिल हैं।
भारत श्श्एशिया प्रशांत में निशक्तबजनों की बराबरी और पूर्ण भागीदारी से जुड़े समझौतेश्श् पर हस्ताोक्षर कर चुका है। इसके अलावा भारत ने एक समावेशी बाधारहित और अधिकारयुक्तस समाज की दिशा में प्रयत्नरशील श्बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्कश्श् समझौते पर भी हस्ताुक्षर किये है। भारत ने निशक्त्जनों के अधिकारों और अस्मिता की सुरक्षा तथा उसे बढ़ावा देने के संयुक्तस राष्ट्रत सम्मेतलन पर भी हस्ता क्षर किये है और 1 अक्तूाबरए 2008 को इसका अनुमोदन किया था। देश में निशक्त्जनों के लिए वर्ष 2005 में एक राष्ट्रीाय नीति बनाई गई थी। इस नीति में मुख्ये ध्या्न विभिन्नए प्रकार की निशक्तंताओं को रोकनेए ऐसे लोगों के आर्थिक एवं भौतिक पुनर्वास के उपायों पर केंद्रित किया गया है। इस नीति को सरकार एवं अन्य एजेंसियों द्वारा क्रियान्वित किया जाना है। संयुक्तय राष्ट्रस के दिशा.निर्देशों के अनुसार विश्वो में प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीैय निशक्ततता दिवस मनाया जा रहा है।
निशक्त जनों के लिए राष्ट्री य संस्थातन
देश की निशक्तन आबादी की विभिन्नन समस्यांओं से कारगर तरीके से निपटने के लिए प्रत्येकक श्रेणी के निशक्त्जनों के लिए निम्ननलिखित राष्ट्रीएय संस्थाीनों की स्थापपना की गई है।
1ण् राष्ट्री य दृष्टिबाधिता संस्थाननए देहरादून
2ण् राष्ट्री य ओर्थोपेडिकली संस्थानन कोलकोता
3ण् अली यावर जंग राष्ट्री य बधिर संस्थाान मुबंई
4ण् राष्ट्री य मानसिक विकलांग संस्थाथनए सिकंदराबाद
5ण् राष्ट्री य पुनर्वासए प्रशिक्षण एवं शोध संस्थादनए कटक
6ण् शारीरिक विकलांग संस्था्नए नई दिल्ली
7ण् राष्ट्री य बहुव्यासधी सशक्तीशकरण संस्थाानए चेन्नसर्इ
ये सभी संस्थाान नई.नई खोजों और ऐसे लोगों की क्षमता में विकास से जुडे प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सेवा प्रदान करने जैसे कार्यक्रमों के लिए मुख्यो रूप से जिम्मेादार है। निशक्त्जनों के लिए देश के पांच समग्र क्षेत्रीय केंद्रों – श्रीनगरए लखनऊए भोपालए सुंदरनगर और गुवाहाटी में क्षेत्रीय पुनर्वास केंद्र हैं। ये केंद्र विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए निशक्ताजनों को व्या पक प्रशिक्षण देकर तथा उनके पुनर्वास में मदद करते है। रीढ़ की हड्डी की चोट के कारण तथा हड्डियों एवं मांसपेशियों में विभिन्नप व्यामधियों से ग्रस्त् लोगों के लिए मोहालीए कटकए जबलपुर और बरेली में चार क्षेत्रीय पुनर्वास केंद्र ऐसे लोगों को बेहतर सेवाएं दे रहे हैं ताकि वे अपना जीवन आत्मंसम्मा न से जिये और दूसरों पर आश्रित न हो। कानपुर स्थित कृत्रिम बांह निर्माण निगम एएलआईएमसीओ सावर्जनिक क्षेत्र का निकाय है जो निशक्तकजनों के लिए सहायक उपकरण बनाने में संलग्नि है। यहां तैयार किये जाने वाले उत्पातदों को भारतीय मानक संस्थाान द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करना जरूरी है। इन उत्पातदों का विपणन क्षेत्रीय विपणन केंद्रों. कोलकोताए मुबंईए चेन्नाईए भुवनेश्वगर और दिल्ली् द्वारा किया जाता है। इसके अलावा राष्ट्री य संस्था.नों और स्वै छिक संगठनों की भी इनमें मदद ली जाती है।
वित्तीीय सहायता
राष्ट्री य विकलांगता वित्त् एवं विकास निगम श्एनएचएफडीसीश् विकलांगजनों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने के लिए उन्हेंी ऋण सुविधाएं प्रदान करने में शीर्ष स्त र का वित्तीकय संस्था न है। राज्यभ सरकारोंध्संघशासित प्रदेशों और गैर.सरकारी संगठनों द्वारा अधिकृत विभिन्न् एजेंसियों के माध्य।म से अनुदान राशि वितरित की जाती है। यह निगम स्नानतक एवं उच्चं शिक्षा के लिए ऋण सहायता उपलब्धअ कराता है। इसके अलावा यह उनकी तकनीकी एवं व्याषपारिक कौशल के उन्नयनए उनकी उत्पा दन इकाईयों के बेहतर प्रबंधन में भी सहायता करता है। केंद्र सरकार विकलांगजनों के लिए सहायक उपकरणों एवं मशीनों की खरीद के लिए एक सहायता योजना क्रियान्वित कर रही हैं। इस योजना का मुख्यं लक्ष्य जरूरतमंद निशक्तयजनों को उनके काम में आने वाले बेहतरए टिकाऊए वैज्ञानिक रूप से निर्मित उपकरणों की खरीद में सहायता करना है जिससे उनके भौतिक सामाजिक एवं मानसिक पुनर्वास को बढ़ावा मिल सके और वे अपनी विकलांगता के प्रभाव को कम करते हुए अपनी आर्थिरक समताओं में वृद्धि कर सके। यह योजना एजेंसियों जैसे स्वैतछिक संगठनोंए सामाजिक न्या्य एवं आधिकारिक मंत्रालय के तहत राष्ट्री य संस्थाेनों एएलआईएमसीओए जिला परिषदोंए जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों के द्वारा लागू की जाती है। इस तरह के कार्यों में जुड़ी क्रियान्वजयन एजेंसियां सहायक उपकरणों एवं मशीनों की खरीदारी उनके निर्माण एवं वितरण के लिए अनुदान राशि उपलब्धक कराती है। इस योजना में ऐसे लोगों के चिकित्साए सर्जरी भी शामिल हैं ताकि इसके बाद उनमें इस तरह के उपकरण अथवा कृत्रिम अंग बखूबी लगाए जा सके।
कानूनी उपाय
सर्वोच्चप न्या यालय के निर्देश
सर्वोच्चप न्या यालय ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में सरकार को निशक्तजजनों को आवंटित किए गए तीन प्रतिशत आरक्षण को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। सर्वोच्चज न्याियालय ने सरकार को यह भी निर्देश दिए हैं कि वह निशक्तद.जनों के मानवीय अधिकारों की रक्षा करे और सार्वजनिक स्था नों और दफ्तरों में उनके लिए बाधारहित माहौल को सुनिश्चिमत बनाया जाए।
निशक्तजजन अधिनियमए 1995
फरवरी 1996 से निशक्ताजन ;समान अवसरए अधिकार सुरक्षा एवं पूरी भागीदारीद्ध अधिनियमए 1995 के नाम से एक विस्तृ्त कानून लागू किया गया है। इस कानून में केंद्रीय व राज्यर दोनों स्त5रों पर शिक्षा रोजगार एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे पुनर्वास के निवारण व प्रोत्सारहन संबंधी पहलुओंए बाधारहित माहौल के निर्माणए निशक्तनजनों के लिए पुनर्वास सेवाओं के प्रावधानए संस्थाधगत सेवाओं और सहयोगी सामाजिक सुरक्षा युक्तियों जैसे बेरोजगारी भत्ता और शिकायतों के निपटान के प्रावधान है। निशक्तहजनों के बारे में मुख्य आयुक्तत निशक्तरजन ;समान अवसरए अधिकार सुरक्षा एवं पूरी भागीदारीद्ध अधिनियमए 1995 की धारा 57 के अंतर्गत नियुक्तं किए गए एक महत्वरपूर्ण वैधानिक अधिकारी हैं। मुख्यध आयुक्तय के कार्यों और कर्तव्योंज में निशक्तनजनों के लिए राज्य आयुक्तोंा के कामों का ताल.मेल बनाए रखनाए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अनुदानों के उपयोग पर निगरानी रखनाए निशक्तोजनों को दिए गए अधिकारों एवं सुविधाओं की रक्षा के लिए कदम उठाना और निशक्तोजनों को अधिकारों से वंचित रखे जाने पर की गई शिकायतों पर गौर करना शामिल है। मुख्या आयुक्त निशक्तिजनों के लिए बने किसी नियम. कानून को लागू न किए जाने पर इस मामले का स्वितरू संज्ञान ले सकते है और गवाहों को बुलानेए उनका पता लगानेए पुनरू पूछताछ और किसी प्रकार के दस्ता वेजों को पेश करने संबंधी नागरिक न्याूयालय के अधिकार रखते है। निशक्त जनों के लिए राष्ट्री य न्या स ऑटिज़्ंमए सेरीब्रल पल्सीाए मानसिक विकलांगता और विभिन्ना प्रकार की व्याकधियों संबंधी अधिनियमए 1999 के अंतर्गत स्थातपित की गई एक वैधानिक संस्थाऔ है।
इस न्यानस का मुख्यं उद्देश्यप ऐसी व्यााधियों से ग्रस्त। व्यकक्तियों को जहां तक संभव हो सकेए आत्मनिर्भरता से जीने के समर्थ व सशक्त बनानाए आवश्य कता आधारित सेवाएं प्रदान करने वाले संगठनों के पंजीकरण के लिए सहयोग बढ़ाने और आवश्य कता पड़ने पर निशक्ताजनों के कानूनी संरक्षक नियुक्तढ करने की प्रक्रिया शुरू करना है।
भारतीय पुनर्वास परिषद
भारतीय पुनर्वास परिषद 1992 के भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम के अंतर्गत स्था पित की गई एक वैधानिक संस्था9 है। यह परिषद पुनर्वास के क्षेत्र में विभिन्नत प्रकार के पेशेवरों के लिए प्रशिक्षण नीतियां व कार्यक्रम विधिवत रूप से तैयार करने व विशेष शिक्षा का दायित्वं संभालता है। इसके कार्यों में देशभर में सारे प्रशिक्षण संस्था नों में विभिन्नक स्तररों पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को नियंत्रित करनाए पारस्पतरिक आधार पर देश में व देश के बाहर निशक्त्जनों के पुनर्वास के क्षेत्र में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थाेनोंध्विश्विविद्यालयों को मान्यतता प्रदान करनाए पुनर्वास और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में शोध को प्रोत्सााहन देनाए पुनर्वास के क्षेत्र में मान्याता प्राप्तर योग्येताएं रखने वाले पेशेवरों के लिए एक केंद्रीय पुनर्वास पंजीकरण प्रक्रिया का रख.रखाव और विकलांगता के क्षेत्र में काम कर रही संस्था ओं के सहयोग से पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों को जारी रखने को प्रोत्सा हन देना है।;पसूकाद्ध
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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