समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी ने बताया है कि राज्य कर्मचारियों के एक वर्ग का अनिशिचत कालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय अनपेक्षित और असामयिक है। उत्तर प्रदेश इन दिनों कर्इ चुनौतियों से गुजर रहा है। प्रदेश के विकास के लिए समाजवादी पार्टी सरकार और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव शपथ ग्रहण के दिन से ही प्रतिबद्ध है और जनहित के तमाम काम अंजाम दिए जा रहे हैं। जब श्री मुलायम सिंह यादव ने सत्ता छोड़ी थी तब सरकारी खजाने में 25 हजार करोड़ रूपए छोड़े थे। इसके विपरीत बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री जाते-जाते 24 हजार करोड़ का कर्ज बिजली के मद में ही छोड़ गर्इ है। बसपा सरकार से विरासत में खाली खजाना और पंगु प्रशासन मिला था। प्रदेश को फिर विकास की पटरी पर लाने का डेढ़ वर्ष में अथक प्रयास हुआ है।
राज्य कर्मचारियों को यह बात भूलनी नहीं चाहिए कि समाजवादी पार्टी सरकार ने उनके प्रति सर्वाधिक सहानुभूति जतार्इ है और उनके हित में कर्इ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। विगत डेढ़ वर्ष में राजकीय कर्मचारियों के वेतन में लगभग 27 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि की गर्इ है। उनको विभिन्न पदो पर आवेदन की आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट देने का शासनादेश जारी किया गया है। इससे सामान्य श्रेणी के कर्मचारी 45 वर्ष की आयु तक राजकीय सेवाओं में आवेदन का लाभ उठा सकते हंै। राज्य कर्मियों को प्रोन्नति तथा वेतन भत्तो के भी लाभ दिए गए है। राज्य कर्मियों को चिकित्सा की सुविधा के साथ अवरूद्ध पदोन्नति प्रक्रिया को भी प्रारम्भ किया गया है। परिवीक्षा अवधि के अवरोध दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मृतक आश्रितों की भर्ती और सफार्इ कर्मियों की भर्ती की नियमावली बन रही है। अभियन्ताओं की समस्याएं हल की जा रही है।
सबसे बढ़कर बात तो यह है कि संसद में श्री मुलायम सिंह यादव ने प्रोन्नति में आरक्षण का अकेले विरोध कर सामाजिक विषमता को फैलने से रोका था। कांग्रेस, भाजपा और बसपा ने प्रोन्नति में आरक्षण का समर्थन किया है। इनकी साजिश सफल हो जाती तो अगड़े-पिछड़ों, मुसिलमो, अनुसूचित वर्गो के बीच में विद्वेष फैलता। जूनियर सीनियर बन बैठता और सीनियर को जूनियर के नीचे कुंठाग्रस्त होकर काम करना पड़ता।
राज्य कर्मचारियों को यह भी समझना चाहिए कि भाजपा जैसे दल उनका समर्थन कर उनके हितो को ही आघात पहुचा रहे हैं। उनकी कुचक्री राजनीति में कर्मचारियों को नहीं फंसना चाहिए। विपक्षी दलों की सरकारों में राज्य कर्मचारियों को सिवा अपमान के कुछ हासिल नहीं हुआ। बसपा सरकार में तो राज्य कर्मियों को क्या आर्इएएस, आर्इपीएस अफसरों तक की हिम्मत अपनी आवाज उठाने की नहीं होती थी। श्री अखिलेश यादव ने लोकतंत्र बहाल किया और सबको सम्मान दिया हैं। राज्यकर्मियों को विकास के रास्ते में अवरोध खड़े करने के विपक्षी प्रयासों में सहभागिता से बचना चाहिए क्योंकि प्रदेश की खुशहाली में उनकी भी खुशहाली निहित है। उन्हें हड़ताल नहीं, वार्ता से समस्याएं सुलझाना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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