समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी ने बताया है कि कुछ लोगों को खून लगाकर शहीद बनने का शौक होता है। प्रदेश में अचानक कुछ दलों को गन्ना किसानों की चिन्ता सताने लगी है। धरना-प्रदर्शन और आंदोलन के अखबारी बयान आने लगे हैं। वह भी तब जबकि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने चीनी मिलों को इसी महीने पेरार्इ शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होने यह भी कहा है कि तय वक्त पर पेरार्इ शुरू न होने पर चीनी मिलों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। इस फैसले के बाद भी अगर कोर्इ दल आंदोलन या प्रदर्शन की बात करता है तो यह अवसरवादी राजनीति का भोंड़ा प्रदर्शन ही कहा जाएगा। ऐसा करनेवाले किसानों के हित चिन्तक नहीं बलिक उसके हितों से खिलवाड करने वाले हैं।
श्री मुलायम सिंह यादव की सरकार के कार्यकाल में ही उत्तर प्रदेश में रिकार्ड चीनी उत्पादन के साथ गन्ना उत्पादकों को सर्वाधिक मूल्य प्रदान करने वाला देश में यह पहला राज्य बना था। तभी राज्य में भी चीनी मिलों की स्थापना हुर्इ थी और गन्ना उत्पादन के लिए विभाग द्वारा 7 नर्इ गन्ना प्रजातियां विकसित की गर्इ थी। इसके विपरीत केन्द्र से कांग्रेस की किसान विरोधी नीतियों के चलते गन्ना किसानों की दशा बिगड़ती गर्इ है। सम्पूर्ण कृषि क्षेत्र ही सिकुड़ता गया है।
पिछली बसपा सरकार के समय तो किसानों की बड़ी दुर्दशा हुर्इ। न तो किसानों को उचित और लाभप्रद दाम मिले और नहीं चीनी मिलो से बकाया भुगतान हुआ। उस दौर में तो पशिचमी उत्तर प्रदेश में कर्इ जगह किसानों को अपना गन्ना खेत में ही जलाना पड़ गया था। तब समाजवादी पार्टी ने ही गन्ना किसानों के हितो की लड़ार्इ लड़ी थी। आज समाजवादी पार्टी सरकार ही किसानों के लिए सर्वाधिक योजनाएं अमल में ला रही है। मुख्यमंत्री जी ने गन्ना किसानों का 2500 करोड़ रूपए गन्ना मूल्य बकाया का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। जल्द ही लाभप्रद गन्ना मूल्य का निर्धारण भी होने वाला है।
समाजवादी पार्टी सरकार विकास के जिस एजेण्डा पर काम कर रही है उसमें विपक्षी रोड़ा अटकाने में लगे हंै। कांग्रेस और भाजपा को मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की बढ़ती लोकप्रियता से परेशानी है तो बसपा अपनी सत्ता खोकर बौखलार्इ हुर्इ है। रालोद जैसे दल अपने असितत्व के लिए संघर्ष कर रहे है। उनकी कहीं कोर्इ जमीन नहीं बची है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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