उत्तर प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री श्री राम मूर्ति वर्मा ने कहा कि दुग्ध उत्पादन की वृद्धि से प्रदेश को समृद्ध किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2012-13 में गोकुल पुरस्कार की धनराशि को दोगुना करते हुए 22,000 रुपए दिया जा रहा है। प्रदेश को दुग्ध पदार्थों का बड़ा बाजार बताते हुए उन्होंने कहा कि दुग्ध विकास क्षेत्र को प्रतियोगी बनाने के लिए अगले वर्ष से प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पाने वाले को एक लाख रुपए, द्वितीय को 75 हजार रुपए एवं तृतीय स्थान पाने वाले को 51 हजार रुपए प्रदान किए जाएंगे।
दुग्ध विकास मंत्री ने ये विचार आज लाल बहादुर शास्त्री किसान गन्ना संस्थान, डालीबाग लखनऊ में वर्ष 2012-13 का गोकुल पुरस्कार वितरण समारोह में व्यक्त किए। दुग्ध समितियों एवं दुग्ध उत्पादन स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने का सशक्त माध्यम बताते हुए श्री वर्मा ने कहा कि ग्राम स्तर पर पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय कृषि के सह व्यवसाय के रूप में प्रचलित है, इसमें 70 से 80 प्रतिशत भूमिहीन, लघु एवं सीमान्त कृषकों की सहभागिता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रति व्यकित 289 ग्राम दुग्ध उपलब्धता है, जिसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। इसी क्रम में प्रदेश में नर्इ डेरी लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दुग्ध विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 97941 ग्रामों में से वर्तमान में 13000 ग्रामोें में दुग्ध समितियांदुग्ध समूह कार्यरत हैं, जिनमें स्वरोजगार के लिए गाय एवं भैंस पालन कर दुग्ध उत्पादन व विक्रय महत्वपूर्ण सहरोजगार के रूप में अपनाया जा रहा है।
इस अवसर पर श्री राम मूर्ति वर्मा ने अपने जनपद में सर्वाधिक उत्पादन करने वाली 71 दुग्ध समितियों को गोकुल पुरस्कार वितरित किया गया, जिसमें से 23 महिला दुग्ध उत्पादक सदस्य अपने-अपने जनपदों में प्रथम स्थान पर रही हैं। कासिमपुर गढ़ी दुग्ध समिति लखनऊ की सदस्य श्रीमती बिटाना देवी को इस वर्ष आठवीं बार तथा महिला नगला खदाना दुग्ध समिति बुलन्दशहर की सदस्य श्रीमती सुमन्तरा को सातवीं बार पुरस्कार पाने का गौरव प्राप्त हुआ। इस वर्ष खाद गूजर समिति अमरोहा के सदस्य श्री जितेन्द्र सिंह ने सर्वाधिक 85200 लीटर दुग्ध उत्पादन कर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया। गोकुल पुरस्कार में एक कृषक को 22000 रुपये के नकद पुरस्कार के साथ पीतल धातु पर गाय के साथ दूध पीता हुआ बछड़ा व श्रीकृष्ण की मूर्ति की शील्ड भी प्रदान की गर्इ।
इस मौके पर दुग्ध विकास विभाग के सलाहकार श्री सुनील सिंह यादव ने कहा कि दुग्ध व्यवसाय द्वारा अधिकाधिक रोजगार सृजन की नीति के अनुसार राष्ट्रीय कृषि योजनान्तर्गत वर्तमान वित्तीय वर्ष 2012-13 से प्रथम चरण में प्रदेश के 55 जनपदाेंं में सघन मिनी डेरी परियोजना लागू की गयी है जिसमें 2 दुधारू पशुओं की 3805 मिनी डेरी इकाइयां बैंक ऋण एवं शासकीय अनुदान के माध्यम से स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों को दो के गुणांक में दो दुधारू पुशओं की एक से पांच इकार्इयां चुनने का विकल्प भी योजनान्तर्गत किया गया है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए 14.34 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी है। इस योजना में अनुसूचित जातिजनजाति के लाभार्थियों को इकार्इ लागत का 25 प्रतिशत अनुदान देय है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रमुख सचिव दुग्ध विकास श्री कुमार अरविन्द सिंह देव कहा कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ इस क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम को सचिव दुग्ध विकास श्री राम बहादुर ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की समापित पर प्रमुख सचिव श्री कुमार अरविन्द सिंह देव ने दुग्ध विकास मंत्री को प्रतीक चिन्ह व शाल भेंट की।
इस अवसर पर दुग्ध विकास विभाग एवं प्रादेशिक कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन लि0 के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं विभिन्न जनपदों से आए दुग्ध उत्पादक उपसिथत थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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