भगवान रुठ जायें तो चिंता करने की आवश्यकता नही है किन्तु इस बात का जरुर ध्यान रहे कि जीवन मे कोर्इ संत न रुठने पायें । जीवात्मा और परमात्मा के बीच संत ही ऐसा है जो परमात्मा को जीवात्मा से मिला सकता है । यह विचार कथावाचक एवं आकाशवाणी वाराणसी के प्रवäा प्रकाश चन्æ पाण्डेय ने सोनबरसा में श्रीराम कथा के पांचवें दिन व्यä किये ।
रामापुर की ग्राम प्रधान अंगना देवी एवं पूर्व बीडीसी त्रियुगी यादव की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा को सम्बोधित करते हुए पं. प्रकाश चन्æ पाण्डेय ने कहा कि श्रीराम चरित्र मानस मे अरण्यकाण्ड पर अपना प्रवचन करते हुए कहा कि इस काण्ड में नारी धर्म पर सबसे अधिक चर्चा की गयी है और नारी धर्म का स्पष्ट निरुपण किया गया है । उन्होने कहा कि आज की कोर्इ सास अगर अपनी बहू को घर से बेघर कर दे तो वह उसके जान लेने के तैयार हो जाती है किन्तु मां सीता ने ƒ† साल का बनवास दिलवाने वाली कैकेयी मां को वन जाते समय सबसे अधिक समय दिया और उनके पांचव दबाने लगी तो सुबह हो गयी । सीता उसी संघर्ष को आज याद किया जाता है जो उनके विपत्तितयोंं के थे उनके ऐशो आराम के दिन का इतिहास याद नही करता।
भगवान राम ने शबरी से सातवीं भä मिें कहा है कि जिस तरह से वह उन्हे सम्मान दे रही है इससे कही ज्यादा संत को सम्मान दे । संत रुठे तो भगवान को मनाना मुशिकल होगा । कथा के बीस सपा के प्रत्याशी शकील अहमद के कथा में पहुंचने पर कथा वाचक पाण्डेय ने कहा कि सभी धर्मो का एक आधार और एक ही उददेश्य है । सिर्फ बदली है तो भाषा । उन्होने कहा आप स्वयं देख सकते है अंग्रेजी की वर्णमाला में छरू अक्षर मदिर में तो छरू अक्षर मसिजद और चर्चा में है । गीता, कुरान और बार्इबिल में अक्षर तथा अल्लाह भगवान और गाड के अक्षर भी समान है । र्इश्वर से प्रार्थना करने का भी एक है सिर्फ अल्फाज बदले है ।
इस मौके पर पूर्व ब्लाक उप प्रमुख प्रभाकर पाठक, रामेश्वर प्रसाद यादव, जगतपाल यादव, राम जतन, राम बदन आदि मौजूद रहे ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com