माता-पिता, आचार्य को देवता मानो, सदा सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो, अच्छा आचरण ही श्रेष्ठ अनुशासन है।उक्त उदगार महामहिम राज्यपाल बी0एल0 जोशी ने डा0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविधालय के 79 वें दीक्षान्त समारोह में विधार्थियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है, सिर्फ उस प्रतिभा को सुन्दर आकार देने, सही दिशा देने और मूल्यपरक शिक्षा दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कभी दुनिया के श्रेष्ठतम विधालय हुआ करते थे। तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला और बल्लभी जैसे ज्ञान के प्राचीन केन्द्रों के चलते ही भारत वर्ष ने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाया था। हमें अपने इस गौरव को नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने चिन्ता प्रकट करते हुए कहा कि विश्व के श्रेष्ठतम विश्वविधालयों में भारत का एक भी विश्वविधालय नहीं है। और हमारे शोध वैशिवक मानचित्र पर भी पहचान नहीं बना पाये हैं। इस पर गम्भीरता के साथ विचार करना होगा, विधार्थी एवं शिक्षक मिलकर प्रयास करें तो कुछ भी असम्भव नहीं है। शिक्षा व्यवस्था में नवोन्वेषण और परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है। उसे उत्तरोत्तर विश्व स्तर को बनाने की आवश्यकता है। हमारी प्रतिभाओं का पलायन हमें चिनितत करता है, इसे तभी रोका जा सकता है, जब हम उन प्रतिभाओं को यहीं अवसर देंगे तभी समाज को एक गति मिलेगी।
मा0 राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि विधार्थियों के लिए किसी भी विश्व विधालय की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है, यहीं उनके अन्दर छिपी प्रतिभा को निखारा जाता है, उनका संस्कार किया जाता है और उनकी अभिरूचियों को एक सही दिशा मिलती है। यहां विभिन्न अभिरूचियों, प्रवृतितयों मन और क्षमताओं वाले असीमित आनुवंशिक गुणों या संस्कारों वाले विधार्थियों के व्यकितत्व को नये रूप में ढाला जाता है, ताकि वे न केवल शालीन बनें, अपितु सही अर्थो में समाज के लिए तत्पर, र्इमानदार, निष्ठावान व देश को समर्पित नागरिक बन सकें।
दीक्षान्त समारोह किसी भी विश्वविधालय के लिए शिक्षा-प्रकि्रया का चश्म बिन्दु माना जाता है। उन्होंने विभिन्न उपाधियां प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधार्इ देते हुये कहा कि उनके माता-पिता एवं अभिभावकों जिनके सपने साकार हो रहे है। उपाधियां प्राप्त करना एक नर्इ जीवन यात्रा की शुरूआत होती है, जहां छात्र-छात्राआें द्वारा अर्जित किये गये ज्ञान को निपुणता की कसौटी पर कसा जाता है। जीवन में कर्इ अवसर आयेंगे जब बहुत कुछ सफलता आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। आपका परिश्रम, अनुशासन प्रतिबद्धता एवं दृढ़ संकल्प ही कठिनाइयों में काम आयेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में योजना आयोग भारत सरकार के सदस्य एवं पूर्व कैबिनेट सचिव, पदम विभूषण श्री बी0के0 चतुर्वेदी ने दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुये छात्र-छात्राओं के सुखद भविष्य की कामना की।
79 वे दीक्षान्त समारोह में सबसे अधिक 15 मेडल कानपुर की डा0 कुसुम गुप्ता को दिये गये
कुल 84 गोल्ड, 11 सिल्बर मेंडल प्रदान किये गये। इसके अतिरिक्त कुल 571 शोध छात्र- छात्राओं को भी उपाधियां प्रदान की गर्इ। इनमें कृषि-35, कला 212, वाणिज्य-55, विधि-03, विज्ञान-114, शिक्षा-42, ग्रह विज्ञान-03, ललित कहा संस्थान-13, प्रबन्धशास्त्र-03, स्कूल आफ लाइफ साइंसेस-62 तथा के एम आर्इ के 14 छात्र समिमलित है।
डा0 भीमराव अम्बेडकर विश्व विधालय के कुलपति प्रो. मुजमिमल ने कुलाधिपतिमा0 राज्यपाल श्री बी0एल0 जोशी व योजना आयोग के सदस्य बी0के0 चतुर्वेदी को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
इस अवसर पर मा0 सांसद प्रो0 रामशंकर कठेरिया विधायक जगन प्रसाद गर्ग, मण्डलायुक्त प्रदीप भटनागर, जिलाधिकारी जुहेर बिन सगीर, विश्वविधालय के कुलसचिव डा0 बी0के0 पाण्डे सहित विभिन्न अधिकारीगण छात्र-छात्राएं उपसिथत थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com