आगरा जनपद के दीवानी न्यायालय में आगामी 23 नवम्बर को आयोजित वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में जनपद के राजस्व तथा चकबन्दी से संबंधित अधिकतम वादों का निस्तारण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। जनपद में राष्ट्रीय लोक अदालत की कार्रवाइयों को सफल बनाने के लिए इस हेतु नामित नोडल अधिकारी अपर जिला न्यायाधीश जे0के0 सिंह ने यह जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के चकबंदी आयुक्त एल0 वेंकटेश्वर लू ने जिलाधिकारी व जिला उप संचालक चकबन्दी व बन्दोबस्त अधिकारियों को एक परिपत्र भेजकर इस दिन चकबन्दी के अधिकतम वादों का निपटारा किये जाने पर बल दिया है। परिपत्र में न्यायमूर्ति जी0एस0 सिंघवी, न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय से हुर्इ बैठक में रखे गये उनके दृषिटकोंण का संदर्भ दिया गया है जिसके अनुसार 23 नवम्बर 2013 को बड़ी संख्या में वादों का निस्तारण करके एक आदर्श स्थापित किया जा सकता है। साथ ही इससे विवादों के निपटारे के वैकलिपक उपाय के असितत्व के साथ-साथ जनता के मसितष्क में न्यायपालिका के लिए एक सकारात्मक प्रभाव पडे़गा। न्यायमूर्ति सिंघवी जो राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं, ने समझौते के आधार पर निस्तारित हो सकने वाले व उपयुक्त वादों को चिनिहत कर राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रस्तुत कर निस्तारित करने के निर्देश दिये हैं।
नोडल अधिकारी श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश के चकबन्दी आयुक्त के निर्देशों के क्रम में जनपद आगरा में अधिकतम चकबन्दी वादों के निस्तारण की कार्रवार्इ हेतु उन्हें चिनिहत करने की प्रकि्रया आरम्भ हो गयी है। इसी प्रकार आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद उ0प्र0 ने भी जिलाधिकारी को पत्र भेजकर सभी प्रकार के चिनिहत राजस्व वादों को इस वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से प्रस्तुत कर निस्तारित करने के निर्देश दिये हैं।
आयुक्त, राजस्व परिषद के अनुसार अविवादित दाखिल खारिज के मामले, भू-राजस्व अधिनियम की धारा 28, 3339, 33 ए एवं 41 तथा जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 176 के वाद इस हेतु उपयुक्त हैं। उनके अनुसार उपयर्ुक्त प्रकार के वादों में मुख्य विवाद पक्षकारों के मध्य ही होता है तथा ऐसे वाद आपसी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित किये जा सकते हैं। उक्त वादों के लमिबत रहने के कारण न केवल जन सामान्य को अनावश्यक रूप से विभिन्न न्यायालयों में भाग दौड़ करनी पड़ती है वरन कृषि प्रधान देश में राष्ट्र को अन्यथा अपूर्णनीय क्षति भी सम्भाव्य होती है।
उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य-सचिव ने इस राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिकाधिक राजस्व वादों को नियत व निस्तारित किये जाने हेतु मण्डलायुक्त से भी अनुरोध किया है कि वह इस हेतु राजस्व अधिकारियों को भी उचित निर्देश दें।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न न्यायालयों व प्राधिकरणों में चल रहे ऐसे वादों जिन्हें आपसी सुलह व मध्यस्थता के माध्यम से निपटाया जा सकता है, की संख्या में कमी करने की
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर व उनकी मानीटरिंग में की जा रही है। एक अभियान के रूप में 23 नवम्बर 2013 को यह राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित की जायेगी। यधपि आगरा में दीवानी कचहरी न्यायालयों में समय-समय पर लोक अदालतों का आयोजन तथा वादों का निस्तारण किया जाता रहा है लेकिन इस बार 23 नवम्बर 2013 को लगभग 50 हजार लंबित वादों के निस्तारण का लक्ष्य रखा गया है। जनपद न्यायाधीश शशिकांत के अनुसार इन चिनिहत वादों में सिविल, कि्रमिनल, पारिवारिक, राजस्व, मोटर एक्ट, आयकर, चकबन्दी आदि विभिन्न प्रकृति के चिनिहत वादों को निस्तारित किए जाने की तैयारियां की जा रही हैं
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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