विवेकानंद के मार्ग पर चलकर ही भारत सारी दुनिया में अजेय राष्ट्र हो सकता है। राजधानी के आशियाना क्षेत्र में समता विचार संस्था एवं सूर्य नारायण न्यास के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित Þविवेकानंद और भारत के युवाß विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ताओं ने विवेकानंद के सपनों वाला समाज बनाने की अपील की।
मुख्य अतिथि स्वामी सुजयानंद ने राष्ट्रनिर्माण विवेकानंद सिद्धांत पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के जीवन के अनेक संस्मरण सुनाये और कहा कि कुछ लोग मानते हैं कि मात्र सत्ता परिवर्तन से ही समाज बदल जाते हैं। लेकिन सामाजिक परिवर्तन का काम सत्ता परिवर्तन से नहीं होते। सामाजिक क्रानित के लिये सबको जुटना होता है।
मुख्य वक्ता विधान परिषद सदस्य âदयनारायण दीक्षित ने तरूणार्इ की परिभाषा की और कहा कि युवा होना सिर्फ कम उम्र का होना नहीं है। तरूणार्इ की अनुभूति के साथ उम्र का कोर्इ बंधन नहीं। 80 बरस के युवा देखे गये हैं और 25 बरस के वृद्ध। सतत जिज्ञासा, सतत स्वप्न सतत कर्म सतत मस्त मन और स्वप्न-उमंग से भरपूर आत्मचेतन का नाम युवा है। स्वप्नहीनता और निराशा ही बुढ़ापा है। गहन आशा और शिव संकल्पों वाला मन ही तरूणार्इ है। मनुष्य की तरह राष्ट्र भी जीवमान सत्ता हैं। राष्ट्र भी उम्र से बूढ़े नहीं होते, कम उम्र के राष्ट्र युवा नहीं होते। पाकिस्तान की उम्र अभी 65 बरस ही है और भारत हजारों वर्ष प्राचीन। तो क्या भारत बूढ़ा है? और पाकिस्तान युवा? नहीं भारत चिरयुवा ही है और पाकिस्तान इतिहास के मध्यकाल में ही जीने के कारण बूढ़ा है।
श्री दीक्षित ने कहा कि भारत में अनेक समूह थे, अनेक जातियां और क्षेत्रीयताएं भी थीं। तमाम विविधिता के बावजूद यहां सांस्कृतिक एकता थी, इसी सांस्कृतिक एकता के कारण तमाम विदेशी हमलों के बावजूद भारत एक राष्ट्र रहा। विवेकानन्द इसी सांस्कृतिक अधिष्ठान के लिए भारत के साथ ही विश्व के सभी जाति समूहों में भी एक विशेष अभियान चाहते थे। स्वामी जी ने कहा था Þहमें भारत में बसने वाली और भारत के बाहर बसने वाली सभी जातियों के अंदर प्रवेश करना होगा। इसके लिए हमें कर्म करना होगा और इस काम के लिए मुझे युवक चाहिए।ß उन्होंने युवकों का आहवान किया Þतुम्हारे भविष्य को निशिचत करने का यही समय है।ß श्री दीक्षित ने कठोपनिषद, गीता, वैदिक साहित्य और यूनानी दार्शनिकों के उदाहरण देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने वेदान्त को वैज्ञानिक दृषिटकोण से प्रस्तुत किया और अध्यात्म को व्यवहारिक दृषिटकोण से। उनके विचार, कर्म अनुकरणीय हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने राष्ट्रकार्य की महत्ता बताते हुए कहा कि Þमान, अपमान राष्ट्र व संस्कृति का होता है व्यकित का नहीं।ß युवाओं को व्यकितगत मान-सम्मान से ऊपर उठकर राष्ट्र के मान सम्मान की चिंता करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है। ऐसे में भारत विश्व का सबसे बड़ा युवा राष्ट्र है। युवाओं को स्वामी जी से प्रेरणा लेकर राष्ट्र कार्य में लग जाना चाहिए।
इस अवसर पर âदयनारायण दीक्षित द्वारा स्वामी विवेकानंद पर लिखी गर्इ पुस्तक का विमोचन किया गया। गोष्ठी में समता विचार संस्था के पदाधिकारी, लखनऊ विकास प्राधिकरण कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एस0पी0 सिंह, सूर्य नारायण न्यास के सभी पदाधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन ओ0पी0 शुक्ला ने किया तथा अध्यक्षता एयर मार्शल आर0के0 दीक्षित ने की। कार्यक्रम के समापन पर आर0डी0 शुक्ला ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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