कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी के जन्मदिवस पर प्रेस क्लब के सभागार में नादति मंथन व्याख्यानमाला ‘मीडिया में भाषागत चुनौतियां’ पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के आयोजक एन.डी.टी फाउण्डेशन (ट्र0) के बैनरतले कार्यक्रम की अध्यक्षता पं.राम नरेश त्रिपाठी ने एवं संचालन संतोष कुमार जैन ने किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि पूर्व न्यायाधीश गिरधर मालवीय ने अन्य विशिष्ट वक्ताओं कन्दर्प नारायण मिश्र, प्रो.मुश्ताक काजमी, रमा शंकर श्रीवास्तव, नंदल हितैषी, रतन दीक्षित, राम नरेश पिण्डीवासा ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित करके किया। इस अवसर पर संतोष जैन ने वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य पर चर्चा करते हुए कहा कि 50 वर्ष तक शासन करने के बाद आज भी देश में भ्रष्टाचार, मंहगार्इ, घोटाला आदि व्याप्त है। इसी प्रकार न्यायपालिका पर भी उन्होने प्रहार करते हुए कहा कि जब अयोग्य व्यकित संसद में बैठकर कानून बनाये तो निशिचत ही सारी व्यवस्थाएं छिन्न-भिन्न होगी।
वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजी की महत्ता इतनी बढ़ गयी है कि हिन्दी का असितत्व ही समाप्त होता जा रहा है और दो समाचार पत्रों का नाम लेते हुए कहा कि इसने मीडिया में भाषा की गरिमा घटायी है। वरिष्ठ पत्रकार रमा शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि मीडिया में हिन्दी भाषा कंगाल नहीं है, वह 43 भाषाओं से मिलकर बनी है। फिर भी हम अंग्रेजी को लेकर चलना चाहते हैं। कर्इ साहित्यकार व लेखक हो गये परन्तु व्याकरण में कमियों पर ध्यान नहीं देते। आज हिन्दी की जो दुर्दशा हो रही है वह सोचनीय है। नंदल हितैषी ने कहा कि आजादी के समय की पत्रकारिता अलग थी। पहले पत्रकार स्वत: लिखता था और वही प्रूफ रीडर भी था और अखबार भी वही बांटता था। लेकिन आज की पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है। उन्होने कहा कि भाषा में चुनौतियां बहुत है, बहुत नुक्ताचीनी करने पर भाषा मरती है जैसे फारसी व संस्कृत। उन्होने कहा कि किसी पर नुक्ताचीनी करना ठीक नहीं है। मीडिया में चुनौतियां बहुत हैं लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं।
इस अवसर पर इलेक्ट्रानिक चैनल के वीरेन्द्र पाठक ने कहा कि मीडिया में यह गोष्ठी जिनके लिए बहुत उपयोगी था वही आज बहुत कम दिखायी दे रहे हैं। कहा कि नयी मीडिया जिसे सरकार ने भी स्वीकार किया है वही इसके जिम्मेदार हैं। जो 80-90 के दशक से कार्य कर रहा है वह भाषा को नहीं तोड़ रहा है, नयी मीडिया के आने से ही भाषाओं में काफी गिरावट आर्इ है। कहा कि पहले जो पत्रकार गलत भाषा का प्रयोग करता था उसे तत्काल बाहर निकाल दिया जाता था लेकिन आज ऐसा नहीं है। जिसके कारण स्थानीय बोली व भाषा पर संकट गहराता जा रहा है।
अन्त में मुख्य अतिथि ने सभी वक्ताओं के विचारों पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि वक्ताओं ने जो तथ्य रखे हैं वह विचारणीय है और हम सबको उस पर अमल करना होगा। अंत में कहा कि यह सब हमें संस्कारों से मिलता है जो परिवार, शिक्षालय आदि से प्राप्त होता है। कार्यक्रम के दौरान रमा शंकर श्रीवास्तव, नंदल हितैषी, वीरेन्द्र पाठक, सुधीर अगिनहोत्री, प्रो.मुश्ताक काजमी, कन्दर्प नारायण मिश्र, अजामिल व्यास आदि को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। इस दौरान यूनिवर्सिटी स्टूडेन्ट के सम्पादक प्रभाकर भटट, डा. भगवान प्रसाद उपाध्याय, न्याय का प्रहरी के संपादक हरिश्चन्द्र पटेल, अमरजीत सिंह सहित कर्इ पत्रकार व छायाकार उपसिथत रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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