भारत में आज तक यह आम धारणा रही है कि पेंशन केवल सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्तु ;रिटायरद्ध होने वाले कर्मचारियों को ही मिलती है। कुछ प्रतिशत लोगा यह जानते हैं कि बड़े उद्योग धन्धों में काम करने वाले लोगों की भी पेंशन लगती है। यहां यह जानना आवश्य़क है कि पेंशन योजनाओं से हमारा अभिप्राय है क्याी। पेंशन योजनाएं ऐसी व्यशक्तिगत योजनाएं हैं जो आपके भविष्य की प्रतिभूति तथा बुढ़ापे के दौरान वित्तीयय स्थिरता की पूर्व तैयारी रखती है। ये पालिसियां वरिष्ठी नागरिकों और जो सुरक्षित भविष्यत की योजनाएं बना रहे उनके लिए अत्यं।त आवश्यवक हैं इसीलिए आप जीवन में सर्वोत्तभम चीजों को कभी नहीं खोते। स्वेतंत्रता प्राप्ति से लेकर आज तक आम जनता के लिए सामाजिक सुरक्षा के नाम पर कोई बहुत ठोस उपाय नहीं किये गये हैं। इसका एक मुख्य कारण यह भी रहा है कि आम भारतीय अपना रिटायर होने के समय से संबंधित योजनाओं पर गंभीरता से विचारष्.विमर्श नहीं करते हैं। जबकि यह उतना ही आवश्य क है जितना कि कर बचत करने के विषय में सोचना।
सरकार का उद्देश्यब है कि पेंशन का लाभ केवल सरकारी केन्द्री य कर्मचारियों और संगठित श्रमिकों तक ही सीमित न रह कर आम आदमी तक भी पहुंचे। इस उद्देश्यक की पूर्ति के लिए संसद ने पेंशन कोष नियामक तथा विकास प्राधिकरण विधेयक 2011 कर को पारित किया इसके माध्यशम से नई पेंशन प्रणाली ;एनपीएसद्ध के नियमन का अधिकार पेंशन कोष नियामक तथा विकास प्राधिकरण ;पीएफआरडीएद्ध को मिल गया है।
हमारे देश में एक जनवरी 2004 से पूर्व भर्ती हुए कर्मचारियों पर लागू पुरानी पेंशन व्य वस्थाद एक निश्चित लाभ प्रणाली पर आधारित थी। इसके अंतर्गत किसी भी कर्मचारी के रिटायर होने पर एक निश्चित राशि प्रति माह उसे पेंशन के रूप में मिलती थी। यह राशि उस कर्मचारी द्वारा नौकरी में व्ती प त किये गये वर्षों तथा उसके वेतनमान पर निर्भर करती थी। जबकि नई व्यववस्थाव में उसे मिलने वाली पेंशन उसके द्वारा किये गये योगदान तथा शेयर बाजार में उस पर मिलने वाले लाभांश पर आधारित होगी नई पेंशन प्रणाली धन अर्जित करने के साथ.साथ धन की बचत करने पर आधारित की गई है। इसके माध्य म से सरकारी कर्मचारियों को वृद्धावस्थाब आय सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। इससे पेंशनधारी को अपना बुढ़ापा सुविधपूर्वक व्यवतीत करने में सुगमता होगी।
प्रारंभ से ही पेंशन को परिवार के सुरक्षित भविष्या की गारंटी माना जाता रहा है। आम आदमी इस प्रकार की सुरक्षा गारंटी से सदैव वंचित रहा है। पेंशन फंड नियमन व विकास प्रधिकरण विधेयक के पारित होने से देश के लाखों असंगठित मजदूरों के परिवारों में खुशहाली छायेगी ऐसी आशा की जा रही है। देश के आम लोगों को पेंशन स्कीतम का लाभ उपलब्धे हो सके इसके लिए सरकार ने स्वाैवलंबन योजना को लागू किया है। इसमें असंगठित क्षेत्र के श्रमिक और 18 वर्ष से 55 वर्ष तक की आयु का कोई भी भारतीय न्यूे पेंशन स्की म में निवेश कर सकता है इस प्रकार नियमित रूप से नौकरी न करने वाले ओर छोटे.मोटे धन्धोंष में कार्यरत कामगर भी स्वै च्छिक आधार पर इस योजना में सम्मिलित हो सकेंगे। इस योजना के अंतर्गत सदस्य बनने वाले सदस्यों् के योगदान के साथ.साथ नियोक्ता भी अपना अंश जमा करवायेंगे। नियोक्तार द्वारा इस योजना में कर्मचारियों के वेतन का दस प्रतिशत तक के अंशदान को व्ययवसाय के खर्च के तौर पर सम्मिलित किया गया है जबकि वर्तमान में नियोक्ताद द्वारा न्यू् पेंशन स्कीखम में किये जा रहे अंशदान को व्य वसाय के खर्च के रूप में सम्मिलित करने की पात्रता नहीं है। इस योजना के अंतर्गत नियोक्ताह को अंशदान पर आयकर में छूट प्राप्त होगी। स्वायवलंबन योजना के अंतर्गत अब फंड से पैसा निकाले की आयु 50 वर्ष अथवा 20 वर्ष की अवधि जो भी अधिक हो कर दी गई है। इससे पूर्व इस फंड से धन 60 वर्ष की आयु के बाद ही निकाला जा सकता था।
स्मिरणीय है कि इस क्षेत्र में कई वर्षों से पेंशन फंड नियमन ओर विकास प्राधिकरण कार्यरत था परंतु प्राधिकरण के पास किसी प्रकार के संवैधानिक अधिकार न होने के कारण वांछित परिणाम सामने नहीं आ रहे थे। इस विधेयक के पारित होने से प्राधिकरण ;पीएफआरडीएद्ध को संवैधानिक अधिकार प्राप्ति हो गये हैं। इस अधिकार के कारण अब प्राधिकरण कहीं अधिक कारगर ढंग से कार्य कर पायेगा। अब तक लोगों का भरोसा भी इस योजना के प्रति कम था जिसमें अब बढ़ोतरी हो सकेगी क्योंतकि यदि कोई व्ययक्ति अथवा संस्थाक इसमें किसी प्रकार का गलत काम करेगी तो प्राधिकरण को उसे दंडित करने का अधिकार प्राप्त् हो गया है। अब जब पेंशन कंपनियां अपना काम अधिक जिम्मेोदारी से करेंगी तो निश्चित तौर पर ग्राहकों को बेहतर सेवा उपलब्धअ होगी।
इस अधिनियम के माध्यधम से सरकार ने अपना दृष्टिकोण स्पतष्टत कर दिया कि देश के सभी नागरिक इस प्रकार की योजनाओं से जुड़ें। इस समय देश के कामगारों का महज 17 प्रतिशत हिस्साप ही पेंशन का लाभ उठा रहा है जबकि 87 प्रतिशत लोग इससे बाहर है। इस अधिनियम के बाद प्रतिवर्ष पेंशन फंड का आकार दोगुना होने की संभावना व्यमक्तल की जा रही है। इस समय यह फंड 34 हजार 965 करोड़ रुपये है। आगामी पांच सालों में यह कितना विस्तृ त हो जाएगा इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार 13वीं पंचवर्षीय योजना तक पेंशन कोष का 35 हजार करोड़ रुपया बढ़ कर आठ.दस लाख करोड़ के आस पास हो जाएगा। इस राशि का एक बड़ा भाग देश में सड़क ओर बिजली उत्पा दन जैसी ढांचागत परियोजनाओं के माध्यभम से विकास कार्यों पर लगाया जाएगा। इससे हमारे देश के ढांचागत आधार का विस्ताजर होगा।
सरकार द्वारा इस तथ्य् का बहुत गंभीरता से अध्यायन करवाने पर ज्ञात हुआ कि असंगठित क्षेत्र में पेंशन उत्पायदों की सबसे अधिक आवश्य कता है। इसकी लोकप्रिय होने की संभावनाएं भी अपार हैं। इसके लिए पीएफआरडीए ने सरकार से मांग की है कि स्वा वलंबन योजना में जो वित्तीैय सहायता दो.तीन वर्षों के लिए दी जा रही है उसे एकमुश्तन 25 वर्षों तक देने की घोषणा की जाये ताकि लोगों का अधिक भरोसा प्राप्त किया जा सके। इससे लगभग 35 करोड़ ऐसे असंगठित लोगों को भी लाभ मिलेगा जिन्हों ने कभी कहीं जम कर कोई नौकरी नहीं की। ऐेस लोग जिनका जीवनयापन रेहड़ी खेमचे और छोटे.मोटे काम धन्धोंह के बल पर होता रहा है। इस योजना को कार्य रूप में लाने के लिए राज्यट सरकारों की महत्व पूर्ण भूमिका रहेगी। ;सरकार ने गलियों में फेरी लगाने वालों के लिए भी पेंशन की घोषणा की है। इस प्रकार इस योजना के दायरे में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कम आय के लोग आएंगे। इसके तहत दस्त कारए छोटे मजदूरए घरेलू काम में लगे लोगए चमड़े का काम करने वले आंगनवाड़ी कार्यकर्ताए ऑटो टैक्सीट चालक ओर कुली इत्या दि भी राष्ट्री य सुरक्षा बीमा योजना का लाभ लेने वाले लोगों को पेंशन मिलेगी।द्ध इस योजना में उन सभी व्याक्तियों को शामिल किया गया है जिन्हेंग केन्रीले य सरकारए राज्य् सरकारए सार्वजनिक क्षेत्र आदि के अंतर्गत रिटायरमेंट का लाभ नहीं मिल रहा।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीवन बीमा कंपनियों ने कुछ वर्ष पूर्व पर्याप्तश में पेंशन पालिसियां बाजार में प्रस्तु त की थी परंतु धीरे.धीरे उनका आकर्षण कम होने लगा था क्यों कि उनके साथ काफी जोखिम भी जुड़ा हुआ था। ऐसी कंपनियों के साथ धन निवेश करके कइ्र लोग स्वेयं को ठगा महसूस करते थे। ऐसी स्थिति में उन पालिसियों को संपूर्ण पेंशन उत्पा द नहीं कहा जा सकता था। इस अधिनियम के कारण लोग पुनरू इस ओर आकर्षित होने लगे हैं क्योंाकि यह पूरी तरह से पेंशन प्लारून है। इतना ही नहीं अब लोगों को यह जानकारी भी उपलब्ध होगी कि उनके धन का निवेश कहां पर किया जा रहा है। विधेयक में उपभोक्तागओं को अपने धन का निवेश करने के व्या पक विकल्पक उपलब्धि होंगे। इनमें सरकारी बॉण्ड में निवेश का विकल्पा तथा उनकी जोखिम क्षमता के अनुरूप अन्यल किसी कोष में निवेश् का विकल्प भी होगा। इसके माध्यपम से ग्राहक हो एक सीमा के भीतर शेयर बाजार में निवेश करने की अनुमति मिलेगी। अधिनियम में प्रतिभूति की सुरक्षा का भी प्रावधान है।
इसके माध्य म से प्रत्येुक ग्राहक को व्यनक्तिगत पेंशन खाता मिलेगा जिसे चालू खाते में भी बदलने की अनुमति होगी। सरकार ने न्यू् पेंशन योजना खातों में अपने अंशदान की अवधि 3 वर्ष से बढ़ा कर पांच वर्ष कर दी है। ग्राहक स्वोयं अपने लिए फंड मैनेजर और योजना चुन सकेंगे। उन्हेंे अपना फंड मैनेजर बदलने की भी छूट होगी। पेंशन फंड मैंनेजरों में से कम से कम एक सार्वजनिक क्षेत्र से होगा। पेंशन क्षेत्र में विदेशी निवेश् की सीमा भी निर्धारित कर दी गई है। इस प्रकार यह विधेयक विश्व के सामने भारतीय अर्थव्यगवस्था का एक नया चित्र प्रस्तुइत करेगी।
कुछ अर्थशास्त्री इस प्रकार की आशंका व्यीक्त कर रहे हैं कि सामाजिक सुरक्षा वाली धनराशि को अस्थिर स्टााक बाजार में लगाने तथा लोगों की गाढ़ी कमाई के प्रबंधन के लिए एफडी आई की अनुमति देने के प्रावधान उचित नहीं हैं। समाज का एक बुद्धिजीवी वर्ग यह मानता है कि पेंशन के पैसे को शेयर बाजार में निवेश करने की अनुमति एक सही निर्णय नहीं है। फिर भी सरकार ने यह कदम बहुत सोच समझ कर जन हित में ही उठाया है और उसे संसद में विपक्षी दलों का पूरा समर्थन मिलना भी यह दर्शाता है कि इस सुधारवादी कदम से आम आदमी का हित होगा
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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