कृषि और खाद्य प्रंसस्करण उद्योग मंत्री श्री शरद पवार ने कहा है कि खाद्य और पौष्टिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का एकमात्र दीर्घकालिक समाधान अनाज की उपज बढ़ाना है।
विश्व खाद्य दिवस पर अपने संदेश में श्री शरद पवार ने टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को प्रोत्साहित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चूंकि फार्म क्षेत्र का टिकाऊपन बहुत हद तक छोटे और मझौले किसानों के निष्पादन पर निर्भर करता हैए इसलिए सरकार ने इन किसानों और अन्य लाभार्थियों विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं।
विश्व खाद्य दिवस पर मंत्री महोदय के संदेश का अनुदित पाठ निम्नलिखित हैरू.
ष्संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ;एफएओद्ध की स्थापना के उपलक्ष्य समूचे विश्व में 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मूल उद्देश्य विश्व के भूखे और कुपोषित लोगों की दशा के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना और भूख के अभिशाप से मुक्ति पाना तथा इस समस्या के समाधान के ठोस उपाय करने के लिए सभी संबद्ध व्यक्तियोंध्संस्थाओं को प्रोत्साहित करना है। इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस के लिए चुना गया विषय है . खाद्य सुरक्षा और पौष्टिकता के लिए टिकाऊ खाद्य प्रणालियां।ष्
ष्देश में खाद्य और पौष्टिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का एकमात्र दीर्घकालिक समाधान कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना हैए ताकि प्रत्येक नागरिक को पौष्टिक खुराक उपलब्ध की जा सके। देश में तेजी से हुए औद्योगिकीकरण और शहरीकरण ने अनाज की पैदावार के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधन जैसे जमीन और पानी की उपलब्धता कम कर दी है। इस कारण यह जरूरी हो गया है कि देश में लगातार बढ़ती हुई आबादी के लिए अनाज की सतत् उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कुशल और कारगर नीतियां अपनाई जाएं। खाद्य प्रणालियों का टिकाऊपन सुनिश्चित करते समय हमें न केवल अपनी मौजूदा आबादी के लिए पौष्टिक अनाज पैदा करना हैए बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए क्षमता भी बनाए रखनी है। टिकाऊ खाद्य प्रणालियों के लिए खाद्य उत्पादकों के साथ.साथ खाद्य उपभोक्ताओं से प्रतिबद्धता की आवश्यकता हैए ताकि प्रत्येक स्तर पर पानी की प्रत्येक बूंदए जमीन के प्रत्येक इंचए उर्वरक के प्रत्येक दाने और मजदूरों के समय का सर्वाधिक लाभ उठाने के लिए संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा सके। टिकाऊपन व्यर्थ के पदार्थों को बहुमूल्य उर्वरक अथवा ऊर्जा के रूप में बदलकर और अनाज के नुकसान तथा बर्बादी को कम से कम रखकर सुधारा जा सकता है। भारत में टिकाऊ कृषि विकास और खाद्य सुरक्षा का भविष्य बहुत हद तक छोटे और मझौले किसानों के निष्पादन पर निर्भर करता है। भारत सरकार ने इन किसानों और अऩ्य लाभार्थियों विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं।ष्
ष्आओ हम सब इस दिन हमारे पास उपलब्ध सीमित संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग करने का संकल्प लेंए ताकि देश में कुपोषण और भूख का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित किया जा सके। इस अवसर पर मैं सभी हितधारकों से फिर से संकल्प लेने का आग्रह करता हूंए ताकि इस देश के लोगों की खाद्य और पौष्टिक सुरक्षा टिकाऊ खाद्य प्रणालियों के लिए जोरदार उपायों के जरिए सुनिश्चित की जा सके।ष्
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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