देश के 18 व्यापार संगठनों ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से भारत में अपनार्इ जा रही भेदभावपूर्ण व्यापार नीतियों और कमजोर बौद्धिक संपदा संरक्षण कानून के मुíे को भारतीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के समक्ष उठाने का आग्रह किया है। व्यापार संगठनों ने भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान इस मुíे को गंभीरता से उठाने के लिए राष्ट्रपति ओबामा को आग्रह पत्र लिखा है।
एलाएंस फ‚र फेयर ट्रेड इन इंडिया (एएफटीआर्इ) की सह अध्यक्ष व राष्ट्रीय निर्माता संघ की अंतरराष्ट्रीय मामलों की उपाध्यक्ष लिन्डा डेम्पसे के अनुसार भारत की भेदभावपूर्ण व्यापार नीतियों ने न सिर्फ अमेरिकी कारोबार को नुकसान पहुंचाया है बलिक निर्माण क्षेत्र की नौकरियों और भारत की अर्थव्यवस्था विकसित करने की क्षमता को खतरे में डाल दिया है। इन संरक्षणवादी नीतियों के चलते कारोबारी, निर्वाचित अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी चिंतित हैं और एकजुट हो रहे हैं। हम राष्ट्रपति ओबामा से आग्रह करते हैं कि वह इस मामले में तुरंत कोर्इ ठोस कदम उठायें, जिससे भारत और अमेरिका की अर्थव्यवस्था एक साथ विकास कर सके।
इस पत्र में व्यापार संगठनों ने भारत की हानिकारक व्यापारिक नीतियों को उजागर किया है, जिनमे बौद्धिक संपदा (आर्इपी) अधिकारों के संरक्षण में विफलता, कुछ सूचना प्रौधोगिकी और स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों, पेटेंट और नवीन दवाओं के पेटेंट का निरस्तीकरण और अनिवार्य लाइसेंस के लिए स्थानीय उत्पादन करने के लिए मजबूर करना जैसी समस्याएं शामिल है। इन अनुचित नीतियों को संयुä राज्य अमेरिका और दुनिया भर के अन्य देशों में निर्माण और रोजगार की कीमत पर केवल कुछ भारतीय कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उíेश्य से तैयार किया गया है।
पिछले 18 महीनों में भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकारों को पहचान करने में विफल रहा है। यह एक ऐसा कारण है जो भारत को एक अभिनव और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की तरफ बढने से रोक रहा है। एएफटीआर्इ के सह अध्यक्ष और वैशिवक बौद्धिक संपदा केंæ के अमेरिकी वाणिज्य चौंबर के कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्क इलियट ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अपनी बैठक के दौरान राष्ट्रपति ओबामा के पास व्यापार के माहौल को बढ़ावा देने का अवसर है। यह नवीनीकरण और रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाला है। साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार पैदा करने और वैशिवक आर्थिक विकास को बढ़ाने में सक्षम है।
व्यापार संगठनों का यह पत्र व्यापक द्विपक्षीय कार्रवार्इ पर आवाज तेज करने की मांग करता है। इसके अलावा इस सप्ताह, राज्यपालों के एक द्विदलीय समूह द्वारा भारत के अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए राष्ट्रपति ओबामा को लिखे एक पत्र ने अमेरिका के सभी राज्यों में नौकरियों पर प्रभाव का उल्लेख किया है। इसके अतिरिä, 170 से अधिक अमेरिकी प्रतिनिधि और 40 अमेरिकी सीनेटरों ने इस साल प्रशासन को लिखे पत्र के द्वारा भारत में व्यापार पर्यावरण संबंधी चिंता व्यä की है, जिसके कारण अमेरिकी नौकरियां और उधोग खतरे में हैं।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले व्यापार संगठन हैं- अमेरिकी व्यापार सम्मेलन (एबीसी), अमेरिकन फाउंड्री सोसायटी (एएफएस), उपकरण निर्माता संघ (ए इ एम्), जैव प्रौधोगिकी उधोग संगठन (बी आर्इ ओ), कैलिफोर्निया निर्माता और प्रौधोगिकी संघ, क्र‚प लाइफ अमेरिका, अमेरिकी व्यापार आपातकालीन समिति (इसीएटी), भारत, न‚न वोवन वस्त्र उधोग एसोसिएशन, सूचना प्रौधोगिकी उधोग परिषद (आर्इटीआर्इ), मोशन पिक्चर एसोसिएशन अ‚फ अमेरिका (एम पी ए ए), राष्ट्रीय निर्माता संघ (एनएएम), राष्ट्रीय विधुत उत्पादक संघ (नेमा), राष्ट्रीय विदेश व्यापार परिषद (एन एफ टी सी), अमेरिकी औषधि अनुसंधान और निर्माता (फरमा), अमेरिकी रिक‚डिर्ंग उधोग संघ (आर आर्इ ए ए ), सौर ऊर्जा उधोग संघ (एस र्इ आ इ ए), दूरसंचार उधोग संघ (टी र्इ ए) और अमेरिकी वाणिज्य चौंबर।
रुरुरु भारत के साथ निष्पक्ष व्यापारिक गठबंधन (ए एफ टी आर्इ), भारत में अनुचित और भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ लड़ रहे अमेरिका के कारोबार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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