समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि जिन्होने कभी खेत नहीं देखा, उसकी मेड़ों पर चले नहीं उन्हें किसानों की चिन्ता होने लगी, यह किसी नये आश्चर्य से कम नहीं। अमेठी में कांग्रेस उपाध्यक्ष ने किसानों को फसल का उचित मूल्य न होने की बात कहीं और एक बड़े पंूजीघराने के मेगाफूड पार्क का शिलान्यास किया। चूकि खेत और फसल की उनकी समझ सुनी सुनार्इ और किताबी है इसलिए उन्होने आलू के बाजार भाव और पैकिंग में आनेवाले आलू चिप्स के दामों के अंतर पर दार्शनिक अंदाज में कुछ कह कर किसानों की हमदर्दी पाने की विफल चेष्टा की। कांग्रेस और इसके नेतृत्व की गलत नीतियों के चलते ही किसान बदहाल हुआ है और आत्महत्या करने तक को मजबूर रहा है।
कांग्रेस राज में किसान और गांव सर्वाधिक उपेक्षित रहे हैं। औधोगिकरण ने कृषि व्यवस्था को चौपट किया। किसान को उचित लाभकारी मूल्य तो मिला नहीं उल्टे खेती को मंहगार्इ की मार से बोझिल कर दिया गया। केन्द्र सरकार ने डीजल-पेट्रोल मंहगा कर दिया। किसानो को सस्ता कर्ज नहीं मिला। खाद, बीज, पानी के लिए किसान बेहाल रहा। उसकी कहीं सुनवार्इ नहीं हुर्इ। कांग्रेस की नीतियां पूंजीपरस्त और अमरीका परस्त होने के कारण किसानों की घोर उपेक्षा हुर्इ है। इसलिए कांग्रेस और इसके नेता को किसानों के बारे में बोलने का नैतिक अधिकार कैसे हो सकता है?
समाजवादी पार्टी डा0 राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह की नीतियों पर चलती रही है। गांधी जी ने जिस ग्राम स्वराज का सपना देखा था उसे पूरा करने के लिए श्री मुलायम सिंह यादव प्रतिबद्ध रहे हैं। चौधरी चरण सिंह ने केन्द्रीय वित्तमंत्री के रूप में कृषि पर बजट का 70 प्रतिशत धन खर्च किया था। श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में गांव-गरीब और खेती किसान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही किसान और कृशि पर आधारित बजट पेश किया। किसानेां का 50 हजार तक का कर्ज माफ करने के साथ मुफत सिंचार्इ की सुविधा दी। वृद्ध किसानों को पेंंषन और आपदाग्रस्तो को बीमा का लाभ भी समाजवादी पार्टी सरकार ने दिया है। किसानों को समय से बीज, खाद भी उपलब्ध कराया गया। किसानों को, लाभकारी समर्थन मूल्य भी दिया जा रहा है।
सच तो यह है कि किसान का दर्द वही जानेगा जो खुद किसान रहा है। श्री मुलायम सिंह यादव स्वयं किसान रहे है और वे बखूबी जानते है कि किसान किन मुशिकलों के दौर से गुजरकर अन्न उपजाता है। श्री यादव ने गांव-गरीब की जिन्दगी को बहुत नजदीक से जिया है और उन्हें एहसास है कि वह कैसे अपना जीवनयापन करता है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव भी उसी परिवार से हैं और आज भी खेत-खलिहान से उनका निकट सम्पर्क बना हुआ है। समय-समय पर वे अपने पैतृक गांव सैफर्इ जाते रहे हैं। वे ऊपर से थोपे हुए नेता नहीं, जमीनी संघर्ष से उभरे नेता हैं जो प्रदेश की कायापलट के लिए र्इमानदारी से लगे हैं। प्रदेश में वह केन्द्रीय योजनाओं के लिए भी जमीन और अन्य सुविधाएं दिलाते रहे हैं। कांग्रेस के नेता को अभी बहुत कुछ सीखना होगा। राज्य सरकार की आलोचना करनेवाले पहले यह बताएं कि उन्होने राज्य की प्रगति के लिए क्या किया है?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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