भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार के मंत्रियों के सदभावना मिशन पर ऊँगुली उठार्इ है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डा0 मनोज मिश्र ने सरकार के सदभवना के तथाकथित दूत श्री शिवपाल सिंह यादव के साथ दंगों के आरोपी मौलाना नजीर की उपसिथति को बदहाल कानून व्यवस्था और एकतरफा कार्यवाहियों का जीता जागता उदाहरण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सदभावना मिशन नहीं बलिक एक पक्षीय दुर्भावना मिशन है। इस मिशन में दंगों के आरोपी मौलाना नजीर मंत्री जी के सामने साम्प्रदायिक भाषण देते हैं और मंत्री जी मौन रहते हैं। डा0 मिश्र ने पूछा कि मौलाना नजीर की दंगों में नामजदगी के बावजूद गिरफ्तारी क्यों नहीं हुर्इ?
पार्टी प्रवक्ता डा0 मिश्र ने कहा कि मंत्री जी का खुलेआम दंगों के आरोपी को साथ लेकर चलना एक पक्षीय कार्यवाही का ज्वलंत उदाहरण है तथा दूसरे पक्ष के घावों को कुरेदने जैसा है। मंत्री जी का कहना कि पहले से दंगे का अंदेशा था, डा0 मिश्र ने पूछा कि यदि पहले से अंदेशा था तो सरकार ने दंगे को रोकने के प्रयास क्यों नहीं किये? सरकार क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठे रही है? डा0 मिश्र ने मुजफ्फरनगर के दंगों को मंत्री जी द्वारा जातीय संघर्ष बताये जाने पर पूछा कि क्या जातीय संघर्ष साम्प्रदायिक संघर्ष से बेहतर होता है? उन्होंने कहा संघर्ष साम्प्रदायिक था जिसकी जड़ में सपा की एकतरफा कार्यवाही थी।
डा0 मिश्र ने मुख्य मंत्री जी का बयान कि उत्तर प्रदेश में मुसलमान सर्वाधिक सुरक्षित हैं, पर कहा कि मुख्यमंत्री की नजरों में हिन्दू-मुसलमान नहीं बलिक उत्तर प्रदेश की 21 करोड़ जनता होनी चाहिए। मुख्यमंत्री को समदर्शी और निष्पक्ष होना चाहिए न कि हिन्दू और मुसलमान के हिसाब से देखने और सुनने की साम्प्रदायिक नजर। डा0 मिश्र ने कहा प्रदेश में 18 महीनों की अवधि में 100 से अधिक साम्प्रदायिक दंगे तथा इतनी ही साम्प्रदायिक झड़पें होना सरकार के साम्प्रदायिक एजेण्डे का प्रकटीकरण है। उन्होंने कहा कि सरकार दंगाइयों पे करम और निर्दोषों पर सितम की तर्ज पर काम कर रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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