कांग्रेस के राज में सर्वाधिक भुखमरी से मौतें हुर्इ है। गरीबी हटाओं के नाम पर गरीब को मिटाओं का ही अभियान चलता रहा है। उत्तर प्रदेश में किसान और गरीब को हमेशा केन्द्र में रखकर समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी सरकारों ने काम किया है इसलिए कांग्रेस के एक गुजराती प्रभारी का यह कहना है कि उत्तर प्रदेश खाध सुरक्षा अधिनियम को लागू नहीं करना चाहती है, तथ्यहीन और अनर्गल बयान हैं। कांग्रेस चुनाव के मौकों पर लोकलुभावन घोषणाएं करने की आदी है। प्रदेश के खाधमंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी ने ठीक ही पूछा कि केन्द्रीय मंत्री 18 पेज का भारत का राज पत्र ही देगें या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 2013 को लागू करने के लिए संसाधन भी देगें ?
खाध एवं रसद तथा कारागार मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी ने मंगलवार (01 अक्टूबर,20123) को भारत सरकार, नर्इ दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय खाध सुरक्षा अधिनियम-2013 के क्रियान्वयन के संबंध में आहूत खाध मंत्रियों के सम्मेलन में कहा कि उक्त अधिनियम हड़बड़ी में और बगैर पूरी तैयारी के लाया गया है। इसके पीछे सिर्फ चुनावी दृषिट से राजनीतिक फायदा उठाने का इरादा है। भारत सरकार इसे राज्यों पर थोपकर वाहवाही लूटना चाहती है। यह कदम संविधान की संघीय व्यवस्था को कमजोर करता है। बैठक में केन्द्रीय खाधमंत्री श्री के0पी0 थामस और केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार भी मौजूद रहे।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने उक्त सम्मेलन में जोरदार ढंग से यह बात उठार्इ कि केन्द्र सरकार राज्यों के संसाधन के बारे में सोचे बगैर कैसे अधिनियम को लागू करा सकेगी। इस राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-2013 के तमाम प्राविधानों के लागू करने से राज्यों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। केन्द्र सरकार इसके लिए शत प्रतिशत व्यय वहन करने को तैयार रहे।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के लागू करने की दलील पर अकेले उत्तर प्रदेश ने जोरदार ढंग से राज्यों का पक्ष रखा। इसके लिए कांग्रेस शासित राज्यों के खाध मंत्रियों ने भी प्रशंसा की। श्री चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रचलित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनेक विसंगतियों और लीकेज के चलते खाधान्न पात्र लाभार्थियों को नियमित रूप से वितरित नहीं हो पाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 2013 लागू किए जाने से पहले जब तक इसमें सुधार नहीं होता तब तक अधिक खाधान्न बाजार में जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। परिणामस्वरूप गरीब किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं प्राप्त होगा और किसान बाजार की प्रतियोगिता से बाहर हो जाएगें।
आज केन्द्र सरकार और कांग्रेस गरीबों के लिए बहुत चिंतित नजर आती है जबकि हकीकत यह है कि इनका उददेश्य सिर्फ चुनावी वोट हासिल कर किसी तरह सत्ता में आना हैं। गरीब और किसान के लाभ की बात सर्वप्रथम श्री मुलायम सिंह यादव ने संसद में उठार्इ थी। अभी पिछले माह मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भी अधिकारियों की बैठक बुलाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार पर जोर दिया था। श्री मुलायम सिंह यादव ने गरीबों को सरकारी भंडारगृहों में जमा अनाज मुफत बांटने का सुझाव दिया था, सर्वोच्च न्यायालय ने भी ऐसा ही कहा था लेकिन केन्द्र सरकार ने इसे अनसुना कर दिया मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने गरीब का राषन बाजार में बिकने न पाए इसलिए उन्होने एफसीआर्इ से राशन लेकर निकलनेवाले ट्रकों का रंग बदलने का सुझाव दिया है ताकि उनकी अलग पहचान रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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