मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य के स्वामित्व के भवनों की ध्वस्तीकरण नीति विषयक लोक निर्माण विभाग के दो शासनादेशों को निरस्त कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश सरकार के स्वामित्व के भवनों के ध्वस्तीकरण के संबंध में लोक निर्माण विभाग के शासनादेश दिनांक 26 मार्च, 2008 द्वारा नीति निर्धारित की गर्इ थी। शासनादेश दिनांक 26 सितम्बर, 2011 द्वारा उक्त नीति को संशोधित किया गया। लखनऊ शहर सिथत सिंचार्इ विभाग के परिकल्प नगर (पूर्व) आवासीय परिसर में सिथत आवासीय एवं कार्यालय भवनों को ध्वस्त करने संबंधी प्रकरणप्रक्रिया में प्रथम दृष्टया पायी गयी अनियमितताओं के संबंध में सिंचार्इ विभाग द्वारा सेवानिवृत्त आर्इ.ए.एस. अधिकारी श्री एस.ए.टी. रिजवी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जांच अधिकारी की जांच आख्या के आलोक में प्रमुख अभियन्ता (विकास) एवं विभागाध्यक्ष, लोक निर्माण विभाग द्वारा शासनादेश दिनांक
26 मार्च, 2008 एवं शासनादेश दिनांक 26 सितम्बर, 2011 में कतिपय विसंगतियोंकमियों के कारण निरस्त किए जाने की संस्तुति की गर्इ।
उक्त दोनों शासनादेशों के निरस्त होने की दशा में ध्वस्तीकरण हेतु पूर्व से विधमान लोक निर्माण विभाग के अनुरक्षण मैनुअल पार्ट-।। (भवन), वित्तीय हस्तपुसितका खण्ड-1 व खण्ड-5 तथा उ0प्र0 कार्य नियमावली, 1975 के प्राविधानों के अन्तर्गत कार्यवाही की जाती रहेगी। उ0प्र0 म्यूनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट 1959 की धारा-330 व 331 के द्वारा ध्वस्तीकरण हेतु नगरीय क्षेत्रों में समानान्तर व्यवस्था प्रतिपादित है जिसको आवश्यकतानुसार विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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