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नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली की कहावत को चरितार्थ करता है।

Posted on 25 September 2013 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी द्वारा कल से शुरू किये
जा रहे ßसदभावना एकता सप्ताहß को पाखण्ड बताया। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने
कहा कि समाजवादी पार्टी द्वारा ßसदभावना व एकताß की बात करना ßनौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को
चलीß की कहावत को चरितार्थ करता है। उन्होने कहा कि जिस समाजवादी पार्टी की सरकार के वरिष्ठ
मंत्री आजम खां की मुजफ्फरनगर दंगों में भूमिका का सच सबके सामने हो ऐसे लोगों के मुँह से
सदभावना एवं एकता की बात करना बेर्इमानी लगता है। आखिर आजम खां को बचाने के लिए और कब
तक जिल्लत सहेंगे अखिलेश?
पार्टी के राज्य मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा में प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आरोप
लगाया कि समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार उत्तर प्रदेश का सामाजिक सदभाव बिगाड़ने का काम
कर रही है। राजनीति धुव्रीकरण के प्रयास में जुटी समाजवादी पार्टी लगातार एक वर्ग विशेष के प्रति
आभार प्रकट करती है। योजनाओं से लेकर सामान्य कामकाज तक में भेदभाव का संदेश देती है। राज्य में
नित हो रहे साम्प्रदायिक उन्माद की घटनाओं ने पूरे प्रदेश का ताना-बाना बिगाड़ कर रख दिया।
सामाजिक सदभाव इतना बिगड़ गया है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण राज्य में हो रही छोटी-छोटी
घटनाएं साम्प्रदायिक उपद्रव में तबदील हो जा रही है। सामाजिक सदभाव कायम करने की दिशा में प्रयास
करने की जिन पर जिम्मेदारी है वे एक पक्ष और एक पाले में खड़े होते नजर आते है। ताजा घटनाक्रम में
मुजफ्फरनगर के दंगों की आरोपी है समाजवादी पार्टी। यह बात भारतीय जनता पार्टी ही नही खुद
समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायकों ने सपा छोड़ते समय कही। जबकि उनके एक लोकसभा प्रत्याशी ने भी
दंगों में सपा नेताओं और अखिलेश सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाकर सपा के टिकट पर
चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया।
श्री पाठक ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों में पूरी समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार एक वर्ग
विशेष के पक्ष में खड़ी है। राहत सामग्री से लेकर सामान्य काम काज तक में भेदभाव हो रहा है। सरकार
की नीतियों के चलते अपने ही शहर में कर्इ हजार लोग शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर है। विश्वास
बहाली का आलम यह है कि इन शरणार्थी कैम्पों से लोगे अपने घरों में नही जाना चह रही क्यों कि
सरकार सुरक्षा का वातावरण दे पाने में असमर्थ है। परिणाम स्वरूप आज भी हजारों लोग शरणार्थी कैम्पों
में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है। उन्होंने सवाल किया कि जिस कवाल की घटना के कारण पूरा मामला
बढ़ा उसमें क्या कार्रवार्इ हुर्इ? घटना के लगभग एक माह बीतने के बाद भी सचिन और गौरव के हत्यारों
की गिरफ्तारी पुलिस अब तक क्यों नही कर पार्इ?

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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