उमस भरी गर्मी के कारण नगर मे विधुत आपूर्ति के मामले मे विधुत विभाग की मनमानी और लापरवाही अपनी चरम सीमा पर है ।
निर्धारित रोस्टर के हिसाब से आपूर्रित होनी चाहिए जबकि सिथत यह है कि जब भी इच्छा होती है मनमाने तरीके से बिजली काट दी जाती है कितनी देर के लिए बिजली कटी है किसी को कुुछ भी पता नही रहता । दिन के समय बिजली कटौती उतनी कष्टकारी नही होती जितना रात मे।
आलम यह है कि आम जनमानस जिसके पास इन्वर्टर या जनरेटर जैसी व्यवस्था नही है वो विधुत विभाग की आंख मिचौली के चलते रात मे ठीक से सोने के लिए तरस गया है । ये विधुत आपूर्रित कर्मियों की मनमानी है या सक्षम अधिकारियो का आदेश कि रात मे ƒƒ बजे से जब सब के सोने का वä होता है तब मनमाने तरीके से बिजली कटना शुरु हो जाती है ।
लगभग दो ढार्इ बजे तक बिजली आती और जाती रहती है । हर इंसान जो दिन भर काम से थका रहता है रात मे पर्याप्त अच्छी नीद लेने का ख्वाहिशमंद रहता है लेकिन विधुत विभाग की असहनीय मनमानी के चलते बिजली आने का इंतजार करने मे रात बेकार हो जाती है ।
इन लापरवाहियो के अलावा नगर मे लगे घटिया क्वालिटी के ट्रांसफार्मर आये दिन जल जाते है और संबंधित क्षेत्रो की विधुत आपूर्ति बाधित हो जाती है इन सबसे नगर की जनता मे रोष व्याप्त है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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