मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगे के खुलासे के बाद नैतिकता का तकाजा तो यह है कि सच्चार्इ स्वीकार कर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को सपा के जिस वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री पर दंगे कराने का आरोप लग रहा है उन्हें तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने आज यहां जारी बयान में कहा कि मुजफ्फरनगर के जिला प्रशासन एवं पुलिस अधिकारियों के एक प्रमुख न्यूज चैनल में इस खुलासे के बाद कि सपा के लखनऊ में बैठे एक वरिष्ठ नेता के इशारे पर दोहरे हत्याकाण्ड के संदिग्ध आरोपियों को छुड़ाये जाने एवं एफआर्इआर बदलवाने के चलते मुजफ्फरनगर के कांवल गांव में हुए एक मामूली विवाद ने इतने बड़े साम्प्रदायिक दंगे का रूप धारण किया है इससे यह साफ हो गया है कि मुजफ्फरनगर में हुआ दंगा प्रदेश में सत्तासीन समाजवादी पार्टी सरकार और सपा नेताओं की सकि्रय संलिप्तता के चलते हुआ है, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष लोग हताहत हुए। एक तथ्य यह भी सामने आया है कि 27अगस्त की घटना के समय मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जो साम्प्रदायिक उन्माद को फैलने से रोक सकते थे उन्हें अकारण ही स्थानान्तरित कर दिया गया। यह बिना सरकार के निर्देशों के संभव ही नहीं है। इन तथ्यों के उजागर होने के बाद प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार दंगे की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।
प्रवक्ता ने कहा कि एक तरफ तो प्रदेश सरकार कड़ी कार्यवाही करने का भरोसा दिलाती है वहीं दूसरी तरफ पशिचमी उ0प्र0 के साम्प्रदायिक ताने-बाने को तार-तार करने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और विधायकों के खिलाफ एनएसए लगाने और एफआर्इआर दर्ज कराने के बावजूद उन्हें खुलेआम घूमने की छूट देती है। इससे साफ है कि साम्प्रदायिकता की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में सपा और भाजपा बराबर के सहभागी हैं। जिन्होने एक सुनियोजित साजिश के तहत साम्प्रदायिकता की चिंगारी को ठंडा करने के बजाय आग में घी डालने का काम किया। परिणामस्वरूप लगभग 50हजार लोग शरणार्थी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हुए और दहशत इस कदर उनके दिलों में घर कर गयी है कि वह अपने गांव, घर वापस नहीं जाना चाहते।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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