वह लखनऊ के निम्न मध्य वर्ग की एक मुसिलम महिला है जिसकी प्रसिद्धि का मूल कारण यह है कि कुछ वर्ष पूर्व वह लखनऊ के कश्मीरी मौहल्ला वार्ड से समाजवादी पार्टी के टिकट पर निगम पार्षद रही हैं। पर यही पूर्ण सत्य नहीं है! सूबी काजमी जन्म से ही नेत्रहीन हैं। कुछ समय पूर्व एक धार्मिक उपदेशक ने उनसे विवाह केवल इस आशा में किया कि अल्लाह इस सुकर्म के बदले अगली जिन्दगी में उन्हें पुरस्कृत करेगा। ततपश्चात इस पूर्व पार्षद ने ग्रहस्थ जीवन का कार्यभार संभाला। जन्म से ही कुदरत की ओर से दी गर्इ चुनौतियों के बावजूद विवाह के उपरान्त बर्तन चोखा और घर की साफ सफार्इ में अपने को लगा लिया। आज वह एक पांच वर्षीय बच्चे की मां भी है और घर के सब कार्य कुशलतापूर्वक करने की चेष्टा में लगी रहती है।
सूबी काजमी ने अपनी जिन्दगी में कोर्इ रौशनी, कोर्इ रंग नहीं देखा। यहां तक कि देखभाल करने वाले पति और अपने शरारती बच्चे की सूरत तक नहीं देखी। लेकिन वह आज भी उन सारी आकांशाओं और आशाओं को जिन्दा रखे हैं जो किसी भी आम युवती में पार्इ जाती हैं। वैवाहिक जीवन के बंधन में बंधने के बाद राजनीति से उनका संबंध टूट गया था; अब उनकी एक बड़ी आरजू राजनीति के मैदान में वापिस उतरने की है। इस कारण सूबीने फिर से क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय बनने के लिए सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से संपर्क साधा है।
”उन बीते दिनों में भी मुलायम सिंह जी मेरे अभिभावक थे, सूबी कहती हैं। ”वह हमेशा मुझे प्रोत्साहन देते थे, यहां तक कि सपा के कर्इ स्थापित नेता समझते थे कि मुलायम सिंह जी उन से अधिक मेरी सुनते हैं। अहमद हसन जैसे आज के बड़े राजीनतिज्ञ मेरे घर आया करते थे क्योंकि वह अच्छी तरह जानते थे कि मैं मुलायम सिंह जी से कितना करीब थी। हालांकि मैं एक नौसिखिया बच्चे के समान थी, जबिक मुलायम जी उस समय भी एक कुशल राजनेता थे। तब भी वह मुझे आगे बढ़ाया करते थे, हमेशा! वह मुझे बताया करते थे कि मुझे क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। अब समय और अनुभव ने मुझे परिपक्व किया है तो मुझे अतीत की अपनी गलितयों का अहसास होता है।
अब जब वह अपना मन बना चुकी हैं, करीब एक दशक बाद सूबी राजनीति में लौटने को तैयार हैं। वह कहती है: ”जब मैं राजनीति में थी तो मैंने शादी के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। मैं अपनी कमी को जानती और समझती थी। मेरे पांच साल के नगर पार्षद के रूप में कार्यकाल के दौरान दूसरों ने हर प्रकार के लाभ उठाए। मैं केवल निर्वाचन क्षेत्र में काम करने पर ध्यान केंदि्रत रखती थी जबिक मेरे इर्द गिर्द जो लोग थे वह हर प्रकार का लाभ लेने के लिए आतुर रहते थे। मेरे लिए इससे प्रसन्नता का कारण क्या हो सकता था जब सैयद शादाब हुसैन ने विवाह का प्रस्ताव रखा। शादी और परिवार की जिम्मेवारियों के बाद मेरा जीवन पूरी तरह बदल गया। धीरे धीरे राजनीति मेरे जीवन से दूर खिसकती गयी, यहां तक कि मुझे पता भी नहीं रहा कि बाकी दुनिया में क्या हो रहा है। अगले कुछ वर्षों में, मुख्यत: मेरे बच्चे के जन्म के बाद से मैं पूर्णता पारिवारिक जीवन व्यतीत करने लगी।
सूबी काजमी आगे कहती हैं, ”अब समय बदल गया है। मेरा पुत्र अब बड़ा हो गया है और स्कूल जाने लगा है। मैंने निर्णय ले लिया है कि मैं राजनीति में पुन: लौटूंगी। इसी ने मुझे मान्यता दी है और इसी से मैं समाज को जो मेरी तमाम कमियों के बावजूद मुझ पर बड़ा मेहरबान रहा है वापिस कुछ दे सकती हूं। मैं पूर्ण रूप से राजनीति में वापसी के लिए तत्पर हूं।
मुलायम की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने हेतु वह हमेशा अल्पसंख्यक वोट पर आरक्षित रहे हैं। परन्तु सपा सुप्रिमो के लिए यह कठिनार्इ का दौर है। मौहम्मद आजम खां और कमाल फारूकी जैसे वरिष्ठ नेता सपा के कामकाज के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कुछ कर पाने में नाकाम रहने के कारण सपा सरकार पर हर ओर से हमले हो रहे हैं। वह मुसलमान जो मुलायम सिंह के राजनीतिक जीवन के पिछले 25 वर्षों में निरंतर उनके साथ थे उत्तर प्रदेश सरकार की दंगार्इयों पर काबू पाने में असमर्थता और भाजपा और वी एच पी जैसी आर एस एस समर्थित संगठनों से मिलीभगत की अफवाहों के कारण पार्टी का साथ छोड़ने की कगार पर दिखार्इ दे रहे हैं। ऐसे कठिनार्इ के समय में सूबी जैसे लोग समाजवादी पार्टी के लिए राहत साबित हो सकते हैं और पार्टी ने मुसलमानों के बीच जो प्रतिष्ठा खो दी है उसे बहाल करने में मददगार बन सकते हैं।
सूबी काजमी में वह सब कुछ है जिसके लिए मुलायम पहचाने जाते हैं या अपने को पहचनवाना चाहते हैं। वह मुसिलम बहुल इलाके की हिजाब पहनने वाली एक युवती हैं। उनका नेत्रहीन होना सहानुभूति का कारक भी बन सकता है। समय बताएगा कि मुलायम इस युवती की राजनीति में वापसी की तमन्ना को किस प्रकार पूरा करते हैं?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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