समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सरकार की उपलबिधयों पर पानी फेरने की साजिशों में बसपा, भाजपा, कांग्रेस के साथ राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल हो गया है। कुछ संगठन, जो केवल लेटर हेड पर चल रहे हैं, उन्हें भी बयानबाजी करने का शौक पैदा हो गया है। निराधार आरोप लगानेवालो को डेढ़ साल में उत्तर प्रदेश में आए परिवर्तन की जानकारी नहीं होगी अन्यथा वे सरकार के कामकाज पर टिप्पणी नहीं करते।
विपक्षियों को न तो उत्तर प्रदेश में विकास दिख रहा है और नहीं उन्हें मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की बढ़ती लोकप्रियता पच रही है। कांग्रेस के राज में हुए सांप्रदायिक दंगों की गिनती करना मुशिकल है। शायद ही कोर्इ कांग्रेस शासित राज्य हो जहा दंगे न हुए हों। 1984 का सिख दंगा कर्इ दिनों तक चला और भीषण नरसंहार हुआ। 1992 में बाबरी मसिजद का ध्वंस हुआ और दंगे हुए। तब कांग्रेस के किसी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया।
एक अजीब बात यह भी है कि कांग्रेस के छुटभइये नेता मुजफफरनगर के जातीय संघर्ष को लेकर मुख्यमंत्री जी पर आक्षेप लगा रहे हैं जबकि केन्द्र में कांग्रेस के ही गृहमंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे वहां की घटना के पीछे राजनीतिक साजिश का अंदेशा बता रहे हैं और श्री अखिलेश यादव को दोषी ठहराने से मना कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी सरकार पर दाग लगाने वालो को पहले अपने दाग गिन लेने चाहिए।
रालोद के एक नेताजी को यूपी में मोदी के दर्शन होने लगे हैं और मुजफफरनगर काण्ड की तुलना गुजरात में मुसिलमो के कत्लेआम से करने लगे है। गुजरात के दंगों के शिकार लोग आज भी आतंक के साये में विस्थापितों की जिन्दगी जी रहे हैं। उत्तर प्रदेश में तो मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि हरहाल में गड़बड़ी करनेवालों के साथ सख्ती होगी। साथ ही पीडि़तो को राहत और न्याय दोनों मिलेगा।
भाजपा ने अपनी सांप्रदायिक राजनीति को विस्तार देने का निर्णय घोषित कर दिया है। लोकसभा चुनाव के पूर्व वह साम्प्रदायिकता के आधार पर ध्रुवीकरण करने की साजिश को अंजाम तक पहुचाने पर आमादा है। समाजवादी पार्टी सांप्रदायिकता के खिलाफ प्रारम्भ से ही संधर्शशील रही हैं। उसने जिस तरह एनडीए को दिल्ली की सत्ता तक पहुचने से रोका है, वैसा ही वह फिर करने को संकलिपत है। केन्द्र में अब भाजपा, कांग्रेस की सरकार नहीं तीसरी ताकतों की सरकार बनेगी। फलस्वरूप श्री मुलायम सिंह यादव की केन्द्र में प्रभावी भूमिका होगी।