मुजफ्फरनगर में बिगड़ी परिस्थितियों के लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार हैं। स्थानीय पुलिस प्रमुख का व्यवहार निष्पक्ष नहीं रहा। प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई से हिन्दू जनमानस ने अपने को अपमानित और दबा हुआ महसूस किया। समय रहते प्रशासन ने गंभीरता ंदिखाई होती तो आज यह स्थिति नहीं आती। यह बातें विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय ने कही।
उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को केवल मुस्लिमों के थोक वोट की खातिर दबाया जाना अन्यायपूर्ण है। आज सरकारें मुस्लिम तुष्टिकरण में एक दम अंधी हो चुकी हैं और वे स्वविवेक से निर्णय लेने में अक्षम है। प्रदेश में उन्मादियों के हौसले बुलंद हैं।
यह कैसा न्याय है कि जिस कन्या को परेशान किया जाता है उसी के माता पिता पर मुकदमा भी दायर किया जाता है। जब परिस्थितियों हाथ से निकल गयीं तब प्रदेशस्तर पर पुलिस अधिकारी माता पिता से मुकदमा वापस लेने का आदेश करते हैं। धारा 144 लगी, फिर भी दो हजार मुस्लिम एकत्र आकर सभा करते हैं और किसी के विरूद्ध कोई कारवाई क्यों नहीं हुई ? इसी आक्रोश में परिस्थितियां बिगड़ती चली गयीं।
एक तरफ अयोध्या के चारों ओर 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर पदयात्रा करने वाले साधु संतों को धारा 144 लगाकर यात्रा करने से रोकती है। संत महात्माओं की पदयात्रा से सरकार को कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा लगता है। परन्तु मुजफ्फरनगर में सरकार को खतरा महसूस नहीं हुआ। जब हिन्दू ने और अधिक पिटने से इन्कार कर दिया तब सरकारें सक्रिय हो गयीं। यदि यही सक्रियता प्रथम दिन से आती तो आज की खराब स्थिति देखने को न आती।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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