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मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

Posted on 11 September 2013 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

आगरा इनर रिंग रोड परियोजना को पी.पी.पी. के आधार पर क्रियान्वित किए जाने हेतु तैयार आर.एफ.क्यू.-कम-आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट तथा ड्राफ्ट कंसेशन एग्रीमेंट अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने आगरा इनर रिंग रोड परियोजना को सार्वजनिक निजी सहभागिता (पी.पी.पी.) के आधार पर क्रियान्वित किए जाने हेतु चयनित कंसल्टेंट द्वारा तैयार आर.एफ.क्यू.-कम-आर.एफ.पी. डाॅक्यूमेंट तथा ड्राफ्ट कंसेशन एग्रीमेंट अनुमोदित कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि आगरा इनर रिंग रोड परियोजनांतर्गत रोड की लम्बाई 22.80 कि.मी. तथा राईट आॅफ वे 100 मीटर है। आगरा इनर रिंग रोड टोल आधारित रोड होगी तथा अनुमानित परियोजना लागत 743.75 करोड़ रुपए है। उक्त अनुमानित लागत में भू-अर्जन पर होने वाले व्यय की धनराशि लगभग 200 करोड़ रुपए सम्मिलित नहीं है। इनर रिंग रोड हेतु भूमि आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा अपने स्वयं के व्यय पर विकासकर्ता को उपलब्ध कराई जाएगी। परियोजनांतर्गत यमुना नदी पर एक ब्रिज, एक रेलवे ओवर ब्रिज तथा दो इंटरचेंजेज़ सम्मिलित हैं। परियोजना हेतु चयनित कंसल्टेंट द्वारा तैयार एवं बिड् इवैल्यूवेशन समिति द्वारा अनुमोदित आर.एफ.क्यू. कम आर.एफ.पी. डाॅक्यूमेंट तथा ड्राफ्ट कंसेशन एग्रीमेंट में उल्लेख के अनुसार वे-साइड एमेनिटीज की 9.5 हे. भूमि 30-30 वर्ष की लीज पर अधिकतम 90 वर्ष तक के लिए दी जाएगी। निर्माणकर्ता द्वारा टोल तथा वे-साइड एमेनिटीज की भूमि का उपयोग कर निर्माण लागत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। विकासकर्ता द्वारा स्वयं के व्यय पर इनर रिंग रोड के दोनों ओर तीन कि.मी. की परिधि में 20 हे. भूमि क्रय की जा सकती है, जिस पर आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा विकास अनुज्ञा प्रदान की जाएगी। बिडर एक कम्पनी अथवा अधिकतम दो कम्पनियों का कंसोर्शियम हो सकता है। बिड प्रोसेसिंग सिंगल स्टेज में होगी, जिसमें तकनीकी तथा वित्तीय निविदाएं प्राप्त की जाएंगी। बिडर का विगत तीन वित्तीय वर्षों का औसत टर्न ओवर 200 करोड़ रुपए होगा और बिडर के उन्हीं प्रोजेक्ट्स को तकनीकी मूल्यांकन में सम्मिलित किया जाएगा, जो 100 करोड़ रुपए से अधिक के हों। परियोजना प्रारम्भ होने की प्रस्तावित तिथि दिनांक 01.01.2014 है।

लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के प्रारम्भिक कार्यों हेतु

डी.एम.आर.सी. को अंतरिम कंसल्टेंट नियुक्त करने का फैसला

मंत्रिपरिषद ने लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के प्रारम्भिक कार्यों हेतु भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम दिल्ली मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन (डी.एम.आर.सी.) को अंतरिम कंसल्टेंट नियुक्त करने का निर्णय लिया है।

ज्ञातव्य है कि इस प्रक्रिया में मेट्रो क्षेत्र में विशेषज्ञ संस्थाओं के रूप में कार्यरत मुख्य रूप से भारत सरकार के दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राइट्स तथा दिल्ली मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन (डी.एम.आर.सी.) को टम्र्स आॅफ रिफरेंस  प्रेषित कर वित्तीय प्रस्ताव मांगा गया। प्रश्नगत कार्य हेतु राइट्स द्वारा कुल 19.5 करोड़ रुपए (सर्विस टैक्स अतिरिक्त) तथा डी.एम.आर.सी. द्वारा  13.0 करोड़ रुपए (सर्विस टैक्स अतिरिक्त) का आॅफर दिया गया।

डी.एम.आर.सी. भारत सरकार के रेल मंत्रालय और दिल्ली सरकार का संयुक्त प्रतिष्ठान है, जो मेट्रो निर्माण के क्षेत्र में विशेषज्ञ संस्था के रूप मेें स्थापित है। डी.एम.आर.सी. के द्वारा कुल 13.0 करोड़ रुपए (सर्विस टैक्स अतिरिक्त) की मांग की गई, जो तुलनात्मक रूप से राइट्स की अपेक्षा काफी कम है। डी.एम.आर.सी. पहले से भी लखनऊ मेट्रो रेल के कार्यों से जुड़ा हुआ है। इसके द्वारा डी.पी.आर. भी तैयार किया गया है। अंतरिम कंसल्टेंट के रूप में डी.एम.आर.सी. द्वारा निम्न कार्य किए जाएंगे:-

1. सामान्य कंसल्टेंट (जनरल कंसल्टेंट) के चयन की कार्यवाही।

2. मेट्रो संरेखण को अंतिम रूप दिया जाना।

3. भू अर्जन हेतु विस्तृत प्रस्ताव तैयार कराया जाना।

4. इंवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट रिपोर्ट तथा पुनर्वास नीति इत्यादि तैयार किया जाना।

5. भूमिगत भाग हेतु भवन परिस्थिति सर्वेक्षण कराया जाना।

6. मेट्रो रूट के अंतर्गत विभिन्न उपयोगिताओं की शिफ्टिंग हेतु प्रस्ताव तैयार करना।

7. विभिन्न संबंधित विभागों से अनापत्ति प्राप्त करने में सहायता प्रदान करना।

8. सम्पूर्ण काॅरीडोर हेतु जियोटेक सर्वेक्षण कराया जाना।

9. प्रथम चरण के काॅरीडोर में कार्य प्रारम्भ कराने हेतु प्राथमिक सेक्शन के चयन में सहायता प्रदान करना।

10. सिविल स्ट्रक्चर हेतु विस्तृत डिज़ाइन तथा प्लान्स तैयार किए जाने हेतु विस्तृत डिज़ाइन कंसल्टेंट नियुक्त किया जाना।

11. सिविल कार्य हेतु टेण्डर डाॅक्यूमेंट तैयार कराया जाना तथा प्राप्त टेण्डर्स की प्रोसेसिंग कर एजेंसी का चयन कराया जाना।

12. जनरल कंसल्टेंट की नियुक्ति तक प्राथमिक सेक्शन के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का कार्य

13. डिपो ले-आउट तैयार कर इस हेतु टेण्डर डाॅक्यूमेंट तैयार कर एजेंसी का चयन कराया जाना।

14. सब स्टेशन इत्यादि की लोकेशन को अंतिम रूप देते हुए इस हेतु टेण्डर डाॅक्यूमेंट तैयार कर एजेंसी का चयन कराया जाना।

उ0प्र0 विधिक माप विज्ञान (प्रवर्तन) (प्रथम संशोधन) नियमावली-2013 को अधिसूचित करने का फैसला

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विधिक माप विज्ञान (प्रवर्तन) (प्रथम संशोधन) नियमावली-2013 को अधिसूचित करने की मंजूरी दे दी है। यह नियमावली विधायी विभाग से पहले ही विधीक्षित हो चुकी है। नियमावली में संशोधन के उपरान्त बाटों और मापों के मानक नियत करने और प्रवृत्त करने हेतु प्रतिवर्ष की दर से नियत शुल्क प्राप्त करते हुए न्यूनतम 01 वर्ष से लेकर अधिकतम 10 कैलेण्डर वर्ष तक लाइसेंस निर्गत/नवीनीकृत किया जा सकेगा।

ज्ञातव्य है कि अभी तक उत्तर प्रदेश विधिक माप विज्ञान प्रवर्तन नियमावली-2011, जो पहले से प्रख्यापित है, इसके नियम 11 (4) के तहत नियत शुल्क प्राप्त करते हुए प्रत्येक लाइसेंस को न्यूनतम एक कैलेण्डर वर्ष की अवधि के लिए निर्गत/नवीनीकृत किया जाता था। इस नियमावली के नियम 11 (4) में संशोधन के उपरान्त नई व्यवस्था की गई है।

उ0प्र0 सचिवालय कम्प्यूटर सहायक सेवा नियमावली, 2013 अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 सचिवालय कम्प्यूटर सहायक सेवा नियमावली, 2013 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इससे सचिवालय सेवा के मृतक आश्रितों के सेवायोजन एवं सचिवालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियांे के कम्प्यूटर सहायक पद पर पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

शीरा सत्र 2012-13 के लिए शीरा नीति अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने शीरा सत्र 2012-13 के लिए शीरा नीति निर्धारण के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। अनुमोदित नीति के अनुसार प्रत्येक चीनी मिल द्वारा उत्पादित शीरे का 20 प्रतिशत शीरा आरक्षित रहेगा, किन्तु ऐसी चीनी मिले जिनकी अपनी आसवनी है, वे उस सीमा तक मुक्त रहेंगी जिस सीमा तक वे शीरे का स्वयं की आसवनी में उपभोग करती है। शीरा वर्ष में प्रत्येक माह में चीनी मिल द्वारा विक्रय किए गए आरक्षित एवं अनारक्षित शीरे के मध्य निकासी का अनुपात 1ः9 रखा गया है। जिसकी गणना पूरे माह में की गई सम्पूर्ण निकासी पर की जाएगी। यदि माह के अन्त में चीनी मिल निकासी के अनुपात को बनाए रखने में असफल होती है तो आगामी माह में उसे निकासी में अनुपात की यह सुविधा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगी और ऐसी चीनी मिल के लिए प्रत्येक निकासी में अनिवार्य रूप से 1ः4 का अनुपात कतिपय व्यवस्थाओं के तहत देय सुविधाओं के साथ बनाए रखना होगा।

शीरा नीति 2012-13 में यह विशेष व्यवस्था की गई है कि चीनी मिले आरक्षित शीरे की निर्धारित मात्रा की बिक्री हेतु प्रचलित प्रक्रिया अनुसार माह के पहले सप्ताह में टेण्डर निकालेंगी और यदि इसके उपरान्त कोई खरीददार नहीं आता है तो इस निर्धारित मात्रा का शीरा फ्री सेल में परिवर्तित हो जाएगा। शीरा नीति 2012-13 तब तक प्रभावी रहेगी जब तक कि वर्ष 2013-14 के लिए शीरा नीति की घोषणा नहीं कर दी जाती।

ज्ञातव्य है कि प्रत्येक वर्ष के 01 नवम्बर से आगामी वर्ष के 31 अक्टूबर तक की अवधि शीरा वर्ष होती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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