उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा नोएडा के स्थान पर दिल्ली में ‘नासकाम’ का उद्घाटन किया जाना, सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि उन लोगों का भी अपमान हैं जो देश के कोने-कोने एवं विदेशों से आकर यहां पर उद्योग स्थापित कर रहे हैं तथा स्थायी रूप से निवास करते हुए प्रदेश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कई बार नोएडा के कार्यक्रम को परिवर्तित किये जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि नोएडा से अधिक उन्हें टोने और टोटके पर विश्वास है। किन्तु यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रदेश और देश का विकास टोने और टोटके से नहीं हो रहा है बल्कि इसमें मुख्य भूमिका विज्ञान और तकनीकी की है।
प्रवक्ता ने कहा कि खुद को हाईटेक तथा विदेश से शिक्षा ग्रहण करने वाले प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री ने जिस तरह से अंधविश्वास को प्रमुखता दी है इससे सबसे अधिक निराशा प्रदेश के उन नौजवानों को है जो मेडिकल अथवा आईटी की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश का नोएडा बिजनेस तथा एजूकेशनल हब के रूप में स्थापित है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा अप्रैल माह में नोएडा मेडिकल विश्वविद्यालय को शुरू करने हेतु उद्घाटन लखनऊ में अपने सरकारी आवास तथा मई माह में एशियन डेवलेपमेण्ट बैंक की बैठक में अपने प्रोटोकाल मंत्री श्री अभिषेक मिश्रा को निवेशकों के साथ सरकार का पक्ष रखने हेतु भेजा गया। इतना ही नहीं यमुना एक्सप्रेस वे का भी उद्घाटन मुख्यमंत्री द्वारा लखनऊ में अपने आवास पर ही किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि इसके पूर्व में भी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह एवं पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने भी इन्हीं अंध विश्वासों को अपनाकर नोएडा का कार्यक्रम नहीं बनाया। अब प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए नोएडा जाने से परहेज कर रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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