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भाजपा की कथनी और करनी का अंतर

Posted on 08 September 2013 by admin

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जहां एक ओर खुद को प्रधानमंत्री बनने के सपने न देखने की बात करते हैं वहीं दूसरी ओर उनके द्वारा छत्तीसगढ़ में दिल्ली के लालकिले का रूप देकर तैयार कराये गये सम्बोधन मंच से भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी के अंतर का खुलासा हो गया है।

उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता जीशान हैदर ने आज यहां जारी बयान में कहा कि खुद को प्रधानमंत्री बनने के सपने न देखने और दूसरों को सपने न देखने की नसीहत देने वाले वाले गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस नसीहत में कितनी सच्चाई है इससे इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जिस लालकिले से भारत के प्रधानमंत्री का सम्बोधन होता है ठीक उसी स्वरूप में अपने सम्बोधन हेतु मंच तैयार करवाना प्रधानमंत्री बनने का सपना देखना नहीं और तो क्या है?

श्री  हैदर ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के सपने न देखने के बयान के ठीक दो दिन बाद जनता की गाढ़ी कमाई के ढाई करोड़ रुपये की लागत से तैयार किये गए लालकिले के प्रतिरूप से श्री नरेन्द्र मोदी का संबोधन करना भाजपा और खुद अपने आप को प्रधानमंत्री पद के रूप में दावेदारी प्रस्तुत करना नहीं है तो और क्या है? उन्होंने कहा की सच्चाई तो यह है कि प्रधानमंत्री पद का स्वप्न न देखने की बात करने वाले श्री मोदी प्रधानमंत्री पद के सपनों के भंवर जाल में इस कदर फंस चुके है कि अब उन्होंने दिवास्वप्न देखना शुरू कर दिया है जो कभी पूरा नहीं होने वाला है।

प्रवक्ता ने चुटकी लेते हुए कहा कि लालकिले पर खड़ा होकर कोई अपने आपको प्रधानमंत्री समझने लगे तो ऐसा स्वप्न देखने का अधिकार श्री मोदी जी को ही नहीं भारत के प्रत्येक नागरिक को है, फिर अगर श्री मोदी ऐसा स्वप्न देख रहे हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। असलियत  तो यह है कि श्री मोदी को इस सच्चाई का शायद अंदाजा लग चुका है कि दिल्ली लालकिले का स्वप्न तो कभी पूरा होगा नहीं, इससे बेहतर यहीं है कि दिल की तसल्ली के लिए लालकिले की प्रतिरूप के प्राचीर से संबोधन करके दिल्ली के लालकिले से संबोधन करने का स्वप्न पूरा कर लें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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