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उप्र पीपीपी कार्ययोजनाओं की स्वीकर्ता समितियों में सिविल सोसाइटी को कोई जगह नहीं !

Posted on 04 September 2013 by admin

पीपीपी जिसे अंग्रेजी में श्पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिपश् और हिंदी में श्जन.निजी भागीदारीश् कहा जाता है स यह हैरतअंगेज है कि जिस पीपीपी के नाम की शुरुआत ही श्पब्लिकश् शब्द से होती है उसी पीपीपी के तहत स्वीकृत किये जाने बाली कार्ययोजनाओं की स्वीकर्ता समितियों में श्पब्लिकश् यानि जनता की आवाज सरकार तक पंहुचाने बाली  ष्सिविल सोसाइटीष् के सदस्यों के लिए कोई जगह ही नहीं है स इस तथ्य का खुलासा लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा द्वारा माँगी गयी एक आरटीआई से हुआ है

बीते मार्च माह में  राजधानी लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने मुख्यमंत्री कार्यालय से आरटीआई के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ; च्च्च्द्ध के तहत स्वीकृत किये जाने बाली कार्ययोजनाओं की स्वीकर्ता.समितियों में सिविल सोसाइटी के सदस्यों को सम्मिलित करने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किये गए प्रयासोंध्उपायोंध्प्रस्तावों से सम्बंधित अभिलेखों की नोट शीट्स सहित सत्यापित प्रतियाँ मांगी थी स मुख्यमंत्री कार्यालय ने उर्वशी की आरटीआई को उत्तर प्रदेश शासन के औधोगिक विकास विभाग को स्थानांतरित कर दिया था  उत्तर प्रदेश शासन के अवस्थापना विकास अनुभाग के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी हरनाम द्वारा उर्वशी को दी गयी सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ;पीपीपीद्ध  के तहत स्वीकृत किये जाने बाली कार्ययोजनाओं की स्वीकर्ता.समितियों में सिविल सोसाइटी के सदस्यों को सम्मिलित करने के सम्बन्ध में पी0 पी0 पी0 गाइड लाइन्स में कोई व्यवस्था निहित नहीं है तथा न ही किसी विभाग द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव अवस्थापना एवं औधोगिक विकास विभाग को उपलब्ध कराया गया है  उर्वशी कहती हैं कि सरकारी परिभाषा के अनुसार पीपीपी परियोजना का अर्थ उस परियोजना से है जिसमें एक तरफ सरकार या स्वतंत्र अस्तित्व के वैधानिक निकाय और दूसरी ओर निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच एक अनुबंध या रियायती अनुबंध होता है जो बुनियादी ढाँचागत सेवा प्रदान करने के लिए उपभोक्ता से शुल्क वसूल करेगी।जन.निजी भागीदारी ;पीपीपीद्ध दूसरी ओर एक ऐसा मॉडल है जिसमें सेवाप्रदाय का कार्य निजी क्षेत्र ;अलाभकारीध्लाभार्थ संगठनद्ध द्वारा किया जाता है जबकि सेवा प्रदान करने की जिम्मेदारी सरकार पर होती है। इस प्रकार की व्यवस्था में सरकार या तो निजी भागीदार के साथ अनुबंध में शामिल रहती है या निजी क्षेत्र को सेवा प्रदान करने की प्रतिपूर्ति करती है। अनुबंध नई गतिविधियों को तत्परता प्रदान करता है विशेषकरए जब सेवा प्रदान करने के लिए न तो निजी क्षेत्र और न ही सार्वजनिक उपस्थित क्षेत्र होता है अतः पीपीपी परियोजनाओं को भ्रष्टाचारएकमीशनखोरी से मुक्त रखने के लिए एवं इनके क्रियान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित कर जनता के हितों के महत्तम संरक्षण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ;पीपीपीद्ध  के तहत स्वीकृत किये जाने बाली कार्ययोजनाओं की स्वीकर्ता.समितियों में सिविल सोसाइटी के सदस्यों को भी सम्मिलित रखने की व्यवस्था पी0 पी0 पी0 गाइड लाइन्स में किये जाने की मूलभूत आवश्यकता थी किन्तु हमारी सरकार द्वारा ऐसा नहीं किया गया है स उर्वशी के अनुसार यही कारण है कि आये दिन पीपीपी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं और जनता पीपीपी के तहत आने बाली कार्ययोजनाओं को आत्मसात नहीं कर पा रही है  उर्वशी शर्मा ने लखनऊ के स्वयंसेवी संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान के माध्यम से  प्रदेश सरकार और भारत सरकार को इस सम्बन्ध में पत्र लिखकर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ;पीपीपीद्ध  के तहत स्वीकृत किये जाने बाली कार्ययोजनाओं की स्वीकर्ता.समितियों में सिविल सोसाइटी के सदस्यों को भी सम्मिलित किये जाने की व्यवस्था पी0 पी0 पी0 की गाइड लाइन्स में किये जाने का अनुरोध किया है

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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