सांसद एवं पूर्व रक्षा मंत्री श्री मुलायम सिंह यादव पर आज नई दिल्ली में इण्डिया इस्लामिक कल्चरल सेन्टर में एक डाॅक्यूमेन्ट्री फिल्म रिलीज की गई। फिल्म को स्वयं श्री यादव ने रिलीज किया। इस फिल्म में उनके बचपन से लेकर अब तक के सफर को दर्शाया गया है। फिल्म का निर्देशन श्री शंकर सुहेल ने किया है। आधे घंटे की इस फिल्म को तीन हिस्सों में बांटा गया है कि कैसे श्री मुलायम सिंह यादव ने गरीबी में अपनी पढ़ाई जारी रखी, कैसे वे पहलवान बने और कैसे वे राजनीति में आए।
फिल्म प्रदर्शन के बाद श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि ये छात्र जीवन से ही समाजवाद के लिए समर्पित रहे हैं। उन्होंने कहा कि डाॅ0 राम मनोहर लोहिया, चैधरी चरण सिंह, स्व0 जनेश्वर मिश्र जैसे महान समाजवादियों के साथ उन्होंने कार्य किया। श्री यादव ने समाजवाद के महत्व एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाजवाद का उद्देश्य समाज में समानता व सम्पन्नता लाना है। समाज से आर्थिक एवं सामाजिक गैर-बराबरी समाप्त कर पूरे समाज को समग्र विकास की ओर अग्रसर करना है। इस अवसर पर श्री मुलायम सिंह यादव ने वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में शिक्षा और दवाई मुफ्त दी जा रही है। अब प्रदेश में किसानों की भूमि कर्ज के कारण नीलाम नहीं हो सकेगी।
डाॅक्यूमेन्ट्री के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए श्री शंकर सुहेल ने कहा कि इस फिल्म के जरिए वे समाज को यह बताना चाहते हैं कि किस प्रकार गरीब, एवं वंचित वर्ग का व्यक्ति, जो सबको साथ लेकर चलने की दृढ़ इच्छा रखता है, जमीन से आसमान की ऊँचाइयों तक उठ सकता है। श्री शंकर सुहेल का कहना है कि फिल्म ‘सारथी’ में नेताजी के जमीनी व्यक्तित्व की एक झलक देश-दुनिया को मिलेगी। ये फिल्म आगे की पीढि़यों के लिए दस्तावेज बन सकती है। भावी पीढि़यों को ये जानने का मौका मिलेगा कि किसी तरह गुड़-चना खाकर एक नेता 50-50 किलोमीटर का रास्ता तय कर समाज को आगे बढ़ाने के लिए काम कर सकता है।
इस अवसर पर सांसद प्रो0 रामगोपाल यादव, श्रीमती जया बच्चन, श्री नरेश अग्रवाल एवं श्री किरणमय नन्दा सहित बड़ी संख्या में दिल्ली व उत्तर प्रदेश के बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
गौरतलब है कि श्री शंकर सुहेल ने इस फिल्म को बनाने में एक साल से ज्यादा का समय लिया। इस फिल्म के लिए वे नेताजी के साथ रहे। सैफई से लखनऊ, लखनऊ से दिल्ली तक कई दिनों तक नेताजी के नजदीक रहकर उनके काम करने के तरीकों को समझा। उनकी जिन्दगी से ज्यादा पहलुओं को इस फिल्म में उतारने की कामयाब कोशिश की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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