जिले मे जाति सम्प्रदायों की खाई चैडी करने में सत्तादल नेता और समर्थक बने अधिकारी जुट गये है जिसमें निर्दोषो, महिलाओं बच्चो यहां तक कि मवेसियों को भी नही बख्या जा रहा है। मुख्यमंत्री के रौब और मंशा को सरेआम धूल धूसरित किया जा रहा है जिसका दूर गामी परिणाम होगा। जनता असहाय होती जा रही है।
गौरतलब हो कि जनपद के पांचो विधायक जनता के प्रति अपने कर्तव्यों को भूला बैठे है वही लोकसभा प्रत्याशी घोषित हो शकील मियां भी धीरे धीरे जनता के बीच संदिग्ध होते जा रहे है । चूंकि बीते दिन ब्लाक दूबेपुर के ग्राम देहली मुबारकपुर मे दलितो और मुस्लिमो के बीच हुए झगडे में वाही भी इनकी भूमिका साफ नही दिखी अगर चाहते तो एक सत्त्ताधारी व सपा घोषित प्रत्याशी की हनक के चलते न स्थानीय पुलिस व राजस्व कर्मी लापरवाह होेते न इतनी बडी शर्मशार करने वाली घटना होती ।
एक नेता के पर इनके लिए सभी वर्ग सम्प्रदाय व जातियां बराबर है । वही बसपा के कददावर व धनाड््य नेता पूर्व पर्यटन मंत्री और वर्तमान पर्दानशीन एम.एल.सी. भी न तो दलितो के बीच गये यहां तक कि २७ घरो के हजारो स्त्री पुरुष बच्चे आगजनी के चलते खुले आसमान के नीचे जीवन गुजार रहे है उनमें कई गर्भवती महिलाएं है कुछ असक्त वृद्ध स्त्री पुरुष है उनकी सुधि लेना तो दूर घटना की निंदा तक से सपा बसपा के नेता परहेज कर रहे है । जिसमें लापरवाह अधिकारी भी हवा का रुख भांप कर व सारी मानवता पद की कर्तव्य निष्ठा त्यागकर दिलत विरोधी हो गये है ।
माना कि ये दलित हाथी पर ही वोट देते है मायावती को खुदा मानते है मगर है तो वर्तमान में आगजनी पीडित दुखियारे मानव धर्म भी कोई चीज होती है । यहां जानवरो के साथ भी ये बर्ताव नही किया जाता ये तो मानव है इनकी मदद से न तो मुलायम नाराज हो सकते है न अखिलेश ही टिकट काट देगे, लालबत्त्ती छीन लेगें । जनता और मीडिया के समझ मे एक बात नही आयी कि इतनी बडी घटना पर उ०प्र० मानव आयोग व महिला आयोग क्यो खामोश है ?
क्या मानव उत्पीडन, दलित उत्पीडन पर बोलने कार्यवाही करने पर क्या सरकार द्वारा कोई रोक लगी है? या कोई शासना देश आया है डी.एम. एस.पी. के पास की इनकी बस्ती जलाई जाये इन्हे गोली मार दी जाये प्रशासन कोई कार्यवाही नही करेगा, कोई भी सपा नेता विधायक नही बोलेगा ? जबकि दंगे की पृष्ठ भूमि महिनो पहिले बन चुकी थी । भांई का दंगा, और अब देहली मुबारकपुर का दंगा आखिर क्या कह रहा है ? क्या दंगे से ही वोट मिलेगें भाई चारे अमनचैन विकास और समरसता, समाजिक कार्यो से भी वोट व सत्त्ता मिलती है और मिलेगी भी ।
नोयडा मे मात्र दंगे की आंशका से मध्यरात्रि मे दुर्गाशक्ति को निलंबित कर दिया गया मगर यहां तो हत्या, आगजनी, लूटपाट सब कुछ हुआ फिर भी अधिकारी अपने पदो पर आज भी बदस्तूर मौजूद है । और शायद आगे भी रहे । वाह रे समाजवाद ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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