आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह ने जिला फोरमों के सभी अध्यक्षों को यह निर्देशित किया कि उपभोक्ता हित में वे नियमानुसार ऐसे उपाय करें कि उपभोक्ताओं द्वारा दाखिल किये गये परिवादों का निस्तारण शीघ्रातिशीघ्र किया जा सके, जिससे अधिक से अधिक उपभोक्तागण उक्त अधिनियम का लाभ उठाकर लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विशेषकर उपभोक्ताओं का हित संरक्षित करने के लिए पारित किया गया अधिनियम है। इसमंे उपभोक्ताआंे के अधिकारों को संरक्षित किया गया है।
जिला फोरमों उपभोक्ताओं द्वारा दाखिल किये जा रहे परिवादों एवं उनके शीघ्र निस्तारण हेतु आ रही कठिनाईयों के सम्बन्ध में आज राज्य उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग गोमती नगर मंे विचार-विमर्श किया गया। जिला फोरमों में कर्मचारियों की कमी, टी0एस0पी0 की तैनाती तथा दैनिक खर्चों एवं उपभोक्ताओं द्वारा दाखिल किये गये परिवादों के शीघ्र निस्तारण के सम्बन्ध में अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उन्होंने जिला फोरम के अध्यक्षगण से यह अपेक्षा की कि उन्हें आहरण वितरण अधिकारी के साथ-साथ कार्यालय अध्यक्ष की शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं जिसके नाते वे नियमानुसार नियमों के अन्तर्गत जिला फोरमों में उत्पन्न हो रही समस्याओं का निराकरण करें तथा यह प्रयास करें कि जिला फोरमों में उपभोक्ताआंे द्वारा दिन-प्रतिदिन दाखिल किये गये परिवादों का निस्तारण शीघ्रातिशीघ्र करें।
न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह ने जिला फोरम के अध्यक्षगणों से कहा कि उपभोक्ताओं द्वारा दाखिल किये गये परिवादों का शीघ्र निस्तारण किया जाना तथा जिला फोरमों में महसूस की जाने वाली कठिनाइयों का निराकरण करना है। विचार-विमर्श से विभिन्न समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है। उन्हांेने अध्यक्षगणों से आशा व्यक्त की कि जिला फोरमों में दाखिल किये गये परिवादों का निस्तारण तीव्र गति से हो सकेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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