- बागवानी फसलों में कैनाॅपी प्रबन्धन एवं सघन बागवानी तकनीक को अपनाये किसान- डाॅ0 गोरख सिंह
- गुणवत्तायुक्त पौध सामग्री की आपूर्ति किसानों को की जाये - ओ0एन0 सिंह
प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या तथा कम होती जमीन के लिए सघन बागवानी एवं कैनाॅपी प्रबन्धन तकनीक को बागवानी फसलों में अपनाना अति आवश्यक है। नये एवं पुराने बागों में कैनाॅपी प्रबन्धन तकनीक को अपनाकर किसान फलों के उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता को बढ़ाकर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।
यह बात बागवानी आयुक्त, भारत सरकार डाॅ0 गोरख सिंह ने आज यहां उद्यान निदेशालय स्थित प्रेक्षागृह में सघन बागवानी और कैनापी प्रबन्धन विषय पर आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कही। उन्होंने विदेशों में तथा देश के कई राज्यों में किसानों द्वारा अपनाई जा रही इस तकनीक को उपस्थित लोगों को दिखाया तथा इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि परम्परागत विधि की अपेक्षा सघन बागवानी तथा कैनाॅपी प्रबन्धन तकनीक को अपनाकर फलों के उत्पादन में तीन से चार गुना वृद्धि प्राप्त की जा सकती है। नये एवं पुराने बागों का कैनापी प्रबन्धन करना बहुत आवश्यक है, जिससे लम्बे समय तक अधिक फल प्राप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि कैनाॅपी प्रबन्धन से पौधों की ऊँचाई तथा फैलाव का नियंत्रण होता है जिससे अधिक उत्पादन तथा गुणवत्तायुक्त फल प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से फल के आकार को बढ़ाने, बागवानी कार्यों को सरल बनाने, पौधों की आयु बढ़ाने तथा रोग और नाशीजीव नियंत्रण करने में काफी सहायता मिलती है।
निदेशक, केन्द्रीय उपोष्ण एवं बागवानी संस्थान डा0 एच0रविशंकर ने संस्थान द्वारा कैनाॅपी प्रबन्धन एवं पुराने बागों के जीर्णोंद्धार पर किये जा रहे शोध एवं उपलब्धियों को बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को नयी तकनीक का ज्ञान नहीं है। वैज्ञानिक विधि से फल उत्पादन कर प्रदेश को आर्थिक रूप से समृद्ध़ बनाया जा सकता है। प्रधान वैज्ञानिक डा0 वी0के0सिंह ने कार्यशाला में कैनाॅपी प्रबन्धन तथा सघन बागवानी पर किसानों एवं प्रशिक्षणार्थियों को विस्तृत जानकारी दी।
कार्यशाला में निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री ओम नारायण सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत आम, अमरूद तथा आॅवला के पुराने अनुत्पादक बागों के जीर्णोंद्धार एवं कैनाॅपी प्रबन्धन के लिए व्यय लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तथा आम की सघन बागवानी के लिए इकाई लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपये तथा अमरूद की सघन बागवानी के लिए इकाई लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 31,388 रुपये का अनुदान लाभार्थी को उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को गुणवत्तायुक्त पौध सामग्री की आपूर्ति किसानों को किये जाने के निर्देश दिये।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा कृषकों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं को इस तकनीक की जानकारी दी गयी तथा उनके जिज्ञासांेओं का समाधान किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ विभागीय अधिकारी, प्रमुख फलोत्पादक 50 जनपदों के उद्यान अधिकारी, रिसोर्स पर्सन के रूप में वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक तथा इन जिलों के दो-दो प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com