उत्तर प्रदे्य सरकार विद्युत अधिनियम का लगातार उल्लंघन करते हुए बिजली दर बढ़ाने का निर्णय कर रही है जिसके विरोध में जन प्रतिरोध-आन्दोलन समिति, उत्तर प्रदे्य ने राज्य स्तरीय आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में, दिनांक 22 अगस्त 2013 को विभिन्न जिला मुख्यालयों पर आम जनता का विरोध प्रद्र्यन संगठित किया गया और जिला अधिकारी के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदे्य सरकार को ज्ञापन सौंपा गया।
प्रदे्य की राजधानी लखनऊ में भी उपरोक्त समिति की जिला ईकाई की उक्त संदर्भ में एक गोष्ठी आयोजित की गयी और निष्कड्र्ढ को आम जनमानस की जानकारी के साथ ही माननीय मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन के रूप में प्रेस में निम्नवत् पे्रड्ढित किया गया।
प्रदे्य भर में हर किसी को जानकारी है कि अभी जून के महीने में प्रदे्य सरकार ने 45% बिजली दर बढ़ाकर आम जनता के ऊपर भारी बोझ डाल दिया है। इसके अलावाँ पुनः बिजली दर 300 प्रत्यित तक बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है। इस वृद्धि को सभी प्रकार के बिजली उपभोक्ता व्यिेड्ढ रूप से गाँव और ्यहर में रहने वाले गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बिजली उपभोग मुष्किल हो जायेगा, उनकी कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जायेंगी। गरीबों व किसानों की हितैड्ढी बनने का जोर-्योर से प्रचार करने वाली उत्तर प्रदे्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में जलने वाली बिजली का दाम अभी 180 रु0 प्रतिमाह कर दिया है। इसे अभी और भी बढ़ाने का प्रस्ताव है। इस बढ़ोत्तरी से सिंचाई के साधन नलकूप आदि का बिजली ्युल्क प्रति हार्सपावर के बजाय किलोवाट के हिसाब से लिया जायेगा, जिससे किसानों पर भारी बोझ पड़ेगा। एक तरफ तो सरकार बिजली की दर इतनी अधिक बढ़ा रही है दूसरी तरफ ्यहरों में 14 घंटे बिजली कटौती हो रही है और गाँव में तो रोटे्यन में मुष्किल से 3 & 4 घंटे बिजली आती है। इतनी अनियमित बिजली आपूर्ति से खेती का काम भी बाधित है। बिजली के द्वारा चलने वाले छोटे-छोटे उद्योग-धंधे तबाह हो रहे है। नतीजा यह है कि उन उद्योग-धंधों में काम करने वाले लोग बिल्कुल बेकार हो गये हैं।
उत्तर प्रदे्य की सपा सरकार की इस मनमानी के खिलाफ आम जनता को अपनी कठिनाइयों को समझते हुए संघड्र्ढ में उतरना अति आवष्यक हो गया है। सरकार को सही द्यिा में काम करने के लिये बाध्य करने हेतु आम जनता के पास जन-आन्दोलन ही एकमात्र विकल्प है।
अतः आम जनता से हमारी अपील है कि इस लड़ाई में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर जोरदार आन्दोलन के जरिए बढ़ी हुई बिजली दर वापस लेनेे के लिए उत्तर प्रदे्य सरकार को मजबूर करे।
बढ़ी हुई बिजली दर तत्काल वापस ली जाये।
यहरों और गाँवों में 24 घंटे नियमित रूप से बिजली दी जाये।
बिजली विभाग का निजीकरण बन्द किया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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