1. धार्मिक महत्व की पारम्परिक 84 केासी यात्रा अयोध्या में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ होकर बैशाख शुक्ल नवमी तक चलती है जो पहले हो चुकी है न कि 25 अगस्त की तारीख से है जो विहिप की यात्रा की तिथि है। अतः यह निर्धारित परम्परा से हटकर आयोजन है।
2. विहिप ने ही इस परिक्रमा संबंधी आयोजन का मुख्य लक्ष्य धार्मिक न रखकर राम मंदिर बनाने की घोषणा के साथ जोड़ा है।
3. अयोध्या विवादित स्थल प्रकरण मा0 सर्वोच्च न्यायालय में है, जिसमें समय-समय पर अदालतों ने यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दे रखा है। 09मई, 2011 को मा0 उच्चतम न्यायालय ने भी ऐसा ही आदेश दे रखा है।
4. विहिप द्वारा मा0 उच्च्तम न्यायालय के यथास्थिति के आदेश के विपरीत राम मंदिर बनाने की मांग को लेकर इस परिक्रमा का आयोजन क्या यह नहीं साबित करता कि विहिप को भारत के संविधान, न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है।
5. विहिप ने जब अटल जी की सरकार दिल्ली में थी तब इस तरह की परिक्रमा का आयोजन क्यों नहीं किया। यह साबित होता है कि वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए निर्जीव भाजपा को शक्ति देने के लिए यह हथकंडा अपनाया जा रहा है।
6. उ0प्र0 में आज समाजवादी पार्टी की सरकार है जिसका ग्राफ नीचे जा रहा है। विहिप ने परिक्रमा का आयोजन इसी दौर में किया है। कहीं यह मिलाजुला मामला तेा नहीं है कि दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ाकर धु्रवीकरण कराया जाये, जिसका फायदा समाजवादी पार्टी व भाजपा दोनों को मिले।
7. जहां तक प्रश्न राज्य सरकार द्वारा 84 कोसी परिक्रमा पर रोक लगाने का है, मैं इससे निम्न आधार पर सहमत हूं। (अ) यह कोई परम्परागत धार्मिक आयोजन, धार्मिक पर्व नहीं है। जिस पर रोक लगाई गई है। (ब) परिक्रमा का लक्ष्य राम मंदिर निर्माण है जो प्रकरण मा0 उच्चतम न्यायालय में लंबित है व मा0 न्यायालय का यथास्थिति बनाये रखने का आदेश है। (स) समूह को धार्मिक उन्माद में भड़काकर, एकत्रित करके व विवादित परिसर के पास एकत्रित करके वर्ष 1992 के घटनाक्रम से हम सभी परिचित हैं। अतः कोई भी संगठन दोबारा ऐसा काम न कर पाये, अतः सावधानी बरतना भी जरूरी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com