बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व चेयरपर्सन, बी.एस.पी. संसदीय दल एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का, उत्तर प्रदेश की सपा सरकार द्वारा ख़ासकर मुस्लिम समाज को गुमराह करने वाला फैसला लिये जाने के सम्बन्ध में वक्तव्य

Posted on 22 August 2013 by admin

नई दिल्ली, 21 अगस्त, 2013, 2013: उत्तर प्रदेश की सपा सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत लक्ष्यों का 20 प्रतिशत मात्राकृत करते हुये लाभान्वित करने का जो फैसला राज्य मन्त्रिमण्डल द्वारा दिनांक 20 अगस्त सन् 2013 को लिया गया है वह सरासर ’’धोखा’’ है व आगामी लोकसभा को ध्यान में रखकर अल्पसंख्यकों को गुमराह करके उसका लाभ उठाने के स्वार्थपूर्ण उद्देश्य से लिया गया है और साथ ही ‘‘जनसंख्या के आधार पर मुसलमानों को अलग से आरक्षण दिये जाने‘‘ के चुनावी घोषणा-पत्र से साफ-साफ मुकरना है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा सामान्य निर्वाचन 2012 के लिए जारी अपने चुनावी घोषणा-पत्र में सपा ने यह वायदा किया था कि ‘‘मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशों की रोशनी में सभी मुसलमानों को आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ा मानते हुये दलितों की तरह जनसंख्या के आधार पर अलग से आरक्षण दिया जायेगा‘‘, लेकिन अब लगभग डेढ़ वर्ष का लम्बा समय बीत जाने के बाद भी इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई तो दूर, कोई प्रारम्भिक कार्यवाही भी अब तक नहीं की गयी है।

इसके अलावा ‘‘मुस्लिम बहुल जि़लों में नये सरकारी शैक्षिक संस्थानों की स्थापना‘‘ की वायदा चुनावी घोषणा-पत्र में किया गया था, जिस पर भी रत्ती बराबर भी अमल नहीं किया गया है। यह सरासर धोखेबाज़ी व फरेब नहीं तो और क्या है?

इतना ही नहीं बल्कि उर्दू-अरब-फारसी विश्वविद्यालय, जो मान्यवर श्री कांशीराम जी के नाम पर मेरी बी.एस.पी. सरकार द्वारा स्थापित किया गया था, उस विश्वविद्यालय को विशेष क़ानूनी अधिकार देकर अल्पसंख्यक तालीमी इदारों को प्रोत्साहित व मान्यता आदि देने की ख़ास जि़म्मेदारी दी गयी थी, जिसके सम्बन्ध में वर्तमान सपा सरकार ने अभी तक भी कोई कार्यवाही नहीं की है।
इस प्रकार उपरोक्त बातों से यह स्पष्ट है कि सपा सरकार अल्पसंख्यकों में भी ख़ासकर मुस्लिम समाज के हितों के संरक्षण व कल्याण के प्रति बिल्कुल गम्भीर व संवेदनशील नहीं है, वरना अपने चुनावी वायदों को पूरा करने में सपा इतनी ज़्यादा कोताही व लापरवाही नहीं बरतती, जैसाकि अभी तक देखने को मिल रहा है।

साथ ही, मामूली महत्व की व कम बजटों वाली 85 विभिन्न सरकारी योजनाओं में 20 प्रतिशत कोटा निर्धारित करने का फैसला जो अब लिया गया है, वह वास्तव में बजट प्रस्तुत करते समय ही वर्ष के प्रारम्भ में ही ले लेना चाहिये था तब ही इसका कुछ लाभ वर्तमान वित्तीय वर्ष में मिल सकता था। लेकिन लगभग आधा वित्तीय वर्ष निकल जाने के बाद अब जो फैसला लिया गया है इसका कोई लाभ वर्तमान में अल्संख्यकांे को नहीं मिलने वाला है।

जाहिर है कि सपा सरकार का यह फैसला ख़ासकर मुस्लिम समाज के लोगों को वरग़लाने व गुमराह करने तथा बाक़ी समाज के लोगांे को ख़ासकर भाजपा को भड़का कर साम्प्रदायिक माहौल तैयार करके आपसी चुनावी लाभ उठाने की नीयत से किया गया ही प्रतीत होता है अर्थात् सपा की नीयत में खोट व ख़ुराफात प्रतीत होता है।

साथ ही, स्पष्ट तौर पर सपा सरकार द्वारा हर क्षेत्र में व हर स्तर पर अपनी नाकामी को छिपाकर उसकी तरफ से ध्यान बांटने की एक नाकाम कोशिश भी है, क्योंकि अपराध-नियन्त्रण व क़ानून-व्यवस्था के साथ-साथ साम्प्रदायिक दंगों व तनाव के कारण सर्वसमाज के लोग और ख़ासकर मुस्लिम समाज के लोगों की नाराज़गी जग-ज़ाहिर है और उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को कड़ा सबक़ सिखाने के लिए उन्हें बस सही मौक़े का ही इन्तज़ार है। वैसे भी सपा सरकार की घोर नाकामी व जनता का विश्वास खोने के चर्चे उत्तर प्रदेश मे ही नही बल्कि देश भर में अब आम है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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