दिगम्बर जैन समाज द्वारा पहली बार प्राचीन बड़े जैन मंदिर जी - बानपुर में विदुषी माता पत्ती देवी जैन की 15वीं पुण्य तिथि पर प्रसिद्ध कवि श्री कैलाष मड़बैया भोपाल द्वारा रचित बंुदेली भक्तामर की अखण्ड और सफल प्रस्तुति सम्पन्न हुई। उल्लेखनीय है कि अभी तक मूल भकतामर के साथ हिन्दी के किसी अनुवाद, का गायन होता था पर अब समझ में आने वाली और लोकप्रिय धुन में रचित अभिनव बंुदेली भक्तामर की प्रस्तुति पुरुष और महिला बर्ग की टीमों द्वारा गायन की परम्परा षुरु हो चुकी है जो हर जगह लोकप्रिय हो रही है और इस सदी की अभिनव देन मानी ला रही है। इसके पूर्व भारत भवन भोपाल में भी पच्चीस जून को बंुन्देली भक्तामर की प्रारंभिक प्रस्तुति का उद्घाटन भारत के गृह मंत्री और म.प्र. के राज्यपाल द्वारा किया जा चुका है। प्रासंगिक यह है कि बानपुर कस्बे में सम्पन्न उक्त प्रस्तुति में जैन विद्वानों के साथ अनेक जैनेतरों द्वारा भी बंुदेली भक्तामर की सांगीकित प्रस्तुति में योगदान दिया गया। बानपुर में पं. बाबूलाल द्विवेदी बानपुर, प्रांे अतुल गुप्ता पिछोर आदि के साथ श्री केामल मास्साब, श्री प्रकाष सिघई दम्पत्ति ,पं.राजू बानपुर आदि का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। महत्वपूर्ण यह है भी है कि इसी लोकप्रियता के कारण बंुदेली भक्तामर ग्रंथ का पहला संस्क्रण हाथों हाथ बिक चुका है अतः द्वितीय संस्करण की तैयारी की जा रही है और जगह जगह इसकी सांगीतिक प्रस्तुतियाॅं लोकप्रिय होतीं जा रहंी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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