- बासमती धान के उत्पादन करने वाले किसानो को सीधे लाभ पहुचाना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी: आलोक रंजन
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने अपने सभा कक्ष में बासमती चावल निर्यात बैठक की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश के किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने, प्रदेश में निर्यात की सुविधाओं को विकसित करने व रोजगार के अतिरिक्त अवसर सुलभ कराने, देश व प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने और विदेशी मुद्रा अर्जित करने के निमित्त प्रदेश से चावल के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिये उत्तर प्रदेश चावल नीति (2012-2017) की घोषणा अधिसूचना संख्या 1169 दिनाूक 7.11,2012 के द्वारा लागू की गई। इस अधिसूचना के अन्तर्गत निर्यात नीति के अनुसार संस्थागत वित्त, कर एवं निबंधन अनुभाग (2) द्वारा जारी की गयी अधिसूचना संख्या 247 दिनांक 24.02.2010 में विनिर्दिष्ट शर्तो के अधीन चावल को उत्पादित करने में प्रयुक्त धान निर्माता/निर्यातक का कच्चा माल होने के कारण निर्माता/निर्यातकों द्वारा इससे उत्पादित चावल के डाइरेक्ट व इनडाइरेक्ट निर्यात की दशा में उत्पादन में प्रयुक्त धान पर वैट की छूट प्रदान की गयी है
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि कच्चे आढतियों से बासमती धान की सीधे खरीद करने पर वैट टैक्स में छूट प्रदान की जायेगी। इस सम्बन्ध में वाणिज्य कर विभाग द्वारा वैट टैक्स की नीति का क्लैरीफिकेशन शीघ्र जारी कर दिया जायेगा जिससे किसानों व निर्यातक को अधिक लाभ होगा। बासमती उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा तो वे बसमती धान की उपज के प्रति और अधिक गंभीर होंगे जिससे सरकार का गैर बासमती धान की खरीद का बोझ स्वतः ही कम हो जायेगा।
इस व्यवस्था को समाप्त करने के लिये अधिसूचना संख्या 247 के अनुसार जो धान खरीद की व्यवस्था सीधे किसानों के माध्यम से निर्माता/निर्यातकों को प्रदान की गयी है उसको उक्त समस्याओं के मद्दे नजर रखते हुये आढतियों के माध्यम से बासमती धान की खरीद करने की व्यवस्था की जाये।
इस व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने के लिये निर्माता/निर्यातकों द्वारा चावल निर्यात नीति के अनुसार ‘‘बी0एल’’ या ‘‘फार्म एच’’ जमा कराके निर्यात दायित्व पूरा होने पर आढती को फार्म (नई व्यवस्था के अनुसार) अपने पंजीकृति वाणिज्यकर कार्यालय से उपलब्ध कराके आढतियों को जारी कर सकें, जिससे आढती द्वारा निर्माता/निर्यातक को की गयी बासमती धान की निर्यात हेतु बिक्री को प्रमाणित किया जा सके।
नई व्यवस्था के लागू होने पर राज्य में लगभग सभी किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य भी मिलने के साथ प्रदेश में उत्पादित बासमती धान की सम्पूर्ण खपत प्रदेश में स्थित चावल मिलों द्वारा ही कर ली जायेगी जिससे किसानों की आय में बढोत्तरी तो होगी ही तथा वे और अधिक प्रोत्साहित होकर बासमती धान की उपज बढायेंगे। प्रदेश में स्थित चावल निर्यातक इकाइयां अपनी उत्पादन क्षमता के अनुसार धान की खरीद कर सकेंगी जो कि अभी उक्त व्यवस्था के अनुसार बाधित है जिससे सभी इकाइयां पूरे वर्ष चावल का उत्पादन व निर्यात कर सकेगी जिससे प्रदेश में नये रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे तथा विदेशी मुद्रा भी अर्जित होगी। निर्यातित चावल की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ चावल के ठल च्तवकनबज की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होगी जिससे सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
प्रदेश में स्थापित बासमती चावल उत्पादक इकाइयों के पास इतनी उत्पादन क्षमता व आधारभूत सुविधएं उपलब्ध हैं कि वे बासमती चावल निर्यात में प्रदेश को अग्रणी दर्जा दिलवा सकती है। कई निर्माता/निर्यातक चावल की भूसी से बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं जो कि धन की अबाधित आवक पर निर्भर है जो कि उक्त लिखित व्यवस्था के अनुसार पूरी नहीं हो पा रही है अगर निर्माता इकाइयों को पूरे वर्ष कच्चे माल की उपलब्धिता करायी जाये तो प्रदेश में अनेक बिजली उत्पादक इकाइयां स्थापित हो सकेंगी।
बैठक में आयुक्त वाणिज्य कर श्री मृत्यंजय कुमार नारायण, विशेष सचिव कृषि शिक्षा एंव विपणन श्री बादल चटर्जी, निदेशक मण्डी परिषद श्री अनूप यादव, उपाध्यक्ष चावल निर्यात एसोसिएशन श्री अजय भालोटिया भी उपस्थिति थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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