केन्द्र सरकार के वर्ष 2008 में ऐतिहासिक 75हजार करोड़ रूपये की किसान कर्ज माफी एवं वर्ष 2010 में 7हजार करोड़ रूपये के बुन्देलखण्ड के लिए प्रदान किये गये स्पेशल पैकेज के बावजूद बुन्देलखण्ड में हजारों किसान बैंकों द्वारा कर्ज वसूली में की जा रही मनमानी के चलते आत्महत्या कर रहे हैं।
अखिल भारतीय कंाग्रेस कमेटी के सदस्य युगराज भदौरिया ने बताया कि किसानों के आत्महत्या के मामलों का संज्ञान मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने लेकर 15जून 2011 को बुन्देलखण्ड के किसानों से बैंकों द्वारा कर्ज वसूली पर रोक लगा दी। इसके उपरान्त 11जुलाई 2013 को मा0 उच्चतम न्यायालय ने भी एक लाख रूपये मूलधन के कर्ज पर अभी भी कर्ज वसूली पर रोक जारी रखी है एवं 11जुलाई 2013 से तीन माह के अंदर मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद को बुन्देलखण्ड किसानों के आत्महत्या से संबंधित जनहित याचिका पर अंतिम निर्णय करने का निर्देश दिया है।
श्री भदौरिया ने बताया कि चूंकि बुंदेलखण्ड के किसानों की ओर से मा0 उच्चतम न्यायालय में कोई प्रतिनिधित्व न होने एवं किसी एनजीओ अथवा व्यक्ति को पार्टी न बनाये जाने के चलते बैंकों ने आधे-अधूरे तथ्य देकर मा0 उच्चतम न्यायालय से एक लाख रूपये से अधिक के मूलधन वाले ऋण की रिकवरी पर लगे रोक का आदेश हटवा लिया है और अपनी मनमानी पर उतरकर किसानों से कर्ज वसूली में न सिर्फ जुटे हैं बल्कि आर.सी. तक जारी करने पर अमादा हैं जिसके चलते बुंदेलखण्ड के किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं।
श्री भदौरिया ने बुंदेलखण्ड के किसानों से अपील की है कि बैंकों द्वारा कर्ज वसूली की नोटिस आने पर किसान अपने ऋण के खाते का कम्प्यूटराइज्ड स्टेटमेंट अपनी शाखा से लेकर मूलधन एवं ब्याज की राशि को अलग-अलग करते हुए बैंक में मूलधन व 4 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से एक मुश्त समाधान योजना के तहत अपना ऋण किश्तों में अदा करने हेतु प्रार्थनापत्र अपने संबंधित बैंक की शाखा को दें एवं बैंक की मुहर सहित रिसीविंग अवश्य प्राप्त करें। अपने प्रार्थनापत्र में किसान आर.बी.आई. के प्राकृतिक आपदा सर्कुलर का हवाला अवश्य दें। क्योंकि आर.बी.आई. के उसी सर्कुलर के कारण ही किसान को एक मुश्त समाधान योजना का हक बनता है।
श्री भदौरिया ने इसी प्रकार किसानों से अपील की है कि सभी किसान एक लाख रूपये से कम धनराशि वाले के.सी.सी. (ग्रीन कार्ड) में बंधक जमीन को अवश्य बंधक मुक्त करायें, जो आपका अधिकार है। क्योंकि आर.बी.आई. के 18जून 2010 के सर्कुलर द्वारा एक लाख तक के केसीसी में जमीन बंधक करने पर मनाही है। फिर भी बैंकों द्वारा किसानों की जमीनें जबरिया बंधक रखी गयी हैं।
श्री भदौरिया ने बताया है कि सितम्बर माह के अंत तक निश्चित रूप से मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद बुंदेलखण्ड के किसानों से बैंक ऋण की वसूली किन शर्तों पर करे, इस बावत अंतिम निर्णय अवश्य आ जायेगा। इसलिए किसान जमीन नीलामी की झूठी खबरों पर ध्यान न दें। कुर्की अथवा जेल में बंद होने के डर से अपनी जमीनें न बेंचे एवं आत्महत्या जैसा कदम न उठायें। किसान यदि बैंक से अपनी समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं तो बुंदेलखण्ड किसान हेल्पलाइन 8127262539 एवं 9450273585 पर सम्पर्क कर मदद ले सकते हैं।
श्री भदौरिया ने बताया कि यह भी जानकारी में आ रहा है कि तमाम बैंकों द्वारा किसानों को जो पुराना कर्ज दिया गया था और वह कर्ज चार या पांच गुना बढ़ गया है उस कर्ज में बैंकों ने किसानों पर आर.बी.आई. नियमों के विरूद्ध (मूलधन में चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर) नये कर्ज की बड़ी रकम बनाकर किसान के नाम कर्ज के नये कागज तैयार कर लिये हैं जबकि किसान के हाथ में एक नया पैसा भी नहीं आया है। ऐसे किसान बुंदेलखण्ड किसान हेल्पलाइन में जरूर सूचना दें, जिससे कि उन किसानों का हलफनामा कोर्ट में दिया जा सके। उन्होने बताया कि कई अन्य इस तरह के जो भी तथ्य किसानों के पास हों, और मा0 उच्च न्यायालय में बैंकों की मनमानी के विरूद्ध रखे जा सकते हैं वह भी बुंदेलखण्ड किसान हेल्पलाइन के पते- बुंदेलखण्ड किसान हेल्प लाइन, मेहर बाबा मंदिर के पास, हमीरपुर, उ0प्र0 के पास अवश्य भेजें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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