सी0एफ0एस0डी0 इण्डिया के राष्ट्रीय संयोजक चन्द्र भूषण पाण्डेय द्वारा हरित धरती विकास कार्यक्रम के प्रथम चरण के पूरा होने पर जारी विज्ञप्ति में कहा कि पूर्णतः जनभागीदारी द्वारा चलाए जा रहे मिशन ‘‘कल के लिए जल’’ के अन्र्तगत ग्रीष्म-काल में चिन्हित तालाबों तथा नदी तटों पर, हरित धरती विकास कार्यक्रम में एक लाख अष्टवृक्ष रोपण अभियान में, विगत एक माह में संस्था से जुड़े 503 नदी मित्रों तथा लगभग 1000 आम नागरिकों ने एक अथवा अधिक अष्टवृक्षों के रोपण एवम् उसके अनुरंक्षण का संकल्प लिया। अष्टवृक्षों (पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर, आम, नीम, ईमली, महुआ) के रोपण के प्रथम चरण में (15 जुलाई से 13 अगस्त, 2013) में उत्साहजनक परिणाम सामने आया। प्रथम चरण का शुभारम्भ 15 जुलाई, 2013 को जिलाधिकारी जौनपुर ने किया था। इस चरण के अन्तिम दिवस तक, जौनपुर, सुलतानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, चित्रकूट, औरय्या, ओरई, झाॅसी, भिण्ड, दतिया, ग्वालियर, श्योपुर इत्यादि प्रमुख जगहों पर आम नागरिको ने संकल्प पत्र भरा तथा रोपण का शुभाम्भ किया।
- एक लाख अष्टवृक्ष रोपण अभियान का प्रथम चरण 13 अगस्त को समाप्त।
- लगभग 1500 नागरिको के संकल्प से लग रहे है एक लाख अष्टवृक्ष। पूरा अभियान जन सहयोग से चल रहा है, न सरकारी मदद न किसी एजेंसी की मद्द।
- द्वितीय चरण 16 अगस्त से 15 सितम्बर चलेगा।
- मिशन ‘‘कल के लिए जल’’ के अन्र्तगत तृस्तरीय रणनीति पर किया जा रहा है, प्रयास। प्रथम-कुल वर्षा बढ़ाने के लिए हरित धरती विकास द्वितीय जल संरक्षण के लिए तालाबों का पुनर्नवीकरण तथा नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने का जन अभियान; तृतीय उपलब्ध सतही तथा भूमिगत जल का मितव्ययी विदोहन।
- इस अभियान में अब तक लगभग 2000 किमी लम्बी पदयात्रा के माध्यम से यमुना, गोमती, सई, क्वारी, पीली, सिंध, चम्बल इत्यादि नदियों के किनारे रहने वाले तटवासियों को जागरूक कर जोड़ा गया है।
मिशन ‘‘कल के लिए जल’’ के राष्ट्रीय संयोजक चन्द्र भूषण पाण्डेय ने कहा कि यह अभियान निरन्तर तब तक जारी रहेगा जब तक हम प्रत्येक नागरिक को 1700 घन मीटर पानी प्रतिवर्ष उपलब्ध नहीं करा लेने है। जो वर्तमान में 898 घनमीटर प्रति व्यक्ति/वर्ष है। यानि कल अंधकारमय है, जल है तो कल है, इसी उद्देश्य के लिए मिशन ‘‘कल के लिए जल’’ समर्पित है।
द्वितीय चरण 16 अगस्त से होगा जो 15 सितम्बर तक चलेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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