Categorized | लखनऊ.

दुर्बल वर्ग के हितों की रक्षा करने के लिएशासनादेश जारी

Posted on 13 August 2013 by admin

फर्जी दस्तावेजों, साक्ष्यों एवं धोखे से (छद्मवेश) अचल सम्पत्ति की रजिस्ट्री हो जाने पर कमजोर एवं निर्बल वर्ग के लोगों को अब न्यायालय के स्थान पर सहायक महानिरीक्षक (निबन्धन) के यहां से 2 माह में न्याय मिल सकेगा। शिकायतों की जांच के लिए सहायक महानिरीक्षक निबन्धन जांच अधिकारी होंगे।
उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री श्री राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह ने यह जानकारी देते हुए आज यहां बताया कि इस सम्बन्ध में राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिये हैं। उन्होंने बताया कि कल्याणकारी राज्य के उद्देश्य की पूर्ति तथा रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने एवं दुर्बल वर्ग के हितों की रक्षा करने के लिए ही यह शासनादेश जारी किया गया है, ताकि ऐसे फर्जी विलेखांे को विधिक रूप से निष्प्रभावी किया जा सके।
पंजीयन मंत्री ने बताया कि अब कपटपूर्ण ढंग से पंजीकृत कराये गये विलेखों के सम्बन्ध में सम्बन्धित शिकायतकर्ता जिलों के सहायक महानिरीक्षक (निबन्धन) के यहां अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगा। शिकायत दर्ज होने के उपरान्त जांच अधिकारी द्वारा विलेखों के निष्पादकों तथा साक्षीगणों को शिकायत की प्रति के साथ नोटिस जारी किया जायेगा, जो निर्धारित तिथि पर अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। जांच अधिकारी आवश्यकता पड़ने पर निबन्धनकर्ता अधिकारी (सब-रजिस्ट्रार) को साक्ष्य के लिए बुला सकता है।
जांच अधिकारी द्वारा प्रत्येक प्रकरण की जांच 2 माह में पूर्ण कर दी जायेगी। यदि 2 सम्मन पर पक्षकार उपस्थित नहीं होते हैं तो ऐसी दशा में जांच अधिकारी द्वारा उपलब्ध अभिलेखों, साक्ष्यों तथा गवाहों का परीक्षण कर एक-पक्षीय आदेश जारी कर दिया जायेगा।
जांच के दौरान यदि यह निष्कर्ष निकलता है कि विलेख का पंजीकरण फर्जी अभिलेखों एवं साक्ष्यों के आधार पर कराया गया है तो जांच अधिकारी स्पष्ट आदेश द्वारा उस विलेख का पंजीकरण निरस्त कर देगा तथा निबन्धन अधिकारी को आदेश देगा कि इस कपटपूर्ण कृत्य में सम्मिलित व्यक्तियों के विरुद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज कराये तथा इन्डेक्स में प्रश्नगत विलेख के सम्बन्ध में यह टिप्पणी दर्ज करे कि सहायक महानिरीक्षक निबन्धन द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया के अनुसार इस विलेख का पंजीकरण रद्द (annulled) किया जाता है।
प्रमुख सचिव बी0एम0मीना द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजे गये परिपत्र में कहा गया है कि यह निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होगा जहां शिकायतकर्ता किन्हीं कारणोंवश उपस्थित होकर प्रश्नगत विलेख के निष्पादन के सम्बन्ध में स्वीकृति प्रदान कर देता है। यह प्रक्रिया केवल ऐसे विलेखों के सम्बन्ध में है, जिनका पंजीकरण जालसाजी के आधार पर कराया गया है तथा यह प्रक्रिया ऐसे विलेखों के पंजीकरण पर लागू नहीं होगी, जहां स्वामित्व का विवाद है।
शासनादेश के अनुसार जालसाजी के आधार पर पंजीकृत विलेखों की शिकायत दर्ज करने की कार्यवाही में विलम्ब करने, एफ0आई0आर0 दर्ज कराने या इन्डेक्स में टिप्पणी दर्ज करने में यदि कोई विलम्ब किया जाता है, ऐसी दशा में सम्बन्धित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

May 2024
M T W T F S S
« Sep    
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
-->









 Type in