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कांग्रेस की सोच हमेशा से दलित विरोधी रही है -स्वामी प्रसाद मौर्य

Posted on 03 February 2010 by admin

बी0एस0पी0 सरकार ने ही सन्त रविदास के नाम पर नया जिला बनाया, गंगासेतु, पॉलिटेक्निक, विश्वविद्यलाय तथा सन्त रविदास पुरस्कार प्रारम्भ किया,मुख्यमन्त्री ने सन्त रविदास के जन्म स्थान के विकास के लिए 15 करोड़ रूपये की विभिन्न योजनाएं शुरू कीं

लखनऊ - बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस विधायक दल के नेता श्री प्रमोद तिवारी द्वारा इस वर्ष रविदास जयन्ती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित न किये जाने के मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे गलतबयानी बताया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की सोच हमेशा से दलित विरोधी रही है। वास्तविकता यह है कि इस बार सन्त रविदास जयन्ती के दिन निर्बन्धित अवकाश था। श्री तिवारी को कम से कम कैलेण्डर देख लेना चाहिए था। इस प्रकार श्री तिवारी गलत बयानी कर रहे हैं।

श्री मौर्य ने कहा कि वास्तव में श्री तिवारी की नीयत प्रदेश की जनता खासतौर से सन्त रविदास के अनुयायियों में भ्रम फैला कर राजनीतिक लाभ उठाने की हैं। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस एवं उनके नेताओं को सन्त रविदास की इतनी ही चिन्ता होती तो वे केन्द्र एवं प्रदेश में लम्बे समय तक शासन करने के दौरान उनकी स्मृति में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा तथा उनके नाम पर स्मारक आदि बनाने की घोषणाएं अवश्य करते। इससे साफ है कि कांग्रेस के नेता अपना खोया हुआ जनाधार पाने की हताशा में ऊल-जलूल बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता दलितों को रिझाने के लिए कभी झोपड़ी में सोने और खाने की नौंटकी करते हैं, तो कभी अनर्गल बयानबाजी करके सहानभूति बटोरने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि श्री तिवारी द्वारा गुरू रविदास की जयन्ती पर संविधान के नियमों की उल्लंघन का आरोप पूरी तरह बचकाना और सतही है।

श्री मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार पर आरोप लगाने से पहले श्री तिवारी को अपने गिरेहबान में झांक लेना चाहिए। कांग्रेस की सोच हमेशा से दलित विरोधी रही है। इसका सीधा प्रमाण है कि अपने शासनकाल में कांग्रेस की सरकारों ने समय-समय पर दलित एवं पिछडे़ वर्गों में जन्में सन्तों, गुरूओं एवं महापुरूषों की यादगार में एक भी स्मारक, संग्रहालय अथवा पार्क स्थापित नहीं किये। इसके विपरीत बी0एस0पी0 सरकार द्वारा बनवाये गये स्मारकों आदि को लेकर लगातार कोसते रहे और दुष्प्रचार करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि सन्त रविदास जी की जयन्ती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित न किये जाने का बयान भी एक घड़ियाली आंसू की तरह है। कांग्रेस के नेता रविदास जयन्ती पर अवकाश घोषित न करने को लेकर झूठी सहानुभूति दिखाने का नाटक मात्र कर रहे हैं।

श्री मौर्य ने कहा कि प्रदेश के दलित व पिछड़े वर्ग के लोग कांग्रेस के दोहरे चरित्र से भलीभान्ति परिचित हैं और इनके बहकावे में आने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस को दलित महापुरूषों, सन्तों एवं गुरूओं की चिन्ता होती तो केन्द्र सरकार इनकी जयन्ती एवं पुण्य तिथियों पर अवकाश की घोषणा करती। सिर्फ जबानी जमा-खर्च से काम नहीं चलाती। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी के निधन पर यू0पी0ए0 की सरकार ने अवकाश की घोषणा करने सोचने तक की जहमत नहीं उठायी, जबकि पूरा देश जानता है कि मान्यवर श्री कांशीराम जी से करोड़ों दलित एवं पिछड़े वर्ग के लोगों की भावनायें जुड़ी हैं और वे उन्हें समाज का उद्धारक तथा अपना मसीहा मानते हैं।

बी0एस0पी0 प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चौथीबार सत्ता में आते ही उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने सन्त शिरोमणि रविदास जी के जन्म स्थान वाराणसी जाकर उनकी जयन्ती पर सार्वजनिक अवकाश तथा विभिन्न योजनाओं की भी घोषणा की थी। इनमें नगवा वाराणसी में लगभग पौने चार करोड़ रूपये की लागत से सन्त रविदास घाट का निर्माण और इसके साथ ही घाट के पास बहने वाले नाले के सुधार तथा पानी की सफाई हेतु 15 करोड़ रूपये देने की भी घोषणा शामिल है। इन सभी घोषणाओं पर तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार ने अपनी पूर्व की सरकारों के कार्यकालों में सन्त रविदास जी की स्मृति में अनेक निर्णय लिये थे, इनमें गंगा नदी पर बनने वाले पुल का नाम सन्त रविदास सेतु रखने, सन्त रविदास पार्क की स्थापना, पार्क में सन्त रविदास की प्रतिमा तथा वाराणसी में ही सन्त रविदास एस0सी0एस0टी प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना, चन्दौली के चकिया में सन्तरविदास पॉलिटेक्निक तथा फैजाबाद में सन्त रविदास महाविद्यालय व सन्त रविदास सम्मान पुरूस्कार का निर्णय आदि सम्मिलित हैं। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने क्या कभी कोई कार्य इनके लिए किया है।

श्री मौर्य ने कहा मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने अपने पूर्व कार्यकाल में जनपद भदोही का नामकरण सन्त रविदास नगर घोषित किया था। उन्होंने कहा कि देश में समय-समय पर ऐसे सन्तों, गुरूओं और महापुरूषों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त गैरबराबरी व भेदभाव वाली सामाजिक व्यवस्था को समाप्त करने के लिए समर्पित कर दिया। इनमें सन्त श्री रविदास जी का नाम पूरे आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। सन्त रविदास जी ने 15वीं शताब्दी में जो समतामूलक समाज व्यवस्था स्थापित करने का कार्य शुरू किया था, उसको 20वीं सदी के महान सुधारकों अर्थात् छत्रपति शाहूजी महाराज, महात्मा ज्योतिबाफुले, श्री नारायणागुरू, बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर और मान्यवर श्री कांशीराम जी ने आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार इन महापुरूषों के अधूरे कार्यों को पूरा करने तथा इनके सपनों को साकार करने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार सन्तों, गुरूओं और महापुरूषों को किसी जातीय बन्धन में बाधनें की पक्षधर नहीं है, क्योंकि इनके सन्देश सार्वभौम एवं विश्वकल्याण के लिए होते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com


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