उ0प्र0 सचिवालय प्रा0 को0-आपरेटिव बैंक लि0 की प्रबंध कार्यकारिणी की बैठक 14 अगस्त को आहुत की गई है। बैठक में सर्व सम्मति से निर्णय लेकर ऋण वितरण की प्रक्रिया आरम्भ कर देगा। बैंक के अध्यक्ष लल्लू सिंह और उपाध्यक्ष केबीएल श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से बताया कि बैंक को प्रति माह मिलने वाली आय की राषि लगभग 1.75 करोड़ रूपये प्राप्त हो गए है। जबकि ऋण के आवेदकों की संख्या इस राषि से कम है। ऐसे में हो सकता है कि पहली ही प्रबंध कमेटी की बैठक के बाद ऋणों का वितरण आरम्भ कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि पिछले दो माह में कुछ लोगों द्वारा बैंक के बारे में गलत अफवाहें फैलाने के बैंक को बदनाम करने का काम किया गया,जिससे गुमराह कुछ लोगों ने अपनी हानि करते हुए ताबड़तोड़ निकासी षुरू कर दी। लेकिन इसका बैंक पर कोई असर नही है।
उन्होंने बताया कि बैंक में नियुक्तियों को लेकर जिस तरह की अफवाहें फैलाई गई वे पूरी तरह से गलत साबित हो चुकी है। जबकि जो भी नियुक्तियाॅ की गई वे सभी पूर्व प्रबंध समिति ने की थी और उन पर संयुक्त निबंधक सहकारी समितियाॅ का अनुमोदन भी लिया जा चुका है। इसी तरह बैंक में गबन के मामले में नई कार्यकारिणी ने दो कर्मचारियों को प्रारम्भिक रूप से गलती मानते हुए दोनों कर्मचारियों की तीन तीन वेतन वृद्धि रोकने का निर्णय लिया है। यही नही बैंक ने यह भी तय किया है कि अगले तीन माहों में प्रबंध कार्यकारिणी की बैठक के उपरान्त बैंक द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति पर हर साल ष्वेत पत्र जारी किया जाएगा ताकि बैंक की पारदर्षिता पूरी तरह से ग्राहकों के समक्ष बनी रहे। उन्होंने बताया कि नई कार्यकारिणी ने पिछले कार्यकाल की लापरवाही का भुगतान नव निर्वाचित कार्यकारिणी को करना पड़ा और परिणाम स्वरूप बैक 2009 से 2012 तक का आयकर भुगतान एक मुष्त लगभग 62 लाख रूपये ब्याज एवं इनकम टैक्स के रूप में चुकाने पड़े। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में जांच अधिकारी अपर जिला सहकारी अधिकारी कार्यालय उप निबंधन सहकारी समितियों ने अपने जांच आख्या में इसके लिए तत्कालीन सचिव विमल मेहरोत्रा और अध्यक्ष निर्मल कुमार गौतम को जिम्मेदार मानते हुए उनके ऊपर 3.50,672 की जिम्मेदारी सुनिष्चित करते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। इस मामले में तत्कालीन सचिव श्री मेहरोत्रा को निलम्बित किया गया है। इसके बावजूद नई प्रबंध समिति का यह दावा है कि जल्द ही बैंक की आडिट प्रकिया पूरी कर अन्य सभी जरूरतों को पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने आगे अपने ग्राहकों को यह भी जानकारी दी कि इनकम टैक्स कटौती को लेकर लोगों में गलत भ्रान्तियाॅ फैलाई जा रही है जबकि वास्तविकता यह है कि बैंक का सदस्य जो भी एफडी/आरडी/बचत खाते पर ब्याज प्राप्त करेगा वो आयकर अधिनियम, 1961 के अन्तर्गत सर्कुलर नं0-9 दिनांक 11.09.2002 द्वारा पूर्णतः कर मुक्त है तथा ऐसे निवेषक जो वरिष्ठ की श्रेणी में नही आते हैं, फार्म-15जी तथा जो वरिष्ठ की श्रेणी के निवेषक हैं, फार्म-15एच प्रत्येक वर्ष माह अप्रैल में बैंक में जमा कर देते हैं तो बैंक द्वारा कोई आयकर की कटौती नही की जायेगी। इसके अतिरिक्त ऐसे निवेषक भी जिनके जमाओं पर एक वित्तीय वर्ष में ब्याज की धनराषि रू0 10,000/- से अधिक नही है तो कोई आयकर की कटौती नही होगी। आपका धन पूर्णतः सुरक्षित है और आगे भी सुरक्षित रहेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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