विगत एक माह से उत्तर प्रदेष सचिवालय प्राइमरी कोपारेटिव बैंक लिमिटेड के बारे में अनाप ष्षनाप प्रचार प्रसार किया जा रहा है। जो कुछ चर्चाएं बैंक के बारे में की जा रही है। वह वास्तव में बैंक के चुनाव के उपरान्त आए परिणाम तथा बैंक से एकाधिकार खत्म होने के बाद की कुन्ठा है। उत्तर प्रदेष सचिवालय प्राइमरी कोपारेटिव बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष लल्लू सिंह और उपाध्यक्ष के.बी.एल. श्रीवास्तव,संचालक लाल सिंह, रामनरेष यादव और मजीद अली ने संयुक्त रूप से कहा कि बैंक को लेकर कुछ लोग अनर्गल आरोप लगाकर तुच्छ राजनीति कर रहे है। जबकि वास्तविकता यह है कि बैंक की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से सुदृढ़ है। उन्होंने कहा बताया बैंक आज की स्थिति में आरबीआई नियमानुसार कैष रिजर्व राषि 2करोड़ 62 लाख, बहत्तर हजार रूपये तथा लिक्यूड कवर राषि के रूप में 21 करोड़ 89 लाख, 38 हजार रूपये उपलब्ध है। जबकि अन्य बैंकों में बैक की जमा धनराषि रूपये 03 करोड़ 89 लाख 74 हजार रूपये जमा है। इसी प्रकार बैंक के पास नकद रूप में 28 लाख 14 हजार, जबकि यूपी कोआपेरिटव बैंक के चालू खाते में 03 करोड 78 लाख 55 हजार तथा आइडीबीआई बैक में 01 लाख 78 हजार रूपये चालू खाते में है। इसके अलावा बैंक कि लिक्यूड कवर के रूप में यूपी कोआपेरिटव बैंक में 16 करोड़ एक लाख 54 हजार ,राज्य सरकार के पास प्रतिभूति राषि के रूप में 01 करोड़ 54 लाख तथा भारत सरकार के पास प्रतिभूति के रूप में बैंक का 04 करोड़ 54 लाख दस हजार रूपये जमा है।
बैंक के अध्यक्ष लल्लू सिंह एवं अन्य पदाधिकारी और संचालक मण्डल ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को बताया कि कतिपय लोग बैंेक के बारे में भ्रामक और गुमराह करने वाली बाते करके बैंक को बदनाम कर रहे है। यह बात किसी भी दृष्टि में ठीक नही है। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों के बारे में जो कहा जा रहा है वह गलत है। जो भी नियुक्तियां की गयी थी वह वर्ष 2010 में की गयी थी, जिसके पदों, नियुक्तियों व नियमितिकरण का अनुमोदन उपायुक्त सहकारी समितियां लखनऊ द्वारा पूर्व में ही दिया जा चुका है।
उन्होंनें बताया कि बैंक के पूर्व अध्यक्ष/प्रशासक द्वारा समयान्तर्गत आयकर का भुगतान न करने के कारण बैंक को लगभग 22-24 लाख का ब्याज (पेनाल्टी) के रूप में आयकर विभाग को वर्तमान संचालक मण्डल द्वारा पिछले बकाये आयकर लगभग रू0 62 लाख जमा कराया गया, जिससे बैंक व आपके हितो की रक्षा हो सके।
बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से आपके हितो की रक्षा करने वालो द्वारा बैंक से दिनांक 15.05.2013 व 03.06.2013 को भुगतान से सम्बन्धित बाउचर गायब कराकर गबन किया गया, बाउचर गायब होने व गबन होने की जानकारी संचालक मण्डल के समक्ष बोर्ड की बैठक में बैंक सचिव द्वारा नहीं रखी गयी संज्ञान होने पर एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गयी तथा फर्जी नाम से उपायुक्त सहकारी समितियों सेे शिकायत पर सहकारिता विभाग की जांच टीम द्वारा जांच करने पर मुख्य रोकडि़या के दोषी पाये जाने पर जांच रिपोर्ट दबवाने का प्रयास किया जा रहा है। अध्यक्ष ने कहा कि मेरे द्वारा दिनांक 20.06.2013 को बोर्ड की आपातकालीन बैठक में जांच कमेटी बनाने तथा वित्तीय वर्ष 1999-2000 से 2011-12 तक बैंक के वित्तीय क्रिया-कलापों की जांच कराने का निर्णय लेते हुए जांच कराये जाने हेतु उपायुक्त सहकारी समितियां लखनऊ को पत्र भेजा जा चुका है, किन्तु इन्ही लोगो के दबाव में अभी तक उपायुक्त सहकारी समितियां लखनऊ द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी, जिससे बैंक के 03 करोड़ 89 लाख रूपये के गबन करने वाले घपलेवालों व अन्य प्रकार के गबन इत्यादि का घपला करने वालो के खिलाफ एफ0आइ0आर0 दर्ज कर दण्डात्मक कार्यवाही की जा सके। इसी संदर्भ में आपको यह भी अवगत कराना है कि 03 करोड़ 89 लाख रूपये की भरपाई सचिवालय परिवार के बैंक के सदस्य थे से ही करायी गयी, जबकि गबन करने वाले लोग ऐश कर रहे हैं और उनके विरूद्ध अब तक कोई कार्यवाही नही हुई। उन्होंने बताया कि वर्तमान संचालक मण्डल द्वारा कार्यभार ग्रहण करते ही बैंक की कार्यप्रणाली, बैंक कर्मचारियों के अनावश्यक लापरवाही बरतने त्वरित गति से ऋण/व अन्य सुविधाएं सम्मानित सदस्यों को मिलने से बैंक कर्मचारी व यथाकथित दलालों रास नही आया क्योंकि दलाली बन्द हो गयी है। इसलिए इन्होने पूरे सचिवालय परिवार पर कुठाराघात करने का प्रयास किया है। उपरोक्त कृत्यों से आप यह समझ सकते है कि सचिवालय के कुछ लोग अपने निहित स्वार्थो के लिए पूरे सचिवालय परिवार की कुर्बानी दे सकते है, इसलिए इन्होने आर0बी0आई0 व आयकर विभाग में शिकायत कर दी जिसकी जांच आयकर विभाग द्वारा की जा रही है। साथियों आपको अवगत कराना है कि आयकर विभाग द्वारा नियामानुसार आयकर न काटे जाने पर ही किसी प्रकार का बैंक के उपर दोषारोपण कर सकता है जिसके लिए पूर्व सचिव एवं प्रशासक/संचालक मण्डल पूर्णतया उत्तरदायी है। सचिवालय कार्मिक बैंक के सदस्य है उनकी जमा धनराशि पर मिलने वाले ब्याज की सम्पूर्ण धनराशि को आयकर विभाग, भारत सरकार के परिपत्र संख्या-09/2002, दिनांक 11.09.2002 द्वारा आयकर से मुक्त रखा गया है, किन्तु ऐसे खाता धारक जो बैंक के अंश धारक नहीं है उनकी जमा धनराशि पर मिलने वाले ब्याज की धनराशि पर नियमानुसार आयकर की कटौती की जानी चाहिए थी, जो बैंक के कर्मचारियों द्वारा नही की गयी और न ही वर्तमान संचालक मण्डल की बैठकों में ऐसे किसी प्रकरण को रखा गया। आर0बी0आई0 आपके बैंक को बैंकिग का लाइसेंस प्राप्त होने के पश्चात और इसके पूर्व आयकर के नियमानुसार बैंक कार्मिकों द्वारा कार्यवाही न किये जाने के फलस्वरूप यदि सचिवालय परिवार, जो बैंक के सदस्य हैं, पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो सम्बन्धित बैंक कार्मिक को दण्डित किया जायेगा।उन्होंने कहा कि वर्तमान संचालक मण्डल आपको यह विश्वास दिलाता है कि बैंक की आर्थिक स्थिति सुदृढ है, बैंक में कोई अफरा-तफरी का माहौल नही है और न ही बैंक की आर्थिक स्थिति खराब है। आपकी जमा धनराशि पूर्णतया सुरक्षित है। इस विषम परिस्थिति में आपके सहयोग की अपेक्षा के साथ यह भी निवेदन है कि आप लोग ऐसा कृत्य करने वालो से अवश्य पूंछे कि ऐसी शिकायत जिससे निर्दोष पूरा सचिवालय परिवार व हमारे सेवा निवृत्त अधिकारियों/कार्मिकों का हित प्रभावित हो रहा है, इससे उनका क्या स्वार्थ सिद्ध होने वाला है? क्या इससे उनकी दलाली बन्द हो गयी है अथवा बैंक की वर्ष 1999-2000 से 2011-12 तक करायी जा रही जांच तथा रू0 3 करोड़ 89 लाख का गबन करने वालों के विरूद्ध होने वाली कार्यवाही से घबराकर कर रहे हैं? उन्होने अपील करते हुए ग्राहकों से कहा कि निराधार व असत्य खबरों पर ध्यान न दें और न ही किसी के बहकावे में आये। आपका धन व मान सम्मान वर्तमान संचालक मण्डल द्वारा पूर्णतया सुरक्षित रखा जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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