सुश्री दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के बाद पहले गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी फिर प्रदेश के सुन्नी वक्फ बोर्ड और बाद में एल.आई.यू. की रिपोर्ट से यह सच सामने आ गया है कि जिस मामले में प्रदेश सरकार ने उन्हें निलंबित किया है उसमें कहीं से न ही उनकी कोई संलिप्तता थी और न ही किसी तरह का कोई कसूर था। इतना ही नहीं इन रिपोर्टो में यह स्पष्ट किया गया है कि जिस बिन्दु को आधार बनाकर सरकार ने सुश्री नागपाल को निलंबित किया, वैसी कोई बात हुई ही नहीं। इससे ऐसा साबित होता है कि प्रदेश सरकार और समाजवादी पार्टी से जुड़े खनन माफियाओं के इशारे पर निलंबन की कार्यवाही की गयी। इसके लिए पूरी तरह से समाजवादी पार्टी और सपा सरकार जिम्मेदार है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि निलंबन के मामले में चारों तरफ से घिर चुकी समाजवादी पार्टी केा निकलने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। यही कारण है कि उनके नेताओं द्वारा बार-बार अनर्गल बयानबाजी की जा रही है। लगता है कि सरकार और सपा नेताओं द्वारा इस बात की अनदेखी की जा रही है कि सुश्री नागपाल के निलंबन पर सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश से क्या प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन ने जिस तरह अपनी प्रेसवार्ता में लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ मीडिया पर हमला कर आवाज दबाने का प्रयास किया है और जिस प्रकार सुश्री नागपाल के संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हम इनके परिवार के संबंध में अगर खुलासा करें तो उनकी सच्चाई लोगों के सामने आ जायेगी। संवैधानिक पद पर बैठे हुए एक वरिष्ठ मंत्री द्वारा इस तरह के दिये गये बयान सिर्फ निन्दनीय ही नहीं बल्कि ओछी राजनीति को दर्शाता है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी यह मांग करती है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया श्री मुलायम सिंह यादव एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव अपने दल के नेताओं के अनर्गल बयानबाजी पर रोक लगायें तथा तमाम सबूतों को देखते हुए सुश्री दुर्गा नागपाल के निलंबन प्रकरण में न्यायोचित कार्यवाही करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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