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हिंदी की चुनौतियों से रू.ब.रू हुए विद्यार्थी

Posted on 06 August 2013 by admin

केंद्रीय हिंदी संस्थान का सत्रारंभ समारोह हिंदी की चुनौतियों से रू.ब.रू हुए विद्यार्थी आज केंद्रीय हिंदी संस्थानए
आगरा के अध्यापक शिक्षा विभाग के नए सत्र 2013.14 के आरंभ के अवसर पर संस्थान के नज़ीर सभागार में एक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अमरनाथ शर्मा पधारे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं वाग्देवी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। नवागत छात्र.छात्राओं ने सरस्वती वंदना और संस्थान गीत गाया। संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर रामवीर सिंह ने मुख्य अतिथि का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। मुख्य अतिथि प्रोण् शर्मा को इस अवसर पर एक स्मृति चिह्न भी भेंट किया गया। अध्यापक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रोण् विद्याशंकर शुक्ल के स्वागत भाषण के बाद कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि के आसन से बोलते हुए प्रोण् अमरनाथ शर्मा ने कहा कि आज हिंदी को लेकर हमारी चिंताएं गंभीर हो चुकी हैं। हिंदी का यह संकट उतना बाहरी नहीं हैए जितना कि भीतरी। हम सभी जानते हैं कि हिंदी अनेक छोटी.बड़ी बोलियों का समुच्चय है। आज संकट के इस दौर में हिंदी की अपनी ही बोलियां अपनी अलग.अलग सत्ता की मांग कर रही हैं। ये बोलियां संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होकरए अपना स्वतंत्र
अस्तित्व चाह रही हैं। लेकिन शायद उन्हें इस बात का बोध नहीं है कि उनका यह कदम आत्मघाती साबित होगा। स्वयं हिंदी की भी अपूरणीय क्षति होगी। प्रोण् शर्मा ने कहा कि भोजपुरीए राजस्थानीए अवधीए ब्रज आदि हिंदी की बड़ी और महत्वपूर्ण बोलियों की तरफ से बराबर इस प्रकार की विघटनकारी मांगें उठ रही हैं। कुछ नेता और छुटभैये
साहित्यकार इस तरह की मांगों को अपने क्षुद्र स्वार्थों के कारण बढ़ावा दे रहे हैं। प्रोण् शर्मा ने उदाहरण सहित
यह तथ्य सामने रखा कि कैसे जब एक बोली आठवीं अनुसूची में शामिल होकर भाषा का दर्जा हासिल कर लेगीए तब एक स्वतंत्र भाषा के रूप में स्वयं वह बोली कितनी शक्तिहीन और दरिद्र हो जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी की ताकत उसकी तमाम बोलियाँ हैं और इसी कारण वह देश की लगभग आधी जनसंख्या की भाषा बनी हुई है। हिंदी को उसकी बोलियों से अलग करने के पीछे जो साम्राज्यवादी साजिश हैए प्रोण् शर्मा ने उसका बारिकी से खुलासा किया।
आगे उन्होंने कहा कि सारी बोलियों का सम्मिलित रूप हिंदी है। हिंदी की यह सम्मिलित शक्ति ही देश में फल.फैल
रहे नए साम्राज्यवाद पर अंकुश लगा सकेगी। अन्यथा एक नए किस्म की गुलामी झेलने के लिए हमें तैयार रहना होगा। अंग्रेजी के रूप में नई सांस्कृतिक गुलामी के शिकंजे में हम बड़ी तेजी से आते जा रहे हैं। मुख्य अतिथि के उदबोधन के बाद अध्यक्षीय वक्तव्य प्रोण् रामवीर सिंह ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन किया कुलसचिव डॉण् चंद्रकांत त्रिपाठी ने। कार्यक्रम का संचालन डॉण् सुनीता शर्मा ने किया। इस अवसर पर संस्थान के शैक्षिक सदस्यों में प्रोण् महेन्द्र सिंह राणाए प्रोण् सुशीला थॉमसए प्रोण् देवेन्द्र शुक्लए डॉण् निरंजन सिंहए डॉण् भरत सिंह पमारए डॉण् प्रमोद कुमार शर्माए श्रीमती तस्मीना हुसैनए डॉण् सुनीता शर्माए डॉण् राजबली पाठकए डॉण् अशोक मिश्रए डॉण् प्रमोद रावतए प्रशासनिक अधिकारी श्री रामेश्वर सिंहए लेखाधिकारी श्री अनिल कुमार चौधरीए श्री अनिल पांडेय आदि उपस्थित थे। नवागत स्वदेशी छात्र.छात्राओं ने बड़ी संख्या में इस समारोह में हिस्सा लिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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