डा0 एस.बी. घोष की स्मृति में बालविद्या निकेतन सभागार में विकास की कीमत चुकाते हम विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारम्भ नागरिक उड्डयन निदेशक देवेन्द्र स्वरुप ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर संगोष्ठी मंे विचार व्यक्त करते हुऐ वक्ताओं ने कहा विकास की रफ्तार ने जहाॅ हमारे जीवन में सुविधाओं की सौगात दी है वही दूसरी ओर विकास की हमें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। उत्तरांचल में हुई भीषण त्रास्दी का कारण विकास ही रहा है। विकास के लिऐ हम प्रकृति के साथ इतना छेड़छाड़ कर रहे है कि प्राकृति कुपित हो रही है। पर्यावरण के प्रति भी विकास के कारण अनदेखी करती सरकारें खनन और जल के अत्याधिक दोहन करने के लिऐ खुली छूट देकर भयावह हालात बनने दे रही है। पिछले तीन दशकों में अनेक गम्भीर बीमारियों का जो प्रचलन शुरू हुआ है। उसके पीछे भी हमारा तथाकथित विकास ही रहा है। विकास का उद्देश्य समाज को प्रतिकूलता के स्थान पर सहूलियत दे तभी विकास का सही फायदा मिल सकता है। संगोष्ठी में विचार व्यक्त करने वाले वक्ताओं को संस्था की ओर से मीता श्री, डा0 जे.बी. घोष ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डा0 ए0के0 सिंह, पी.के. बनर्जी आदि लोग उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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