- उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री श्री राम गोबिन्द चैधरी की प्रदेशवासियों से की गयी इस अपील को जनहित में यथावत् प्रकाशित करने का आग्रह।
उत्तर प्रदेश राज्य के बेसिक शिक्षा एवं बाल विकास तथा पुष्टाहार मंत्री के रूप में मैं आपसे कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा कर रहा हूॅं, जिनका संबंध हमारे उन बच्चों से है, जिनकी शिक्षा और उत्थान के लिए भारत सरकार से लेकर राज्य सरकार ने ऐसे कई कल्याणकारी कार्यक्रम प्रायोजित किये हैं, जिनका लाभ उठाकर उनके जीवन को शैक्षिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है। यह अत्यंत संवेदनशील विषय है जिसमें आपके सकारात्मक सहयोग की बड़ी आवश्यकता है चूॅंकि आप बच्चों के शैक्षणिक और सामाजिक उत्थान की कड़ी में पहली सीढ़ी हैं।
दार्शनिकों का अभिमत है कि यदि किसी व्यक्ति की बुराई के स्थान पर उसकी अच्छाईयों को ज्यादा प्रोत्साहित किया जाय, तो बुराई स्वतः ही समाप्त हो जायेगी। संवेदनशील एवं सार्वजनिक मामलों में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। दोष एवं कमियों को उछालने, समस्याओं को गिनाने के स्थान पर यदि समाधान भी साथ-ही-साथ प्रस्तुत किया जाय, तो किसी भी बुराई को समूल नष्ट किया जा सकता है। वर्तमान में मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत बच्चों को खराब भोजन परोसने, गुणवत्ता युक्त भोजन नहीं मिलने आदि की शिकायतें प्रकाशित की जा रही हैं तथा इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में भी समाचार चलायी जा रही हैं। बच्चों को परोसे जा रहे खाने में मेंढक, कीड़े, चूहे और अन्य अखाद्य पदार्थ निकलने आदि की खबरें भी प्रकाशित हुईं। यद्यपि सभी खबरें निराधार नहीं है परन्तु जनपद-मुरादाबाद और चित्रकूट के बारे में छपी खबरों की विस्तृत जांच कराने में यह तथ्य सामने आया है कि कतिपय असामाजिक तत्व इस प्रकार के समाचार प्रकाशित कराकर समाज में भ्रम पैदा कर निर्धन एवं गरीब बच्चों को शिक्षा और मिड-डे-मील से विमुख करने का षडयंत्र कर रहे हैं। यहां यह भी विचारणीय है कि समस्या के समाधान हेतु कोई उपाय भी नहीं बताये जा रहे हैं परन्तु एक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिससे अभिभावक भ्रमित हों और अपने बच्चों को विद्यालयों में न भेजें।
मध्याह्न भोजन योजना के क्रियान्वयन में सरकार हर संभव ऐहतियात बरत रही है। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां आई0वी0आर0एस0 प्रणाली के माध्यम से मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत लाभान्वित किये जा रहे छात्रों का दैनिक ब्यौरा रखा जाता है और उसके आधार पर विकास खण्ड, तहसील एवं जनपद स्तर पर गठित टास्क फोर्स द्वारा निरीक्षण भी किया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक माह में जनपद के रैण्डम आधार पर चयनित कम-से-कम 10 विद्यालयों के भोजन पकाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के सैम्पल को निर्धारित प्रक्रियानुसार इकट्ठा कर खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला में जांच कराने के भी निर्देश दे दिये गये हैं। परन्तु केवल सरकार के स्तर से बरती जाने वाली ऐहतियात व निगरानी व्यवस्था पर्याप्त नहीं हो सकती। इसके लिए जागरूक समाज को भी आगे आना होगा और जिम्मेदारी के साथ अपनी भूमिका निभानी होगी। इनमें प्रत्येक स्तर के जनप्रतिनिधिगण तथा प्रेस/मीडियाकर्मी भी शामिल हैं।
मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत प्रदेश के लगभग 1.70 लाख विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब 1.25 करोड़ बच्चे प्रतिदिन भोजन ग्रहण करते हैं। ऐसी स्थिति में कुछ विद्यालयों में मानवीय चूक की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। यदि पंचायती राज संस्था के जनप्रतिनिधिगण, ग्राम सभा के सदस्य, अभिभावकगण, जिनके बच्चे इन विद्यालयों में पढ़ रहे हैं, लोक हित के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के क्रियान्वयन के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी लें तो सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों को और प्रभावी तरीके से कारगर बनाया जा सकेगा। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषाहार वितरण, मध्याह्न भोजन जैसे कार्यक्रम सामाजिक जागरूकता से ही सफल हो सकते हैं। इन योजनाओं का सीधा लाभ समाज के सबसे पिछड़े एवं गरीब वर्ग के बच्चों से है और इनके माध्यम से कुपोषण तथा भूख की समस्या का एक सीमा तक निराकरण हो रहा है। इन कार्यक्रमों के और प्रभावी और सुचारू संचालन के लिए यह आवश्यक है कि अभिभावकगण, स्थानीय जनप्रतिनिधिगण एवं मीडियाबन्धु कमियों के साथ-साथ जहां अच्छे कार्य हो रहे हैं उनके बारे में भी बतायें ताकि अच्छे कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित किया जा सके और जनहित के इन कार्यक्रमों में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को चिन्हित कर दंडित किया जा सके।
हमारी सरकार ने व्यवस्था में सुधार हेतु कई कदम उठाये हैं। विद्यालयों में सभी बच्चों को समय से पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध करायी गयी है और गुणवत्तायुक्त 02 सेट यूनीफार्म उपलब्ध कराने के लिए ठोस कार्यवाही की जा रही है। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत् शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण किया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया गया है कि अध्यापकों को समय से वेतन का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में कर दिया जाय। इसी के साथ-साथ लगभग 1.80 लाख सेवानिवृत्त अध्यापकों के पेंशन का भुगतान सीधे कोषागार से उनके बैंक खाते में करने की व्यवस्था भी प्रभावी की गयी है। गत वर्ष लगभग 18,500 अध्यापकों तथा इस वर्ष लगभग 15,000 अध्यापकों का अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण किया जा चुका है और यह प्रयास है कि ज्यों-ज्यों नये अध्यापकों की नियुक्ति हो जाती है, अवशेष अध्यापकांे को भी उनके इच्छित जनपद में स्थानांतरित कर दिया जाय। पिछले 01 वर्ष में लगभग 11,000 सहायक अध्यापक, लगभग 30,000 अनुदेशक की नियुक्ति की जा चुकी है और 72,825 प्रशिक्षु अध्यापक की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की गयी थी, जो मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। शीघ्र ही 29,334 गणित एवं विज्ञान के सहायक अध्यापकों की उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। बड़ी संख्या में वर्षों से अवरूद्ध अध्यापकों की प्रोन्नति प्रक्रिया को भी प्रारंभ कर पूरी करायी गयी है। इससे अध्यापकों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। यह प्रयास है कि हर विद्यालय में आवश्यकतानुसार अध्यापक शीघ्र उपलब्ध करा दिये जायें। प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों को जन समस्याओं के निस्तारण हेतु संवेदनशील होने एवं पारदर्शी तरीके से कार्य करने हेतु निर्देश दिये गये हैं और इन मामलों में कोताही पाये जाने पर अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध निलंबन, स्थानांतरण एवं विभागीय कार्यवाही भी की जा रही है।
पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान जिस प्रकार प्रत्येक स्तर पर कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार का माहौल था, उस बिगड़ी हुई व्यवस्था को ठीक करने हेतु काफी प्रयास पिछले दिनों में किये गये हैं। प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार को मिटाने का प्रयास किया गया और भ्रष्ट अधिकारियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही भी प्रारंभ की गयी है। किसी भी कार्यक्रम के संचालन में अगर भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त होती हैं तो उन पर तत्परता से कठोर एवं प्रभावी कार्यवाही की गयी है तथा आगे भी की जायेगी। सभी अभिभावकों, जनप्रतिनिधिगण एवं मीडियाबन्धु से मेरा यह अनुरोध है कि मध्याह्न भोजन योजना के प्रदेश में सफल क्रियान्वयन में अपना रचनात्मक सहयोग दें, बगैर भ्रमित हुए अपने दायित्वों, कर्तव्यों एवं अधिकारों का समाज के दुर्बल, अल्प शिक्षित एवं वंचित लोगों के उत्थान के लिए प्रयोग कर उनके जीवन को मुख्य धारा से जोड़ने में अपना सहयोग प्रदान करें।
आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन से संबंधित किसी भी शिकायत को दर्ज करने के लिए आप 18001805599 टोल-फ्री नंबर पर फोन कर सकते हैं। इसी प्रकार मध्याह्न भोजन से संबधित शिकायतों को 18004190102 टोल-फ्री नंबर पर दर्ज कराया जा सकता है। हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि दर्ज शिकायतों पर तत्परता से कार्यवाही की जायेगी क्योंकि हमारा यह मानना है कि हर बच्चा-हमारा बच्चा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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