उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने तहसील दिवस में प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों एवं जनशिकायतों को गम्भीरता से न लेने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कठोर रुख अख्तियार किया है। उन्होंने जनपद इलाहाबाद, गोरखपुर, कानपुर नगर, सोनभद्र तथा मथुरा में पिछले एक वर्ष में तहसील दिवस के सर्वाधिक लम्बित प्रकरणों पर सख्त रुख अपनाते हुए इन जनपदों के जिलाधिकारियों को संबंधित उपजिलाधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इन जनपदों की तहसीलों में कई प्रार्थना पत्रों को 1 माह से अधिक समय बीत जाने के पश्चात् भी उपजिलाधिकारियों द्वारा निस्तारित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उपजिलाधिकारियों द्वारा जनशिकायतों के निस्तारण में पर्याप्त रुचि नहीं ली जा रही है। उन्होंने आगाह किया है कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही पर और अधिक कठोर कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि जुलाई, 2012 से जुलाई, 2013 के बीच तहसील दिवस में प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों में सर्वाधिक 2216 जनपद इलाहाबाद, 1249 गोरखपुर, 1033 कानपुर नगर, 982 सोनभद्र तथा 900 प्रार्थना पत्र जनपद मथुरा में निस्तारण हेतु लम्बित हैं। तहसील दिवस की वेबसाइट पर दिनांक 26 जुलाई, 2013 तक की प्रदर्शित स्थिति की समीक्षा के उपरान्त पाया गया कि जनपद इलाहाबाद की मेजा तहसील में 4 सितम्बर, 2012, गोरखपुर की सदर तहसील में 21 अगस्त, 2012, कानपुर नगर की घाटमपुर तहसील में, 17 जुलाई, 2012 सोनभद्र की तहसील राॅबर्ट्सगंज में 5 फरवरी, 2013 तथा मथुरा की सदर तहसील में
1 जनवरी, 2013 के प्रार्थना पत्र निस्तारण हेतु लम्बित हैं। इसी प्रकार जनपद इलाहाबाद की तहसील करछना में 1, फूलपुर में 28, बारा में 6, सोरांव में 7 तथा हण्डिया में 49, जनपद गोरखपुर की तहसील बांसगांव में 1, गोला में 12, गोरखपुर सदर में 1, खजनी में 84, जनपद कानपुर नगर की तहसील सदर में 52 तथा बिल्हौर में 96, जनपद सोनभद्र की तहसील घोरावल में 67, दुद्धी में 1 तथा राबर्टसगंज में 20 तथा जनपद मथुरा की तहसील महावन में 41 प्रार्थना पत्रों की आख्याएं कम्प्यूटर में फीड नहीं हैं। जबकि इन प्रार्थना पत्रों पर अधिकतम 1 माह में कार्रवाई कर विवरण को कम्प्यूटर में फीड कर दिया जाना चाहिए था।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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