देश के प्रख्यात समाजसेवी व जनतंत्र मोर्चा के संयोजक अन्ना हजारे ने सुलतानपुर मे दलीय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि देश के संविधान मे पक्ष और पार्टियों का जिव््राहृ नही है । २६ जनवरी १९५० मे जब प्रजातंत्र आया तो उसी दिन पक्ष और पार्टियो का अस्तित्व खत्म हो जान चाहिए था । संसद में जनता अपना प्रतिनिधि चुनकर भेज सकती है ।
महात्मा गांधी ने उसी समय कहा था कि अब लोकतंत्र आ गया है । कांग्रेस पार्टी बर्खास्त करे किन्तु ऐसा नही हुआ । तब से आज तक पार्टियों के प्रतिनिधि संसद पहुंच रहे है और सत्त्ता से पैसा और पैसा से सत्त्ता की होड शुरु हो गई है । इन पार्टियों ने न सिर्फ दागियों का टिकट दिया बल्कि उनके लिए प्रचार भी किया । उन्होने कहा कि आज दिल्ली की संसद मे १६३ दागी सांसद है । तथा ३५ मंत्रियों मे १५ पर आरोप तय है । अपने सम्बोधन में अन्ना हजारे ने कहा कि जन लोकपाल और जन लोकतंत्र के बाद वह किसानो के लिए संघर्ष करेंगें ।
उनके पिछले आन्दोलन मे सरकार ने आश्वासन देने के बाद भी दो साल हो गया । जनलोक पाल बिल पास नही किया । वह देश भर मे लोकशिक्षा व लोक जागरुकता के लिए जनतंत्र यात्रा निकाले हुए है जों पंजाब से शुरु होकर उत्त्तर प्रदेश मे पहुंचा है । उन्होने गरीबो के १२ रुपये भोजन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सांसदो को यात्रा, मेडिकल,आवास सभी निरूशुल्क उपलब्ध होने के बाद भी पचास हजार के वेतन की क्या जरुरत है । इन सांसदो का वर्ष २००६ मे वेतन पांच हजार रुपये था । किन्तु इसके बाद संसद मे बिल पेश कर वेतन पचास हजार कर दिया गया ।
पहलें सांसद उसे पहले कम करें श्री हजारे ने कहा अपनी २६ वर्ष की उम्र के उनके जीवन मे एक ऐसा दौरा आया जब वह आत्महत्या करने के कगार पर थे । इसी बीच उन्हे स्वामी विवेकानन्द की एक पुस्तक मिली जिसने जीवन जीना सिखा दिया । उन्होने कहा कि युवावस्था मे यह संकल्प ले लिया था कि देश और समाज के लिए काम करेंगें और आजीवन विवाह नही करेंगें । आज ७५ वर्ष की अवस्था मे पहुचने तक कोई दाग नही लग सका अन्यथा देश के राजनेता आन्दोलन न चलते देते । इसके पूर्व उनकी टीम के संतोष सरोज ने सम्बोधित करते हुए कहा कि अन्ना टीम जनता को दूसरी आजादी की लडाई के लिए न्योता देने आये है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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