समाजवादी पार्टी उ0प्र0 के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री ने लैपटाप वितरण की आलोचना की है और इसे समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा सियासी लाभ लेने का कदम बताया है। वे समाजवादी सरकार को विफल बताने के लिए भी धरती-आसमान एक किए हुए हैं। जाति विशेष से अपनी चिढ़ भी वे छुपा नहीं पा रही है। इस तरह वे अपनी खीझ भी मिटा रही हैं और उत्तर प्रदेश को दुनिया के नक्शें पर बदनाम करने का अपना एजेन्डा भी चला रही हैं। जनता ने अभी सवा साल पहले ही जो जनादेश दिया है उसका भी वे निरन्तर निरादर एवं उपहास कर रही है।
निराधार आरोप लगाना बसपा अध्यक्ष का चरित्र और स्वभाव है। लैपटाप से छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के साथ अपने भविष्य को संवारने वाली सूचनाएं भी प्राप्त होंगी। इससे उनके सपनों को नया विस्तार मिलेगा। समाजवादी पार्टी चाहती है कि गरीब का बेटा-बेटी भी सम्पन्न परिवार के मुकाबले आगे बढ़े लेकिन सुश्री मायावती नहीं चाहती हैं कि गरीब का बच्चा पढ़े और आगे बढ़े। वे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी मीडिया से दूर रहने को कहती है ताकि वे उनके घोटालों से परिचित न हों। वस्तुतः बसपा अध्यक्ष चाहती हैं उनके समर्थक सब अनपढ़ हों। उनका नेतृत्व निरक्षरों के बल पर ही सुरक्षित रहेगा। बाबा साहेब अंबेडकर अपने अनुयायियों को शिक्षित बनने का संदेश देते थे। सुश्री मायावती ने अपने आचरण और बयान से बाबा साहेब का भी अपमान किया है। उन्होंने उन बच्चों के प्रति भी दुर्भावना जताई है जो लैपटाप पाकर अपनी जिन्दगी को नया अर्थ देना चाहते हैं। बसपा अध्यक्ष को इन बच्चों से माॅफी मांगनी चाहिए। कन्या विद्याधन, बेकारी भत्ता और लैपटाप पाने वालों में समाज के सभी वर्गो के छात्र-छात्राएं हंै उनको जाति विशेष में सीमित करना युवाशक्ति की अवमानना है और ऐसा कोई जाति विद्वेष की भावना रखने वाला ही कर सकता है।समाजवादी पार्टी की योजनाओं से लाभ पाने वालों में मुसलमान, किसान, गरीब, पिछड़े, सवर्ण सभी हैं। निष्पक्षता से ये योजनाएं चलाई जा रही हैं। श्री मुलायम सिंह यादव जाति विहीन समाज के आंदोलन को गति दे रहे हैं। यही सपना डा0 लोहिया और चैधरी चरण सिंह का भी था। किसी जाति विषेश के नाम पर जहर उगलना दूषित मनोवृत्ति है।
उ0प्र0 में विकास के नए-नए श्रोत खुल रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव बाहरी उद्यमियों को प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए सहूलियत दे रहे हैं। नई औद्योगिक नीति के साथ अवस्थापना सुविधाएं भी मजबूत की जा रही हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति में गुणात्मक सुधार आया है। अनुत्पादक मदों में व्यय रोककर मुख्यमंत्री जी ने कृषि, उद्योग और जनहित की अन्य योजनाओं के लिए खजाना खोला है। सुश्री मायावती को यही खल रहा है, क्योंकि उनकी नजर में तो लूट से अपना विकास करना ही असली विकास है। उनके कई मंत्री भी ऐसा विकास करके ही जेल गए हैं और कुछ जाने वाले हैं। खुद मुख्यमंत्री को भी शायद ये दिन देखने पड़े। जो भी हो, मुख्यमंत्री जैसे पद पर रह चुकी सुश्री मायावती जिस संकीर्ण मानसिकता का प्रदर्शन कर रही हैं और गैर जिम्मेदाराना बयान दे
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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