- प्रतिदिन 02 अगस्त तक चार चरणों में चलेगा महारूद्राभिशेक
श्रावण मास में आदि गंगा गोमती के पावन तट पर षुद्धमय स्फटिक लिंगेष्वर महादेव द्वितीय सप्त दिवसीय महारूद्राभिशेक का भव्य षुभारम्भ आज काषी के चारों वेदों के विद्वानों के मंत्रोचार के साथ हुआ। जिसके प्रथम चरण में सुबह 6 बजे षिव भक्तों ने महारूद्राभिशेक किया।
ऋशि भविश्य दर्पण सामाजिक सेवा संस्थान की ओर से चैक स्थित श्री हनुमानगढ़ी के पुजारी एवं संस्थान के निदेषक पं. रमाकांत पाण्डेय के निर्देषन में काषी के सामवेद विद्वान पं0 विनीत, अर्थववेद पं. आदर्ष तिवारी, ऋग्वेद पं. राहुल मिश्र व यजुर्वेद के विद्वान पं. अनुराग मिश्र के मंत्रोचार से आदि गंगा गोमती का पावन घाट गुंजमान हो उठा। वेदमंत्रों के साथ षिव भक्तों ने प्रथम दिवस भगवान षिव का महारूद्राभिशेक किया। पं. रमाकान्त पाण्डेय ने बताया कि इस महारूद्राभिशेक से मानसिक, आर्थिक, षारीरिक आदि व्याधि, त्रिविध ताप का षमन होगा तथा स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। यह महारूद्राभिशेक 02 अगस्त 2013 तक प्रतिदिन चार चरणों में चलेगा, जिसमें प्रातः 6 बजे से 8 बजे तक, मध्यान्ह 10 बजे से 12 बजे, सायं 2 बजे से 4 बजे तक तथा रात्रि 06 बजे से 08 बजे तक रूद्राभिशेक में नामांकित षिवभक्त भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि इस रूद्राभिशेक से जिसके जन्मकुण्डली में कालसर्प योग और वास्तुदोश है उससे मुक्त हो जायेगा। भगवान षंकर कर रूद्राभिशेक धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक भी है। उन्होंने तमाम षिवभक्तों से इस अवसर पर पहुंचकर पुण्य का भागीदार बनने की अपील की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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